चंडीगढ़: कोरोना (Corona virus cases) की बढ़ती रफ्तार पर अब ब्रेक लग चुकी है और पहले के मकुाबले देश में कोरोना के मामले बहुत हो गए हैं. लेकिन स्वास्थ्य विभाग की चिंता अभी भी कम नहीं हुई है. विभाग को कोरोना की तीसरी लहर (Corona virus third wave) का डर सता रहा है. बहुत से लोग ऐसे भी हैं जिनकी लापरवाही की वजह से कोरोना के मामले बढ़ने लगते हैं जिसका खामियाजा पूरे देश को भूगतना पड़ता है.
कोरोना की तीसरी लहर कब तक दस्तक दे सकती है और इससे बचने के लिए क्या सावधानी बरतें इसको लेकर ईटीवी भारत ने चंडीगढ़ पीजीआई (Chandigarh PGI) के प्रोफेसर सोनू गोयल से खास बातचीत की. उन्होंने कहा कि अगर इस वक्त कोरोना के मामले कम आ रहे हैं तो इसका ये मतलब नहीं है कि हमने इस महामारी पर पूरी तरह से नियंत्रण पा लिया है. उन्होंने कहा कि जैसे कोरोना की दूसरी लहर कोरोनी की पहली लहर के काफी अंतराल के बाद आई थी वैसे ही तीसरी लहर भी कुछ समय बाद दस्तक देगी.
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प्रो.सोनू गोयल ने कहा कि कोरोना की तीसरी लहर से बचने का केवल एक ही तरीका है और वो ये है कि हम कोरोना प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन करें. उन्होंने कहा कि कोरोना की तीसरी लहर में मरीजों की संख्या तो बढ़ सकती है लेकिन मृत्यू दर में कमी आ सकती है. क्योंकि अभी तक बहुत से लोगों में एंटीबॉडी (Antibody) बन गई है और 60 से 70 प्रतिशत जनसंख्या कोरोना वैक्सीन (corona vaccine) लगवा चुकी है.
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वहीं बच्चों पर कोरोना की तीसरी लहर का कितना प्रभाव होगा और स्कूल खुलने से कोरोना का खतरा बढ़ सकता है या नहीं, इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि बच्चों को अभी तक वैक्सीन नहीं लग पाई है. इसलिए बच्चों पर कोरोना का खतरा मंडरा रहा है. हालांकि अभी तक बच्चे बड़ों के मुकाबले कम ही कोरोना की चपेट में आए हैं. उन्होंने कहा कि बच्चों में कोरोना वायरस की चपेट में आने वाली कोशिकाएं अच्छी तरह से डेवलप नहीं हुई होती इसलिए उनको कोरोना होने की कम संभावना होती है.
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प्रो.सोनू गोयल ने कहा कि स्कूलों को भी ज्यादा दिनों तक बंद नहीं किया जा सकता क्योंकि स्कूल बंद रहने से बच्चे तनाव और डिप्रेशन का शिकार हो रहे हैं. उनके मानसिक संतुलन पर बुरा प्रभाव पढ़ रहा है इसीलिए हमें इस बारे में भी सोचना होगा की बच्चों को कैसे मानसिक रूप से फिट रखा जाए. इसलिए स्कूल खोलना भी जरूरी है लेकिन तब कोरोना नियमों का सख्ती से पालन किए जाना भी जरूरी है.