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बड़ी खबर: फसल का बीमा करवाना अब पूरी तरह से किसानों की इच्छा पर करेगा निर्भर - हरियाणा फसल बीमा नियम बदलाव

हरियाणा में किसान अंतिम तिथि से 7 दिन पहले स्वयं घोषणापत्र देकर प्रधानमंत्री फसल बीमा न करवाने की सूचना दे सकते हैं. राज्य सरकार ने एक अधिसूचना जारी करके ये फैसला लिया है.

concession on bima yojna haryana
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Published : Jul 23, 2020, 10:12 PM IST

चंडीगढ़: हरियाणा में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत फसलों का बीमा करवाना अब पूरी तरह से किसानों की इच्छा पर निर्भर करेगा. राज्य सरकार ने बाकायदा एक अधिसूचना जारी करके किसानों की सुविधा के लिए इस योजना को पूर्णत: स्वैच्छिक करने का निर्णय लिया है.

कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के एक प्रवक्ता ने गुरुवार को ये जानकारी देते हुए बताया कि अब किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) धारक किसान भी अंतिम तिथि से 7 दिन पहले अपने बैंक में स्वयं घोषणापत्र देकर फसल बीमा न करवाने की सूचना दे सकते हैं. इसके अलावा, जो किसान फसल बीमा में अपनी फसल बदलवाना चाहते हैं, वे अंतिम तिथि से 2 दिन पहले बैंक को लिखित में सूचित कर सकते हैं.

फसलों को प्राकृतिक आपदा व जोखिम से बचाने के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना खरीफ 2016-17 से चल रही है. राज्य सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की अधिसूचना खरीफ 2020 से रबी 2022-23 तक कर दी है. उन्होंने बताया कि जिन किसानों ने बैंक के माध्यम से फसली ऋण लिया हुआ है और वे इस स्कीम में शामिल नहीं होना चाहते तो उन्हें एक घोषणापत्र बैंक में देना होगा.

ये भी पढ़ें- हरियाणा में 12वीं ओपन का परिणाम घोषित, सिर्फ 33 फीसदी छात्र पास

बैंक में अपनी फसल बीमा न करवाने का घोषणापत्र संबंधित बैंक मैनेजर को 24 जुलाई 2020 से पहले लिखित में देना होगा. इसके अतिरिक्त, जिन किसानों के पास किसान क्रेडिट कार्ड नहीं है, वे सांझा सेवा केंद्र अथवा बैंक के माध्यम से आवश्यक दस्तावेजों के साथ अपनी फसलों का बीमा करवा सकते हैं. बीमा करवाने के लिए जमीन की फर्द, आधार कार्ड, बैंक की कॉपी, जमीन का किरायानामा, फोटो व फसल बिजाई का प्रमाण पत्र देना होगा.

इस स्कीम के तहत तीन प्रकार के जोखिमों को कवर किया जाता है. इसमें प्रथम जोखिम के तहत खड़ी फसल में बीमारी, सूखा, बाढ़, जलभराव एवं तूफान के कारण होने वाले नुकसान को पैदावार के आधार पर कवर किया जाता है. इसके तहत बीमित फसल के लिए हर गांव में फसल कटाई प्रयोग किए जाते हैं. दूसरे जोखिम के अंतर्गत फसल कटने के 14 दिन तक यदि ओलावृष्टि, जलभराव, चक्रवाती बरसात या गैर-मौसमी बरसात से नुकसान होता है तो व्यक्तिगत स्तर पर सर्वे उपरांत नुकसान की भरपाई की जाती है.

तीसरे जोखिम के अंतर्गत स्थानीय आपदाओं के तहत किसान की फसल कटाई से 15 दिन पहले ओलावृष्टि, जलभराव, बादल फटने व आसमानी बिजली के कारण हुए नुकसान के लिए 72 घंटे में सूचना देकर फसल का सर्वे नोटिफाइड कमेटी द्वारा किया जाता है. इसमें खंड कृषि अधिकारी, कृषि विकास अधिकारी, कंपनी के नुमाइंदे शामिल होते हैं और सर्वे स्वयं किसान की मौजूदगी में किया जाता है. इसमें मुख्य रूप से हानि प्रतिशत व नुकसान का कारण लिखा जाता है.

ये भी पढ़ें- चरखी दादरी में ओवरफ्लो होने से टूटी नहर, सैकड़ों एकड़ फसल जलमग्न

चंडीगढ़: हरियाणा में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत फसलों का बीमा करवाना अब पूरी तरह से किसानों की इच्छा पर निर्भर करेगा. राज्य सरकार ने बाकायदा एक अधिसूचना जारी करके किसानों की सुविधा के लिए इस योजना को पूर्णत: स्वैच्छिक करने का निर्णय लिया है.

कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के एक प्रवक्ता ने गुरुवार को ये जानकारी देते हुए बताया कि अब किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) धारक किसान भी अंतिम तिथि से 7 दिन पहले अपने बैंक में स्वयं घोषणापत्र देकर फसल बीमा न करवाने की सूचना दे सकते हैं. इसके अलावा, जो किसान फसल बीमा में अपनी फसल बदलवाना चाहते हैं, वे अंतिम तिथि से 2 दिन पहले बैंक को लिखित में सूचित कर सकते हैं.

फसलों को प्राकृतिक आपदा व जोखिम से बचाने के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना खरीफ 2016-17 से चल रही है. राज्य सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की अधिसूचना खरीफ 2020 से रबी 2022-23 तक कर दी है. उन्होंने बताया कि जिन किसानों ने बैंक के माध्यम से फसली ऋण लिया हुआ है और वे इस स्कीम में शामिल नहीं होना चाहते तो उन्हें एक घोषणापत्र बैंक में देना होगा.

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बैंक में अपनी फसल बीमा न करवाने का घोषणापत्र संबंधित बैंक मैनेजर को 24 जुलाई 2020 से पहले लिखित में देना होगा. इसके अतिरिक्त, जिन किसानों के पास किसान क्रेडिट कार्ड नहीं है, वे सांझा सेवा केंद्र अथवा बैंक के माध्यम से आवश्यक दस्तावेजों के साथ अपनी फसलों का बीमा करवा सकते हैं. बीमा करवाने के लिए जमीन की फर्द, आधार कार्ड, बैंक की कॉपी, जमीन का किरायानामा, फोटो व फसल बिजाई का प्रमाण पत्र देना होगा.

इस स्कीम के तहत तीन प्रकार के जोखिमों को कवर किया जाता है. इसमें प्रथम जोखिम के तहत खड़ी फसल में बीमारी, सूखा, बाढ़, जलभराव एवं तूफान के कारण होने वाले नुकसान को पैदावार के आधार पर कवर किया जाता है. इसके तहत बीमित फसल के लिए हर गांव में फसल कटाई प्रयोग किए जाते हैं. दूसरे जोखिम के अंतर्गत फसल कटने के 14 दिन तक यदि ओलावृष्टि, जलभराव, चक्रवाती बरसात या गैर-मौसमी बरसात से नुकसान होता है तो व्यक्तिगत स्तर पर सर्वे उपरांत नुकसान की भरपाई की जाती है.

तीसरे जोखिम के अंतर्गत स्थानीय आपदाओं के तहत किसान की फसल कटाई से 15 दिन पहले ओलावृष्टि, जलभराव, बादल फटने व आसमानी बिजली के कारण हुए नुकसान के लिए 72 घंटे में सूचना देकर फसल का सर्वे नोटिफाइड कमेटी द्वारा किया जाता है. इसमें खंड कृषि अधिकारी, कृषि विकास अधिकारी, कंपनी के नुमाइंदे शामिल होते हैं और सर्वे स्वयं किसान की मौजूदगी में किया जाता है. इसमें मुख्य रूप से हानि प्रतिशत व नुकसान का कारण लिखा जाता है.

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