चंडीगढ़: पूरे देश में विजयादशमी की धूम है. नवरात्र में मां दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त करने के बाद दशहरा का उत्सव मनाया जाता है. हर साल ये त्योहार अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है. इस बार यह तिथि 8 अक्टूबर दिन मंगलवार यानी आज है.
चंडीगढ़ में दुनिया का सबसे बड़ा रावण
बात हरियाणा की करें तो यहां पर भी दशहरे की खूब धूम देखने को मिली. चंडीगढ़ में दुनिया का सबसे बड़ा रावण धनास ग्राउंड पर खड़ा हो चुका है. 221 फीट ऊंचा रावण का यह पुतला न तो गलेगा और न ही गिरेगा. रावण को वॉटरप्रूफ बनाया गया है. ढाई लाख वर्ग फीट के घेरे में रावण के पुतले को खड़ा किया गया है. उस घेरे में किसी को भी जाने की इजाजत नहीं है. पुतले का करीब 800 फीट की दूरी पर खड़े होकर रिमोट से दहन किया जाएगा.
दशहरे का मेला
इतना ही नहीं अंबाला, करनाल, फरीबाद, गुरुग्राम समेत कई जिलों में दशहरें कि तैयारियां बहुत जोर-शोर से की गई हैं. बच्चों के लिए मेले का आयोजन भी किया गया है.
जानें क्यों मनाई जाती है विजयादशमी
- दशहरा मनाए जाने को लेकर कई मान्यताएं प्रचलित हैं:
- एक कथा के मुताबिक महिषासुर नाम का एक बड़ा शक्तिशाली राक्षस था. उसने अमर होने के लिए ब्रह्मा की कठोर तपस्या की. ब्रह्माजी ने उसकी तपस्या से खुश होकर उससे वरदान मांगने के लिए कहा. महिषासुर ने अमर होने का वरदान मांगा. इस पर ब्रह्माजी ने उससे कहा कि जो इस संसार में पैदा हुआ है उसकी मृत्यु निश्चित है इसलिए जीवन और मृत्यु को छोड़कर जो चाहे मांग सकते हो. ब्रह्मा की बातें सुनकर महिषासुर ने कहा कि फिर उसे ऐसा वरदान चाहिए कि उसकी मृत्यु देवता और मनुष्य के बजाए किसी स्त्री के हाथों हो. ब्रह्माजी से ऐसा वरदान पाकर महिषासुर राक्षसों का राजा बन गया और उसने देवताओं पर आक्रमण कर दिया. देवता युद्ध हार गए और देवलोकर पर महिषासुर का राज हो गया. महिषासुर से रक्षा करने के लिए सभी देवताओं ने भगवान विष्णु के साथ आदि शक्ति की आराधना की. इस दौरान सभी देवताओं के शरीर से एक दिव्य रोशनी निकली जिसने देवी दुर्गा का रूप धारण कर लिया. शस्त्रों से सुसज्जित मां दुर्गा ने महिषासुर से नौ दिनों तक भीषण युद्ध करने के बाद 10वें दिन उसका वध कर दिया. इसलिए इस दिन को विजयदशमी के रूप में मनाया जाता है. महिषासुर का नाश करने की वजह से दुर्गा मां महिषासुरमर्दिनी नाम से प्रसिद्ध हो गईं.
- एक दूसरी कथा के मुताबिक भगवान श्री राम ने लगातार नौ दिनों तक लंका में रहकर रावण से युद्ध किया. फिर 10वें दिन उन्होंने रावण की नाभि में तीर मारकर उसका वध कर दिया था. कहते हैं कि भगवान श्री राम ने मां दूर्गा की पूजा कर शक्ति का आह्वान किया था. श्री राम की परीक्षा लेते हुए मां दुर्गा ने पूजा के लिए रखे गए कमल के फूलों में से एक फूल को गायब कर दिया. राम को कमल नयन कहा जाता था इसलिए उन्होंने अपना एक नेत्र मां को अर्पण करने का निर्णय लिया. ज्यों ही वह अपना नेत्र निकालने लगे देवी प्रसन्न होकर उनके समक्ष प्रकट हुईं और विजयी होने का वरदान दिया. फिर दशमी के दिन श्री राम ने रावण का वध कर दिया.
कैसे मनाया जाता है दशहरा ?
दशहरा का त्योहार देश भर में पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. नवरात्रि के नौ दिनों बाद 10वें दिन देश के अलग-अलग कोनों में रावण दहन और मेलों का आयोजन होता है. इस दिन रावण, कुंभकरण और मेघनाद के पुतले जलाए जाते हैं. दशमी के दिन दुर्गा पंडालों पर विशेष पूजा होती है. स्त्रियां मां दुर्गा को सिंदूर चढ़ाती हैं और फिर एक-दूसरे को भी सिंदूर लगाती हैं. इसे सिंदूर खेला कहा जाता है. इसके बाद दुर्गा मां की प्रतिमा को विसर्जन के लिए ले जाया जाता है. इस दिन क्षत्रिय शस्त्र पूजा करते हैं, जबकि ब्राह्मण शास्त्रों का पूजन करते हैं. वहीं व्यापार से जुड़े वैश्य लोग अपने प्रतिष्ठान और गल्ले की पूजा करते हैं. साथ ही नई दुकान या कारोबार का शुभारंभ भी करते हैं. दरअसल, प्राचीन काल में क्षत्रिय युद्ध पर जाने के लिए इस दिन का ही चुनाव करते थे. ब्राह्मण दशहरा के ही दिन विद्या ग्रहण करने के लिए अपने घर से निकलता था. मान्यता है कि दशहरा के दिन शुरू किए गए काम में विजय अवश्य मिलती है. विजयदशमी पर शमी के वृक्ष की पूजा का भी विधान है.
विजय मुहूर्त: 08 अक्टूबर 2019 को दोपहर 02 बजकर 41 मिनट से दोपहर 02 बजकर 51 मिनट तक
कुल अवधि: 46 मिनट
अपराह्न पूजा का समय: 08 अक्टूबर 2019 को दोपहर 01 बजकर 18 मिनट से दोपहर 03 बजकर 37 मिनट तक
कुल अवधि: 02 घंटे 19 मिनट
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