चंडीगढ़: सत्ता की हनक होती ही कुछ ऐसी है जिसे मिल जाए वो खुद को तीस मार खां समझता है. ऐसा ही राजनीति का क्रेज हरियाणा में इस विधानसभा चुनाव में नजर आया. क्या डॉक्टर, क्या प्रोफेसर, क्या खिलाड़ी, क्या पीआर ये सब अपनी नौकरी छोड़ राजनीति के दंगल में हाथ आजमा रहे हैं. जानें ऐसे चुनिंदा उम्मीदवारों के बारे में...
विदेश में 1 करोड़ की नौकरी छोड़कर चुनाव लड़ रही नौक्षम चौधरी
लंदन में पब्लिक रिलेशन की 1 करोड़ रुपए की नौकरी छोड़कर नौक्षम चौधरी हरियाणा के सबसे पिछड़े जिलों में से एक मेवात के पुन्हाना विधानसभा में चुनाव लड़ने उतरी हैं. नौक्षम बीजेपी की सीट पर चुनावी मैदान में हैं.
डिप्टी सीएमओ राकेश कुमार वीआरएस लेकर राजनीति में आए
सबसे पहले बात करेंगे डिप्टी सीएमओ राकेश कुमार की, जो वीआरएस लेकर राजनीति में आए हैं. आरएसएस से जुड़ाव की वजह से इन्हें चुनाव लड़ने का मौका मिला है. डॉ. राकेश कुमार झज्जर से मौजूदा कांग्रेस विधायक गीता भुक्कल के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं.
पुलिस की नौकरी छोड़कर योगेश्वर और बबीता फोगाट चुनावी रण में उतरे
बबीता फोगाट और योगेश्वर दत्त अपनी पुलिस की नौकरी छोड़कर बीजेपी के टिक पर चुनाव लड़ रहे हैं. बबीता चरखी दादरी से तो योगेश्वर बरोदा विधानसभा सीट पर चुनाव लड़ रहे हैं.
यूनिवर्सिटी से छुट्टी लेकर संतोष दहिया एक बार फिर लड़ रही चुनाव
जेजेपी से लाडवा सीट पर चुनाव लड़ रही डॉ. संतोष दहिया कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी में बतौर लेक्चरर कार्यरत हैं. यूनिवर्सिटी में ऑन लीव होकर वो चुनाव लड़ रही हैं. संतोष दहिया 2014 में बेरी विधानसभा से इनेलो की सीट पर भी चुनाव लड़ चुकी हैं.
लाखों की सैलरी छोड़कर अरुण भी चुनावी मैदान में उतरे
बल्लभगढ़ विधानसभा से बहुजन समाज पार्टी की सीट पर चुनाव लड़ रहे अरुण बैसला पेटीएम से इंजीनियर की नौकरी छोड़कर आए हैं. आर्मी इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग से इंजीनियरिंग ग्रेजुएट अरुण की अच्छी खासी तनख्वाह थी. उनके दादा चौधरी सुमेर सिंह आजादी से पहले और आजादी के बाद विधायक रहे.
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