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15 साल बाद सत्ता में वापस आया चौटाला परिवार, कल शपथ ग्रहण समारोह में मौजूद होंगे अजय चौटाला - दुष्यंत चौटाला न्यूज

जेजेपी सुप्रीमो दुष्यंत चौटाला के पिता अजय चौटाला दो हफ्ते के लिए फरलो पर जेल से बाहर आएंगे. अजय चौटाला शिक्षक भर्ती घोटाला मामले में अभी तिहाड़ जेल में बंद हैं.

दो हफ्ते की फरलो पर बाहर आ रहे अजय चौटाला
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Published : Oct 26, 2019, 5:03 PM IST

Updated : Oct 26, 2019, 5:33 PM IST

चंडीगढ़: बीजेपी को समर्थन देते ही दुष्यंत चौटाला को बड़ी खुशखबरी मिली है. जेजेपी नेता दुष्यंत चौटाला के पिता अजय चौटला को 2 हफ्ते के लिए जेल से छुट्टी मिल गई है. यानी कि अजय चौटाला दो हफ्ते के फरलो पर जेल से बाहर आ रहे हैं.

फरलो पर जेल से बाहर आ रहे अजय चौटाला
आपको बता दें कि अजय सिंह चौटाला हरियाणा राजनीति में मजबूत पकड़ रखने वाले चौटाला परिवार से आते हैं. इनके पिता ओमप्रकाश चौटाला व दादा चौधरी देवी लाल हरियाणा के माने जाने जाट नेता और मुख्यमंत्री रहे हैं. वर्तमान में अजय सिंह चौटाला अपने पिता ओमप्रकाश चौटाला के साथ तिहाड़ जेल में सजा काट रहे है.

सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा के बहुचर्चित शिक्षक भर्ती घोटाले में उन्हें 10 साल की सजा सुनाई थी. इनकी पत्नी नैना चौटाला भी हरियाणा राजनीति में सक्रिय हैं. इनके दो बेटे दुष्यंत और दिग्विजय चौटाला हैं जो मौजूदा वक्त में पिता की अनुपस्थिति में परिवार से अलग पार्टी बनाकर अपनी राजनीतिक पहचान बनाने में लगे हुए हैं. पारिवारिक घमासान के बीच बेटे दुष्यंत चौटाला ने जननायक जनता दल नामक अपनी अलग पार्टी बनाई है.

अजय चौटाला का राजनीतिक जीवन

  • अजय सिंह चौटाला का जन्म हरियाणा के सिरसा में 13 मार्च 1961 को चौटाला परिवार में हुआ था
  • इनके पिता ओमप्रकाश चौटाला इंडियन नेशनल लोकदल के मुख्य नेता हैं
  • अजय ने हरियाणा के कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से स्नातक किया
  • राजस्थान विश्वविद्यालय से अजय चौटाला ने एम. ए. और कानून की डिग्री ली
  • 1980 में अजय चौटाला ने सक्रिय राजनीति में कदम रखा
  • अजय चौटाला राजस्थान से दो बार विधायक रहे
  • 1999 में हरियाणा की भिवानी लोकसभा सीट से पहली बार सांसद बने
  • 2004 में अजय चौटाला राज्यसभा के निर्वाचित हुए
  • 2009 में अंतिम बार हरियाणा के डबवाली से विधायक बने
  • 2013 में शिक्षक भर्ती घोटाले में नाम आने के बाद उनको 10 साल की सजा सुनाई गई

क्या था शिक्षक भर्ती घोटाला
दिल्ली की एक अदालत ने तीन हजार से अधिक शिक्षकों की अवैध भर्ती के मामले में हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला समेत 54 अन्य को दोषी ठहराया. इस मामले में अजय चौटाला भी दोषी करार दिए गए हैं. अदालत ने इस घोटाले में कुल 55 लोगों को दोषी करार दिया. ये घोटाला 1999 से 2000 के बीच का है जब 3 हज़ार से ज़्यादा शिक्षकों की भर्ती की गई थी. शिक्षा विभाग के ही एक आईएएस अफसर संजीव कुमार की शिकायत पर इस घोटाले का खुलासा हुआ। सुप्रीम कोर्ट ने जांच सीबीआई को सौंप दी थी. मामले में ये बात साबित हुई कि जेबीटी भर्ती में नौकरी पाने वाले हर व्यक्ति से 3 से 5 लाख रुपए की रिश्वत ली गई थी.

2013 में हुआ चौटाला परिवार में फूट का आगाज
साल 2013 में चौटाला परिवार में फूट की शुरुआत हुई. जब देवीलाल चौटाला के बेटे ओपी चौटाला और पोते अजय चौटाला जेबीटी घोटाले में 10 साल के लिए जेल गए. इसके बाद INLD की कमान अभय चौटाला के हाथ में आ गई. 2014 के चुनाव में अजय चौटाला के बड़े बेटे दुष्यंत चौटाला राजनीति में आए. 2014 में दुष्यंत हिसार लोकसभा सीट से कुलदीप बिश्नोई को हराकर सबसे युवा सांसद बने.

दो खेमों में बंट गई पार्टी
दुष्यंत के सांसद बनने के बाद ही राज्य में हुए विधानसभा चुनाव में पार्टी हार गई. कारण था दुष्यंत के सांसद बनने के बाद पार्टी का दो खेमों में बंट जाना. पार्टी का एक गुट अभय चौटाला के साथ हो गया और दूसरा दुष्यंत के साथ. 2018 में पार्टी की फूट पूरी तरह से सामने आ गई. ओमप्रकाश चौटाला ने दुष्यंत और दिग्विजय को पार्टी से बाहर निकाल दिया. इनेलो की कमान अभय के पास पूरी तरह से आ गई.

दिसंबर 2018 में दुष्यंत ने नई पार्टी का किया गठन
दिसंबर 2018 में दुष्यंत चौटाला ने जेजेपी की नींव रखी. जेजेपी को आगाज करते ही हार का सामना करना पड़ा.

हरियाणा की राजनीति देवीलाल की बोलती थी तूती
कहते हैं कि एक जमाने में हरियाणा में देवीलाल की राजनीति में तूती बोलती थी. करीब 4 दशकों तक इनके परिवार ने राज्य की राजनीति को तय किया है. आज भी राज्य में मजबूत पकड़ बना रखी है. इनकी तीसरी और चौथी पीढ़ी राजनीतिक मैदान में है.

देवीलाल का जन्म हरियाणा के सिरसा जिले के तेजाखेड़ा गांव में साल1912 में हुआ था. 15 साल की उम्र में वे देश की आजादी की लड़ाई में शामिल हो गए. 1930 में महात्मा गांधी के आंदोलन में शामिल हुए तो जेल जाना पड़ा. 1938 में देवीलाल कांग्रेस में शामिल हुए. 1942 में देवीलाल को 'अंग्रेजो भारत छोड़ो' आंदोलन के दौरान करीब दो साल तक जेल में रहना पड़ा.

1952 में देवीलाल ने सक्रिय राजनीति का किया आगाज
देवीलाल 1952 में पहली बार पंजाब विधानसभा के सदस्य बने. 1956 में पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष बने. लेकिन इसके बाद देवीलाल ने हरियाणा को अलग राज्य बनाने की लड़ाई छेड़ दी. 1966 में हरियाणा राज्य बन गया. 1971 में देवीलाल ने कांग्रेस छोड़ दी. इमरजेंसी में जेल गए.

1977 में जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़े. पहली बार राज्य के सीएम बने. लेकिन भजनलाल के पार्टी तोड़ने के कारण देवीलाल दो साल ही सीएम रह पाए. 1987 में देवीलाल ने लोकदल बना लिया. इसी साल उन्होंने हरियाणा में सरकार बना ली. 1989 में देवीलाल जनता दल सरकार में शामिल हो गए. उन्हें वीपी सिंह और चंद्रशेखर सरकार में उपप्रधानमंत्री की कुर्सी मिली.

ओपी चौटाला ने 1989 में की राजनीति में शुरुआत
जब देवीलाल डिप्टी पीएम बने तो उनके बेटे ओमप्रकाश चौटाला हरियाणा के मुख्यमंत्री बने. इसके बाद ओमप्रकाश चौटाला 1989 से 91 तक मुख्यमंत्री रहे. 1991 में देवीलाल लोकसभा चुनाव हारे और यहीं से उनकी राजनीतिक यात्रा समाप्त हो गई. 1999 में ओमप्रकाश चौटाला ने भाजपा की मदद से हरियाणा में सरकार बनाई. 2005 तक वे हरियाणा के सीएम बने. 2001 में देवीलाल का देहांत हो गया.

ये भी पढ़ें: चंडीगढ़: मनोहर लाल खट्टर चुने गए बीजेपी विधायक दल के नेता, कल हो सकता है शपथ ग्रहण

चंडीगढ़: बीजेपी को समर्थन देते ही दुष्यंत चौटाला को बड़ी खुशखबरी मिली है. जेजेपी नेता दुष्यंत चौटाला के पिता अजय चौटला को 2 हफ्ते के लिए जेल से छुट्टी मिल गई है. यानी कि अजय चौटाला दो हफ्ते के फरलो पर जेल से बाहर आ रहे हैं.

फरलो पर जेल से बाहर आ रहे अजय चौटाला
आपको बता दें कि अजय सिंह चौटाला हरियाणा राजनीति में मजबूत पकड़ रखने वाले चौटाला परिवार से आते हैं. इनके पिता ओमप्रकाश चौटाला व दादा चौधरी देवी लाल हरियाणा के माने जाने जाट नेता और मुख्यमंत्री रहे हैं. वर्तमान में अजय सिंह चौटाला अपने पिता ओमप्रकाश चौटाला के साथ तिहाड़ जेल में सजा काट रहे है.

सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा के बहुचर्चित शिक्षक भर्ती घोटाले में उन्हें 10 साल की सजा सुनाई थी. इनकी पत्नी नैना चौटाला भी हरियाणा राजनीति में सक्रिय हैं. इनके दो बेटे दुष्यंत और दिग्विजय चौटाला हैं जो मौजूदा वक्त में पिता की अनुपस्थिति में परिवार से अलग पार्टी बनाकर अपनी राजनीतिक पहचान बनाने में लगे हुए हैं. पारिवारिक घमासान के बीच बेटे दुष्यंत चौटाला ने जननायक जनता दल नामक अपनी अलग पार्टी बनाई है.

अजय चौटाला का राजनीतिक जीवन

  • अजय सिंह चौटाला का जन्म हरियाणा के सिरसा में 13 मार्च 1961 को चौटाला परिवार में हुआ था
  • इनके पिता ओमप्रकाश चौटाला इंडियन नेशनल लोकदल के मुख्य नेता हैं
  • अजय ने हरियाणा के कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से स्नातक किया
  • राजस्थान विश्वविद्यालय से अजय चौटाला ने एम. ए. और कानून की डिग्री ली
  • 1980 में अजय चौटाला ने सक्रिय राजनीति में कदम रखा
  • अजय चौटाला राजस्थान से दो बार विधायक रहे
  • 1999 में हरियाणा की भिवानी लोकसभा सीट से पहली बार सांसद बने
  • 2004 में अजय चौटाला राज्यसभा के निर्वाचित हुए
  • 2009 में अंतिम बार हरियाणा के डबवाली से विधायक बने
  • 2013 में शिक्षक भर्ती घोटाले में नाम आने के बाद उनको 10 साल की सजा सुनाई गई

क्या था शिक्षक भर्ती घोटाला
दिल्ली की एक अदालत ने तीन हजार से अधिक शिक्षकों की अवैध भर्ती के मामले में हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला समेत 54 अन्य को दोषी ठहराया. इस मामले में अजय चौटाला भी दोषी करार दिए गए हैं. अदालत ने इस घोटाले में कुल 55 लोगों को दोषी करार दिया. ये घोटाला 1999 से 2000 के बीच का है जब 3 हज़ार से ज़्यादा शिक्षकों की भर्ती की गई थी. शिक्षा विभाग के ही एक आईएएस अफसर संजीव कुमार की शिकायत पर इस घोटाले का खुलासा हुआ। सुप्रीम कोर्ट ने जांच सीबीआई को सौंप दी थी. मामले में ये बात साबित हुई कि जेबीटी भर्ती में नौकरी पाने वाले हर व्यक्ति से 3 से 5 लाख रुपए की रिश्वत ली गई थी.

2013 में हुआ चौटाला परिवार में फूट का आगाज
साल 2013 में चौटाला परिवार में फूट की शुरुआत हुई. जब देवीलाल चौटाला के बेटे ओपी चौटाला और पोते अजय चौटाला जेबीटी घोटाले में 10 साल के लिए जेल गए. इसके बाद INLD की कमान अभय चौटाला के हाथ में आ गई. 2014 के चुनाव में अजय चौटाला के बड़े बेटे दुष्यंत चौटाला राजनीति में आए. 2014 में दुष्यंत हिसार लोकसभा सीट से कुलदीप बिश्नोई को हराकर सबसे युवा सांसद बने.

दो खेमों में बंट गई पार्टी
दुष्यंत के सांसद बनने के बाद ही राज्य में हुए विधानसभा चुनाव में पार्टी हार गई. कारण था दुष्यंत के सांसद बनने के बाद पार्टी का दो खेमों में बंट जाना. पार्टी का एक गुट अभय चौटाला के साथ हो गया और दूसरा दुष्यंत के साथ. 2018 में पार्टी की फूट पूरी तरह से सामने आ गई. ओमप्रकाश चौटाला ने दुष्यंत और दिग्विजय को पार्टी से बाहर निकाल दिया. इनेलो की कमान अभय के पास पूरी तरह से आ गई.

दिसंबर 2018 में दुष्यंत ने नई पार्टी का किया गठन
दिसंबर 2018 में दुष्यंत चौटाला ने जेजेपी की नींव रखी. जेजेपी को आगाज करते ही हार का सामना करना पड़ा.

हरियाणा की राजनीति देवीलाल की बोलती थी तूती
कहते हैं कि एक जमाने में हरियाणा में देवीलाल की राजनीति में तूती बोलती थी. करीब 4 दशकों तक इनके परिवार ने राज्य की राजनीति को तय किया है. आज भी राज्य में मजबूत पकड़ बना रखी है. इनकी तीसरी और चौथी पीढ़ी राजनीतिक मैदान में है.

देवीलाल का जन्म हरियाणा के सिरसा जिले के तेजाखेड़ा गांव में साल1912 में हुआ था. 15 साल की उम्र में वे देश की आजादी की लड़ाई में शामिल हो गए. 1930 में महात्मा गांधी के आंदोलन में शामिल हुए तो जेल जाना पड़ा. 1938 में देवीलाल कांग्रेस में शामिल हुए. 1942 में देवीलाल को 'अंग्रेजो भारत छोड़ो' आंदोलन के दौरान करीब दो साल तक जेल में रहना पड़ा.

1952 में देवीलाल ने सक्रिय राजनीति का किया आगाज
देवीलाल 1952 में पहली बार पंजाब विधानसभा के सदस्य बने. 1956 में पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष बने. लेकिन इसके बाद देवीलाल ने हरियाणा को अलग राज्य बनाने की लड़ाई छेड़ दी. 1966 में हरियाणा राज्य बन गया. 1971 में देवीलाल ने कांग्रेस छोड़ दी. इमरजेंसी में जेल गए.

1977 में जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़े. पहली बार राज्य के सीएम बने. लेकिन भजनलाल के पार्टी तोड़ने के कारण देवीलाल दो साल ही सीएम रह पाए. 1987 में देवीलाल ने लोकदल बना लिया. इसी साल उन्होंने हरियाणा में सरकार बना ली. 1989 में देवीलाल जनता दल सरकार में शामिल हो गए. उन्हें वीपी सिंह और चंद्रशेखर सरकार में उपप्रधानमंत्री की कुर्सी मिली.

ओपी चौटाला ने 1989 में की राजनीति में शुरुआत
जब देवीलाल डिप्टी पीएम बने तो उनके बेटे ओमप्रकाश चौटाला हरियाणा के मुख्यमंत्री बने. इसके बाद ओमप्रकाश चौटाला 1989 से 91 तक मुख्यमंत्री रहे. 1991 में देवीलाल लोकसभा चुनाव हारे और यहीं से उनकी राजनीतिक यात्रा समाप्त हो गई. 1999 में ओमप्रकाश चौटाला ने भाजपा की मदद से हरियाणा में सरकार बनाई. 2005 तक वे हरियाणा के सीएम बने. 2001 में देवीलाल का देहांत हो गया.

ये भी पढ़ें: चंडीगढ़: मनोहर लाल खट्टर चुने गए बीजेपी विधायक दल के नेता, कल हो सकता है शपथ ग्रहण

Intro:एंकर- हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजे आते ही जहाँ कोंग्रेस में एक तरफ खुशी की लहर है वहीं बीजेपी जो 75 पार के नारे के साथ चुनाव में उतरी थी उसको मायूसी हासिल हुई है। वहीं अगर बात कर चौधरी देवीलाल के परिवार की तो इस परिवार विधानसभा चुनाव में 5 उमीदवार रणजीत सिंह, नैना चौटाला, दुष्यंत चौटाला, अभय चौटाला, आदित्य चौटाला थे और वहीं डबवाली से विजय हुए अमित सिहाग भी देवीलाल के चचेरे भाई गणपत सिंह के पोते हैं। चुनाव में उतरे इन 6 लोगों में से आदित्य चौटाला को हार का मुंह देखना पड़ा है। Body:

वीओ- हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित हो गए। इस चुनाव में देवीलाल परिवार से 5 चेहरे चुनावी दंगल में उतरे थे। पांच में से दो तो एक पार्टी से और तीन अन्य अलग-अलग सिंबल पर चुनावी ताल ठोक रहे थे। आदित्य देवीलाल को छोड़कर बाकि सब उम्मीदवार जीत गए हैं।

दुष्यंत चौटाला की सबसे बड़ी जीत
अजय चौटाला के पुत्र दुष्यंत चौटाला जननायक जनता पार्टी से उचाना कलां सीट पर चुनाव में उतरे थे। उन्होंने भाजपा नेता पूर्व केंद्रीय मंत्री व राज्यसभा सांसद बीरेंद्र सिंह की पत्नी प्रेमलता को हराया। प्रेमलता ने 2014 में भाजपा की सीट पर चुनाव जीता था। दुष्यंत ने 47452 के मार्जन से चुनाव जीता है।

नैना चौटाला सीट बदलकर भी जीती

नैना चौटाला 2014 में डबवाली से इनेलो की सीट पर चुनाव जीतकर पहली बार विधायक बनी थी। पारिवारिक कलह के बाद नई पार्टी जजपा का गठन हुआ तो नैना चौटाला को डबवाली सीट की बजाए बाढड़ा सीट से चुनाव लड़ाया गया। नैना चौटाला ने कांग्रेस के रणबीर सिंह महेंद्रा को 13704 वोट से हराया।

आजाद चुनाव लड़े रणजीत सिंह भी जीते चुनाव

देवीलाल के पुत्र और हरियाणा के पूर्व मंत्री रहे चौधरी रणजीत सिंह लंबे अरसे के बाद कोई चुनाव जीते हैं। कांग्रेस ने उनकी टिकट काटी तो वे आजाद चुनाव लड़े और हरियाणा लोकहित पार्टी के गोविंद कांडा को 19431 वोट से हराया।

अभय सिंह चौटाला ने ऐलनाबाद से जीता चुनाव

देवीलाल के पोते अभय सिंह चौटाला ने ऐलनाबाद से इनेलो पार्टी से चुनाव लड़ा। उन्होंने यहां से भाजपा के पवन बैनीवाल को 11877 वोट से हराया। अभय पहले भी यहां से विधायक थे।

भाजपा से चुनाव लड़ने वाले आदित्य देवीलाल हारे
भाजपा से डबवाली सीट पर चुनाव लड़ने वाले आदित्य देवीलाल चुनाव हार गए। यहां उन्हें 15647 वोट से कांग्रेस के अमित सिहाग ने हराया। अमित सिहाग भी देवीलाल के चचेरे भाई गणपत सिंह के पोते हैं।Conclusion:
Last Updated : Oct 26, 2019, 5:33 PM IST
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