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53वां स्थापना दिवस: राजनीति से लेकर खेल तक, हरियाणा ने इन क्षेत्रों में भी स्थापित किए कीर्तिमान

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Published : Nov 1, 2019, 2:18 PM IST

आज हरियाणा 53 साल का हो गया है. हरियाणा राज्य की पहचान कभी रेतीले और कीकर के जंगलों से होती थी. लेकिन लगातार विकास के मार्ग पर चलकर इस राज्य ने उन तमाम उपलब्धियों को हासिल किया है.

आज हरियाणा 53 साल का हो गया है

चंडीगढ़: पंजाब से अलग होकर एक अलग राज्य बने हरियाणा को 53 साल हो चुके हैं. हरियाणा का गठन 1 नवंबर 1966 को हुआ था. हरियाणा के गठन के बाद यहां के युवाओं ने विश्व पटल पर अपनी प्रतिभाओं का लोहा मनवाया है

कभी रेतीले और कीकर जंगलों से होती थी हरियाणा की पहचान
हरियाणा राज्य की पहचान कभी रेतीले और कीकर के जंगलों से होती थी. लेकिन लगातार विकास के मार्ग पर चलकर इस राज्य ने उन तमाम उपलब्धियों को हासिल किया है. जिसे बाकी राज्य हासिल करने की उम्मीद पाले बैठे हैं. हरियाणा राजनीति, शिक्षा, खेल, और अमीरी सबमें बाकी राज्यों के मुकाबले आगे ही रहा.

जानें हरियाणा में पहले और अब में कितना बदलाव हुआ

हरियाणा की राजनीति बेहद खास
90 विधानसभा और 10 लोकसभा सीटों वाले इस राज्य की राजनीति भी बेहद खास है. आया राम, गया राम के रुप में दलबदल की राजनीति के लिए यह राज्य पूरे देश में पहचाना गया. प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री भगवत दयाल शर्मा से लेकर मौजूदा सीएम मनोहर लाल खट्टर तक की सियासत सत्ताधारी लोग अपने हिसाब से चलाते रहे हैं.

हरियाणा को अलग राज्य बनाने के लिए करना पड़ा संघर्ष
सन् 1952 में पहले आम चुनाव हुए, जिनमें हरियाणा क्षेत्र से चौ. देवीलाल समेत कांग्रेस के 38 विधायक चुने गए. अलग राज्य बनवाने के लिए चौ. देवीलाल एवं चौ. चरण सिंह ने उत्तरप्रदेश एवं हरियाणा क्षेत्र से 125 विधायकों का हस्ताक्षरयुक्त ज्ञापन तत्कालीन केन्द्रीय गृहमंत्री जीबी पंत को दिल्ली में दिया. 1953 में चौ. देवीलाल ने भारत सरकार द्वारा बनाए गए राज्य पुनर्गठन आयोग के सामने अलग हरियाणा राज्य बनाने की मांग रखी.
1955 में अकाली नेताओं ने धर्म के आधार पर पंजाब को बांटने की मांग रखी. उधर पंजाबी प्रांत की मांग को लेकर संत फतेहसिंह ने 16 अगस्त 1965 को आमरण अनशन की घोषणा करते हुए कहा कि - यदि सरकार ने पंजाबी सूबा नहीं बनने दिया तो वह आत्मदाह कर लेगें. केन्द्र सरकार ने पार्लियामेंटरी कमेटी की सिफारिशों को सिद्धांतिक आधार पर स्वीकार कर लिया तथा 23 अप्रैल 1966 को तीनों राज्यों के अलग-अलग गठन के लिए पंजाब सीमा आयोग का गठन किया गया.

भारत के सबसे ज्यादा करोड़पति हरियाणा से
44212 किलोमीटर के क्षेत्रफल वाला हरियाणा न सिर्फ राजनीति के लिए जाना जाता है बल्कि अपनी समृद्धि के लिए भी जाना जाता है. 1970 में जब देश के तमाम हिस्सों में बिजली एक कल्पना हुआ करती थी तब सूबे के हर गांव में बिजली पहुंच गई थी. हरियाणा देश के अमीर राज्यों में है, प्रति व्यक्ति आय के आधार पर यह देश का दूसरा सबसे धनी राज्य है. खास बात ये है कि भारत के सबसे ज्यादा करोड़पति इसी राज्य के हैं.

खेल ने हरियाणा को दी एक अलग पहचान
हरियाणा में बात अगर खेल की करें तो यहां के इसकी एक अलग ही पहचान है या यूं कहें कि हरियाणा खेलों की वजह से ही जाना जाता है. कुश्ती, मुक्केबाजी, हॉकी और निशानेबाजी जैसे खेलों में इस राज्य के खिलाड़ियों का कोई मुकाबला नहीं कर सकता. योगेश्वर दत्त, सुशील कुमार, संदीप सिंह, बबिता फोगाट जैसे तमाम दिग्गज आज विश्व स्तर पर भारत की पहचान बनाने में कामयाब रहे हैं.

हरियाणा के किसान
रेत का कटोरा कहे जाने वाले हरियाणा को किसानों ने कृषि संसाधनों की उपलब्धता और मेहनत के दम पर चंद सालों में ही धान के कटोरे में तब्दील कर दिया. इतना ही नहीं, हरित क्रांति भी प्रदेश को इस मुकाम तक पहुंचाने में अहम रही. 1 नवंबर 2017 को केंद्रीय पूल में सर्वाधिक खाद्यान्न देने का गौरव भी हरियाणा के हिस्से में ही आया था. यहां खेती ही 65 फीसद लोगों की जीविका का आधार भी है, जबकि सकल घरेलू उत्पाद में कृषि का योगदान 26.4 फीसद है. यहां के किसान भी बाकि राज्यों के मुकाबले काफी संपन्न हैं.

हरियाणा की पहचान

किसान और जवान, हुक्का और चौपाल, पगड़ी और धोती, घाघरे और कुर्ती, पहलवान और दंगल, पनघट और पहेलियां, स्वांग और रागनी तथा कड़ी मेहनत और खड़ी बोली दशकों से हरियाणा के सामाजिक परिदृश्य की विशेष पहचान हैं

कब कौन से जिले से बने?

  1. रोहतक, गुड़गांव, महेंद्रगढ़, हिसार, जींद, अंबाला और करनाल - 1 नवंबर, 1966
  2. सोनीपत, भिवानी-22 दिसंबर, 1972
  3. कुरुक्षेत्र-23 जनवरी, 1973
  4. सिरसा- 26 अगस्त, 1975
  5. यमुनानगर, रेवाड़ी, पानीपत, कैथल- 1 नवंबर, 1989
  6. पंचकूला 15 अगस्त, 1995
  7. फरीदाबाद- 15 अगस्त, 1997
  8. झज्जर, फतेहाबाद- 15 जुलाई, 1997
  9. नूंह- 4 अप्रैल, 2005
  10. पलवल-15 अगस्त, 2008
  11. चरखी दादरी- 1 दिसंबर, 2016

ये भी पढ़ें: आज 53 साल का हुआ 'म्हारा हरियाणा', राष्ट्रपति और पीएम ने दी बधाई

चंडीगढ़: पंजाब से अलग होकर एक अलग राज्य बने हरियाणा को 53 साल हो चुके हैं. हरियाणा का गठन 1 नवंबर 1966 को हुआ था. हरियाणा के गठन के बाद यहां के युवाओं ने विश्व पटल पर अपनी प्रतिभाओं का लोहा मनवाया है

कभी रेतीले और कीकर जंगलों से होती थी हरियाणा की पहचान
हरियाणा राज्य की पहचान कभी रेतीले और कीकर के जंगलों से होती थी. लेकिन लगातार विकास के मार्ग पर चलकर इस राज्य ने उन तमाम उपलब्धियों को हासिल किया है. जिसे बाकी राज्य हासिल करने की उम्मीद पाले बैठे हैं. हरियाणा राजनीति, शिक्षा, खेल, और अमीरी सबमें बाकी राज्यों के मुकाबले आगे ही रहा.

जानें हरियाणा में पहले और अब में कितना बदलाव हुआ

हरियाणा की राजनीति बेहद खास
90 विधानसभा और 10 लोकसभा सीटों वाले इस राज्य की राजनीति भी बेहद खास है. आया राम, गया राम के रुप में दलबदल की राजनीति के लिए यह राज्य पूरे देश में पहचाना गया. प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री भगवत दयाल शर्मा से लेकर मौजूदा सीएम मनोहर लाल खट्टर तक की सियासत सत्ताधारी लोग अपने हिसाब से चलाते रहे हैं.

हरियाणा को अलग राज्य बनाने के लिए करना पड़ा संघर्ष
सन् 1952 में पहले आम चुनाव हुए, जिनमें हरियाणा क्षेत्र से चौ. देवीलाल समेत कांग्रेस के 38 विधायक चुने गए. अलग राज्य बनवाने के लिए चौ. देवीलाल एवं चौ. चरण सिंह ने उत्तरप्रदेश एवं हरियाणा क्षेत्र से 125 विधायकों का हस्ताक्षरयुक्त ज्ञापन तत्कालीन केन्द्रीय गृहमंत्री जीबी पंत को दिल्ली में दिया. 1953 में चौ. देवीलाल ने भारत सरकार द्वारा बनाए गए राज्य पुनर्गठन आयोग के सामने अलग हरियाणा राज्य बनाने की मांग रखी.
1955 में अकाली नेताओं ने धर्म के आधार पर पंजाब को बांटने की मांग रखी. उधर पंजाबी प्रांत की मांग को लेकर संत फतेहसिंह ने 16 अगस्त 1965 को आमरण अनशन की घोषणा करते हुए कहा कि - यदि सरकार ने पंजाबी सूबा नहीं बनने दिया तो वह आत्मदाह कर लेगें. केन्द्र सरकार ने पार्लियामेंटरी कमेटी की सिफारिशों को सिद्धांतिक आधार पर स्वीकार कर लिया तथा 23 अप्रैल 1966 को तीनों राज्यों के अलग-अलग गठन के लिए पंजाब सीमा आयोग का गठन किया गया.

भारत के सबसे ज्यादा करोड़पति हरियाणा से
44212 किलोमीटर के क्षेत्रफल वाला हरियाणा न सिर्फ राजनीति के लिए जाना जाता है बल्कि अपनी समृद्धि के लिए भी जाना जाता है. 1970 में जब देश के तमाम हिस्सों में बिजली एक कल्पना हुआ करती थी तब सूबे के हर गांव में बिजली पहुंच गई थी. हरियाणा देश के अमीर राज्यों में है, प्रति व्यक्ति आय के आधार पर यह देश का दूसरा सबसे धनी राज्य है. खास बात ये है कि भारत के सबसे ज्यादा करोड़पति इसी राज्य के हैं.

खेल ने हरियाणा को दी एक अलग पहचान
हरियाणा में बात अगर खेल की करें तो यहां के इसकी एक अलग ही पहचान है या यूं कहें कि हरियाणा खेलों की वजह से ही जाना जाता है. कुश्ती, मुक्केबाजी, हॉकी और निशानेबाजी जैसे खेलों में इस राज्य के खिलाड़ियों का कोई मुकाबला नहीं कर सकता. योगेश्वर दत्त, सुशील कुमार, संदीप सिंह, बबिता फोगाट जैसे तमाम दिग्गज आज विश्व स्तर पर भारत की पहचान बनाने में कामयाब रहे हैं.

हरियाणा के किसान
रेत का कटोरा कहे जाने वाले हरियाणा को किसानों ने कृषि संसाधनों की उपलब्धता और मेहनत के दम पर चंद सालों में ही धान के कटोरे में तब्दील कर दिया. इतना ही नहीं, हरित क्रांति भी प्रदेश को इस मुकाम तक पहुंचाने में अहम रही. 1 नवंबर 2017 को केंद्रीय पूल में सर्वाधिक खाद्यान्न देने का गौरव भी हरियाणा के हिस्से में ही आया था. यहां खेती ही 65 फीसद लोगों की जीविका का आधार भी है, जबकि सकल घरेलू उत्पाद में कृषि का योगदान 26.4 फीसद है. यहां के किसान भी बाकि राज्यों के मुकाबले काफी संपन्न हैं.

हरियाणा की पहचान

किसान और जवान, हुक्का और चौपाल, पगड़ी और धोती, घाघरे और कुर्ती, पहलवान और दंगल, पनघट और पहेलियां, स्वांग और रागनी तथा कड़ी मेहनत और खड़ी बोली दशकों से हरियाणा के सामाजिक परिदृश्य की विशेष पहचान हैं

कब कौन से जिले से बने?

  1. रोहतक, गुड़गांव, महेंद्रगढ़, हिसार, जींद, अंबाला और करनाल - 1 नवंबर, 1966
  2. सोनीपत, भिवानी-22 दिसंबर, 1972
  3. कुरुक्षेत्र-23 जनवरी, 1973
  4. सिरसा- 26 अगस्त, 1975
  5. यमुनानगर, रेवाड़ी, पानीपत, कैथल- 1 नवंबर, 1989
  6. पंचकूला 15 अगस्त, 1995
  7. फरीदाबाद- 15 अगस्त, 1997
  8. झज्जर, फतेहाबाद- 15 जुलाई, 1997
  9. नूंह- 4 अप्रैल, 2005
  10. पलवल-15 अगस्त, 2008
  11. चरखी दादरी- 1 दिसंबर, 2016

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Intro:एंकर -
पंजाब से साल 1966 में 1 नवंबर को अलग हुए हरियाणा प्रदेश ने करीब 53 साल में जो तरक्की की है वह सभी के सामने है । हरियाणा के गठन की लंबी मांग 1 नवंबर 1966 में पूरी हुई थी जिसके बाद हरियाणा धीरे-धीरे विकास के पथ पर अग्रसर हुआ और आज हरियाणा देश के विकासशील प्रदेशो में काफी आगे नजर आता है । गठन के बाद से हरियाणा में अलग-अलग राजनीतिक दल सत्ता में रहे और हरियाणा की तरक्की का श्रेय कहीं ना कहीं राजनीतिक दलों और हरियाणा के लोगों के भी मेहनत को जाता है । हरियाणा आज खेलो में सबसे आगे है इज़के साथ ही अपनी अलग संस्कृति , भाषा के लिए भी जाना है । राजनीतिक जानकर मानते है पंजाब का हिस्सा रहते हुए हरियाणा में ऐसी तररकी सम्भव नही हो पाती । वहीं हरियाणा राजनीति समेत कई क्षेत्रों में अपना प्रभाव जमाया है जबकि 1966 से पहले पंजाब के सभी मुख्यमंत्री पंजाब क्षेत्र से ही थे उतना बड़ा नेतृव हरियाणा को नही मिल पाता था । हालांकि पंजब से अलग होकर तररकी की अपनी अलग इबारत लिखने वाले हरियाणा और पंजाब के बीच आज भी पानी और राजधानी का मुद्दा उलझा हुआ है ।


Body:वीओ -
पंजाब में अपने क्षेत्रों को तरक्की एवं विकास समेत सभी क्षेत्रों में पूरे नेतृत्व जैसे कई मांगों को लेकर पंजाब से अलग हुए हरियाणा ने अपने 53 साल के सफर में हरियाणा ने जहां कई बड़ी उपलब्धियां हासिल की वहीं देश के विकास शील प्रदेशों में भी आग ने नहीं है कतार में खड़ा है । 1 नवंबर 1966 को पंजाब से अलग हुए हरियाणा के उस समय के हालातों की बात की जाए तो हरियाणा के समक्ष कई तरह की चुनौतियां सामने थी जिसमें बजट से लेकर अपनी अलग व्यवस्था बनाने समय कई चुनौतियों को पार करते हुए हरियाणा ने शानदार विकास की इबारत लिखी है । राजनीतिक विश्लेषकों की माने तो पंजाब से अलग होकर हरियाणा अपनी अलग संस्कृति अलग भाषा की अलग पहचान बना ली है । हालांकि पंजाब में रहते हुए ऐसा हो पाना मुश्किलों भरा था वही बड़े प्रदेशों से अलग हुए छोटे राज्यों उत्तराखंड हिमाचल छत्तीसगढ़ समेत कई राज्यों ने अलग होकर अपनी न केवल पहचान बनाई बल्कि विकास के पथ पर अग्रसर है । राजनीतिक विश्लेषक प्रोफेसर गुरमीत सिंह ने कहा कि हरियाणा आज पंजाब से किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं है बात चाहे खेलो की , बजट , तरक्की , राजनीति , शिक्षा समेत सभी क्षेत्रो मे हरियाणा ने अपना नाम चमकाया है । उन्होंने बताया कि फरीदाबाद गुरुग्राम पंचकूला जैसे कई हरियाणा के जिले ऐसे हैं जिनकी विकास के नाम पर देश व दुनिया भर में पहचान है । वहीं पंजाब में जो हालात नशे के मुद्दे को लेकर हैं हरियाणा में अभी हालात इतने खराब नहीं है ।

इन कारणों से आगे बढ़ना था मुश्किल -
पंजाब में रहते हुए हरियाणा कि इतने बड़े राज्य में तरक्की हो पाना बेहद मुश्किलों भरा था राजनीतिक तौर पर भी वह नेतृत्व हरियाणा को नहीं मिल पाता था जो पंजाब हंसी या पंजाब के नेताओं को मिला । 1966 से पहले सभी पंजाबी क्षेत्रो से मुख्यमंत्री रहे । वहीं पंजाब का अपनी एक अलग संस्कृति भाषा है जिसके 20 से हरियाणा के अलग भाषा एवं संस्कृति को बाहर आने अपनी अलग पहचान बनाने एवं उभरने में कई चुनोतियाँ पेश आ सकती थी ।

खेलो में आगे -
हरियाणा में अलग-अलग गेम्स में मेडल जीतकर देश का नाम रोशन करने वाले पदक विजेताओं में संख्या हरियाणा की सबसे रहती है । कुश्ती समेत कई खेलो में हरियाणा काफी आगे है ।

अलग होकर भी विवाद -
पंजाब से अलग होकर हरियाणा और पंजाब के बीच जो समझौते हुए थे उनमें राजधानी एवं एसवाईएल नहर के पानी का पेज अभी तक फंसा है जिन पर पेंच अभी फंसा हुआ है ।




Conclusion:वीओ -
गौरतलब है कि हरियाणा ने पंजाब से अलग होकर विकास की नई इबारत लिखी है और लगातार विकास के पथ पर अग्रसर है । दोनों प्रदेशो की तुलना में हरियाणा पिछले समय मे आगे बढ़ता गया है ।
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