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करवा चौथ: सजना की सलामती के लिए महिलाओं का व्रत, ये है मुहूर्त और चंद्रोदय का वक्त - festival

करवा चौथ कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है. यह पर्व सौभाग्यवती स्त्रियां मनाती हैं. पंडित अरूणेश शर्मा ने बताया कि रोहिणी नक्षत्र गुरुवार को है.

karwa chauth festival celebration
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Published : Oct 17, 2019, 11:55 AM IST

रायपुर/चंडीगढ़: महिलाएं पति की लंबी उम्र, सफलता और समृद्धि के लिए करवा चौथ का व्रत रखती हैं. पूरे दिन निर्जल व्रत रखने के बाद चंद्रमा की पूजा और पति की आरती उतारने के बाद महिलाएं अपना व्रत खोलती हैं. इस दौरान महिलाएं सोलह श्रृंगार करके सौभाग्य का वरदान मांगती हैं.

करवा चौथ कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है. यह पर्व सौभाग्यवती स्त्रियां मनाती हैं. पंडित अरूणेश शर्मा ने बताया कि रोहिणी नक्षत्र गुरुवार को है. चतुर्थी सुबह 6.48 बजे से शुरू होकर पूरे दिन रहेगी. उन्होंने बताया कि रायपुर में चंद्रोदय का वक्त 8 बजकर 11 मिनट और काशी में चंद्रोदय का वक्त 7 बजकर 59 मिनट है.

सजना की सलामती के लिए महिलाओं का व्रत
  • पति की दीर्घायु और अखण्ड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए इस दिन चतुर्थी माता और गणेशजी की भी पूजा की जाती है.
  • महिलाएं इस दिन निर्जला व्रत रखकर पति की दीर्घायु की कामना करती हैं. यह व्रत सुबह सूर्योदय से शुरू होता है और शाम को चांद निकलने तक रखा जाता है.
  • इस दिन की कथा पढ़कर, चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद महिलाएं पति की आरती उतारती हैं. पति पानी पिलाकर पत्नियों का खुलवाते हैं.
  • चतुर्थी तिथि 17 अक्टूबर सुबह 06 बजकर 49 मिनट से शुरू होगी, जिसके कारण इससे पहले महिलाओं को सरगी खानी होगी.

ये भी पढ़ें: पति की लंबी उम्र के लिए महिलाओं ने रखा निर्जला व्रत, जानें इस बार क्यों बन रहा 'राजयोग'

करवा चौथ को लेकर बाजार भी गुलजार है. सड़कें रंग-बिरंगे करवों से सजी हैं. महिलाएं साड़ी, गहनों की दुकानों की तरफ रुख कर रही हैं तो मेंहदी और पार्लर पर भी भीड़ है.

रायपुर/चंडीगढ़: महिलाएं पति की लंबी उम्र, सफलता और समृद्धि के लिए करवा चौथ का व्रत रखती हैं. पूरे दिन निर्जल व्रत रखने के बाद चंद्रमा की पूजा और पति की आरती उतारने के बाद महिलाएं अपना व्रत खोलती हैं. इस दौरान महिलाएं सोलह श्रृंगार करके सौभाग्य का वरदान मांगती हैं.

करवा चौथ कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है. यह पर्व सौभाग्यवती स्त्रियां मनाती हैं. पंडित अरूणेश शर्मा ने बताया कि रोहिणी नक्षत्र गुरुवार को है. चतुर्थी सुबह 6.48 बजे से शुरू होकर पूरे दिन रहेगी. उन्होंने बताया कि रायपुर में चंद्रोदय का वक्त 8 बजकर 11 मिनट और काशी में चंद्रोदय का वक्त 7 बजकर 59 मिनट है.

सजना की सलामती के लिए महिलाओं का व्रत
  • पति की दीर्घायु और अखण्ड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए इस दिन चतुर्थी माता और गणेशजी की भी पूजा की जाती है.
  • महिलाएं इस दिन निर्जला व्रत रखकर पति की दीर्घायु की कामना करती हैं. यह व्रत सुबह सूर्योदय से शुरू होता है और शाम को चांद निकलने तक रखा जाता है.
  • इस दिन की कथा पढ़कर, चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद महिलाएं पति की आरती उतारती हैं. पति पानी पिलाकर पत्नियों का खुलवाते हैं.
  • चतुर्थी तिथि 17 अक्टूबर सुबह 06 बजकर 49 मिनट से शुरू होगी, जिसके कारण इससे पहले महिलाओं को सरगी खानी होगी.

ये भी पढ़ें: पति की लंबी उम्र के लिए महिलाओं ने रखा निर्जला व्रत, जानें इस बार क्यों बन रहा 'राजयोग'

करवा चौथ को लेकर बाजार भी गुलजार है. सड़कें रंग-बिरंगे करवों से सजी हैं. महिलाएं साड़ी, गहनों की दुकानों की तरफ रुख कर रही हैं तो मेंहदी और पार्लर पर भी भीड़ है.

Intro: रायपुर 17 अक्टूबर को करवा चौथ मनाया जाएगा करवा चौथ इस बार कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाएगा करवा चौथ का व्रत सुहागिन महिलाओं के साथ अविवाहित कन्याएं भी इस व्रत को करती है सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए यह व्रत करती हैं और अविवाहित कन्याएं अच्छे वर की प्राप्ति के लिए इस व्रत को करती हैं


Body:करवा चौथ का मुहूर्त के बारे में बात की जाए 17 अक्टूबर को गुरुवार है जो कि रोहिणी नक्षत्र में पड़ रहा है ज्योतिष अरुणेश शर्मा के अनुसार इसका मुहूर्त सुबह 6 बजकर 48 मिनट से चतुर्थी शुरू हो जाएगी जो रात्रि तक रहेगी चंद्रोदय का समय रायपुर में 8:11 रात्रि तक और काशी में यह समय रात्रि में 7:59 होगा चंद्रोदय के समय व्रत धारण करने वाली महिलाएं चंद्रमा को अर्ध देंगी चंद्रोदय के पहले ही व्रत करने वाली महिलाए कथा सुनती है


Conclusion:करवा चौथ का व्रत दीपावली के 1 सप्ताह पहले होता है जो कि पति पत्नी के रिश्ते के पवित्रता की पहचान के तौर पर मनाया जाता करवा चौथ शब्द 2 शब्दों से मिलकर बना पहला करवा का मतलब मिट्टी के बर्तन और चौथ यानी चतुर्थी इस दिन मिट्टी के पात्र यानी करवो की पूजा का विशेष महत्व होता है करवा चौथ के बारे में ऐसी मान्यता है कि माता पार्वती में शिव को पाने के लिए करवा चौथ रखा था इसी व्रत के बाद ही इनका विवाह शिवजी से हुआ था जिसके बाद मां लक्ष्मी ने करवा चौथ का व्रत रखकर उन्हें मुक्त कराया पूजा करने की विधि के बारे में ऐसा कहा जाता है यह पूजा सूर्योदय से पूर्व जगना होता है करवा चौथ प्रारंभ के शुभ मुहूर्त से पहले ही सरगी के रूप में भोजन ग्रहण किया जाता है इसके बाद मुहूर्त के अनुसार निर्जला व्रत शुरू हो जाता है यह व्रत इस बार 13 से 14 घंटे का होगा और शाम को एक मिट्टी की वेदी बनाकर वही देवताओं का आह्वान किया जाता है और करवा के रूप में उसकी पूजा होती थाली में धूप दीप चंदन रोली सिंदूर रखकर दीपक जलाना चाहिए पूजा चांद निकलने से 1 घंटे पूर्व शुरू कर देनी चाहिए पूजन के समय करवा चौथ की कथा जरूर सुननी चाहिए फिर चांद निकलने के बाद चांद को छलनी से देखते हुए अर्ध देना चाहिए फिर पति के हाथ से पानी पीकर व्रत तोड़ा जाता है


बाइट पंडित अरूणेश शर्मा ज्योतिष रायपुर


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