चंडीगढ़: पूरे देश में लॉकडाउन जारी है. जिस वजह से सब लोग घरों में रहने को मजबूर हैं. बच्चे भी घर के अंदर रहकर समय व्यतीत कर रहे हैं. हमने चंडीगढ़ में कुछ बच्चों से इस बारे में बात की और ये जानने की कोशिश की कि वो घर में किस तरह से अपना समय व्यतीत कर रहे हैं.
बच्चों के लिए घरों में रहना मुश्किल
लॉकडाउन की वजह से हर कोई घरों में बंद है. लेकिन लगातार घर के अंदर रहने और बाहर नहीं निकल पाने की वजह से कई तरह के मानसिक विकार उत्पन्न हो सकते हैं. ये समय बड़ों की भी मानसिक स्थिति पर असर डाल सकता है तो इसका असर बच्चों पर और भी ज्यादा हो सकता है. बच्चों को एक जगह बैठने की आदत नहीं होती. वो पूरा दिन स्कूल में रहते हैं और उसके बाद घर आने के बाद भी उनकी खेलकूद जारी रहती है. ऐसे में अगर बच्चों को पूरा दिन घर में ही रखा जाए और उन्हें बाहर निकलने की इजाजत ना दी जाए तो इसका उन पर काफी बुरा असर पड़ सकता है.
लॉकडाउन में घरों में कैद बचपन
हमने चंडीगढ़ में इस बारे में कुछ बच्चों से बात की. उन्होंने कहा कि कोरोना की वजह से लॉकडाउन जारी है. इसलिए वे घर से बाहर नहीं जा सकते. क्योंकि घर से बाहर जाना खतरनाक हो सकता है. इसलिए वो पूरा दिन घर पर रहते हैं. हालांकि घर पर रहना उन्हें काफी मुश्किल लग रहा है. लेकिन फिर भी वो घर पर ही थोड़ी बहुत पढ़ाई कर और घर में ही थोड़ा बहुत खेल लेते हैं जिससे वो अपना समय व्यतीत कर रहे हैं.
हालांकि उनका घर में मन नहीं लगता लेकिन कोरोना की वजह से उन्हें घर में रुकना होगा. जब कभी खेलकूद से मन भर जाता है तो वे घर के काम में माता-पिता की सहायता भी करवाते हैं. वहीं बच्चों के साथ घर में मौजूद पैरेंट्स ने बताया कि घर में बच्चों को संभालना आसान काम नहीं है. क्योंकि उन्हें घर का काम भी करना होता है. इसलिए अपना सारा काम पूरा करके नौकरी पर जाती हूं और वापस आकर फिर से काम में लग जाती हूं.
क्या है मनोचिकित्सकों की राय?
मनोचिकित्सक सुमित शर्मा ने बताया कि पूरा दिन घर में बंद रहने से बच्चों में कई तरह के मानसिक विकार भी पैदा हो सकते हैं. बच्चे तनाव का शिकार भी हो सकते हैं. ऐसे में इस दौरान बच्चों पर खास ध्यान देना काफी जरूरी है. इसका सबसे बढ़िया तरीका है कि बच्चों को पूरा दिन किसी न किसी काम में व्यस्त रखा जाए. माता-पिता को चाहिए बच्चों को सबसे ज्यादा पढ़ाई और खेलकूद में व्यस्त रखें. अगर इसके बाद भी समय बचता है तो वे उन्हें छोटे-मोटे काम दे सकते हैं. जिनको करते हुए उनका समय व्यतीत हो.
इसके अलावा वे बच्चों को प्रेरक कहानियां भी सुना सकते हैं. जिससे बच्चे प्रोत्साहित होंगे और मानसिक तनाव से भी दूर रहेंगे. इसके अलावा माता-पिता उन्हें घर के और रसोई के कामों में भी व्यस्त कर सकते हैं. बच्चों को कभी भी अकेले ना बैठने दें. जितना हो सके माता-पिता उनके आसपास ही रहें.
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