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भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने सुषमा स्वराज के निधन पर जताया दुख, कहा- उनकी जगह भरना नामुमकिन

बुधवार शाम को दिल्ली के लोधी रोड स्थित शवदाह में सुषमा स्वराज का अंतिम संस्कार किया गया. सुषमा स्वराज की बेटी बांसुरी स्वराज ने अंतिम संस्कार की सभी रस्में पूरी कीं. सुषमा स्वराज का मंगलवार रात दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया था.

भूपेंद्र सिंह हुड्डा, पूर्व मुख्यमंत्री, हरियाणा
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Published : Aug 7, 2019, 7:53 PM IST

अंबाला: हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने सुषमा स्वराज के निधन पर अफसोस जाहिर किया है. उन्होंने कहा कि पलवल में जन्मी अंबाला में पढ़ी-लिखी हरियाणा की इस बेटी ने राष्ट्रीय स्तर का नेतृत्व किया.

भूपेंद्र सिंह हुड्डा, पूर्व मुख्यमंत्री, हरियाणा

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि मेरे उनके साथ भाई-बहन के संबंध रहे हैं और 1977 से मैं उनको जानता हूं, जब वो सबसे कम उम्र में मंत्री बनीं. उन्होंने कहा कि चाहे वो मंत्री रहीं हो या पार्टी की पदाधिकारी रहीं हो चाहे लोकसभा में विपक्ष की नेता रही हों या विदेश मंत्री रही हों सभी जिम्मेदारियां उन्होंने अच्छे से निभाई हैं, लेकिन आज वो हमारे बीच नहीं है उनका स्थान भरना नामुमकिन है और प्रदेश को ही नहीं पूरे देश को उन पर गर्व है.

ये भी पढ़ें- सीएम मनोहर लाल और ओपी धनखड़ ने दिया सुषमा स्वराज के पार्थिव शरीर को कंधा, देखिए VIDEO

गौरतलब है कि बुधवार शाम को दिल्ली के लोधी रोड स्थित शवदाह में सुषमा स्वराज का अंतिम संस्कार किया गया. सुषमा स्वराज की बेटी बांसुरी स्वराज ने अंतिम संस्कार की सभी रस्में पूरी कीं. सुषमा स्वराज का मंगलवार रात दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया था. वो 67 साल की थीं. पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को मंगलवार रात तबीयत बिगड़ने के बाद एम्स में भर्ती कराया गया था.

अंबाला: हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने सुषमा स्वराज के निधन पर अफसोस जाहिर किया है. उन्होंने कहा कि पलवल में जन्मी अंबाला में पढ़ी-लिखी हरियाणा की इस बेटी ने राष्ट्रीय स्तर का नेतृत्व किया.

भूपेंद्र सिंह हुड्डा, पूर्व मुख्यमंत्री, हरियाणा

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि मेरे उनके साथ भाई-बहन के संबंध रहे हैं और 1977 से मैं उनको जानता हूं, जब वो सबसे कम उम्र में मंत्री बनीं. उन्होंने कहा कि चाहे वो मंत्री रहीं हो या पार्टी की पदाधिकारी रहीं हो चाहे लोकसभा में विपक्ष की नेता रही हों या विदेश मंत्री रही हों सभी जिम्मेदारियां उन्होंने अच्छे से निभाई हैं, लेकिन आज वो हमारे बीच नहीं है उनका स्थान भरना नामुमकिन है और प्रदेश को ही नहीं पूरे देश को उन पर गर्व है.

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गौरतलब है कि बुधवार शाम को दिल्ली के लोधी रोड स्थित शवदाह में सुषमा स्वराज का अंतिम संस्कार किया गया. सुषमा स्वराज की बेटी बांसुरी स्वराज ने अंतिम संस्कार की सभी रस्में पूरी कीं. सुषमा स्वराज का मंगलवार रात दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया था. वो 67 साल की थीं. पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को मंगलवार रात तबीयत बिगड़ने के बाद एम्स में भर्ती कराया गया था.

Intro:गर्मी बढऩे के साथ ही अस्पताल में बढऩे लगी है रोगियों की संख्या
उल्टी-दस्त, पेट खराब व टायफाईड के रोगियों की संख्या में हुआ इजाफा
भीष्ण गर्मी का दौर शुरू हो चुका है। 25 मई से नौतपा शुरू है। निश्चित रूप से अगले एक सप्ताह तक गर्मी का तांडव हर आम आदमी के लिए परेशानी का सबब रहेगा। तापमान बढऩे के साथ ही अनेक बीमारियां भी पनपने लगी हैं। सरकारी अस्पताल हो या फिर निजी अस्पताल हर चौथा रोगी उल्टी-दस्त से पीडि़त आ रह है और हर 10वां रोगी टायफाईड या पीलिया से पीडि़त हैं। पेड़ दर्द के रोगियों की संख्या भी संक्रमित पेयजल आपूर्ति के चलते निरंतर बढ़ रही हैं। बीमारियों को लेकर चिकित्सकों से बातचीत की गई।
चौ. बंसीलाल नागरिक अस्पताल के मैडिसन विभाग के चिकित्सक डॉ. रघुबीर शांडिल्य से बातचीत की गई तो उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे गर्मी बढ़ती है, शरीर में पानी की कमी हो जाती है। ऐसे में उल्टी-दस्त के रोगियों की संख्या बढ़ जाती है। प्रतिदिन अस्पताल में 10 से 12 रोगी उल्टी-दस्त से पीडि़त आ रहे हैं। तीन-चार रोगी टायफाईड के भी आते हैं और दिन में एक-आध पेशेंट पीलिया से ग्रस्ति होते हैं।
मैडिसन विभाग के डॉ. नितिश गोयल से बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि संक्रमित पेयजल आपूर्ति के चलते पेट की खराबी के रोगियों की संख्या भी पिछले एक पखवाड़े में बढ़ी है। उल्टी-दस्त के रोगियों की संख्या में तो गुणात्मक वृद्धि हुई है। लू लगने के रोगी भी आ रहे हैं। जब उनसे पूछा गया कि इस गर्मी के मौसम में और किसी प्रकार के रोगी भी आ रहे है तो उन्होंने कहा कि तापमान बढऩे के साथ ही शरीर से पसीना अधिक निकलता हैं। गला सूखने लगता है तो इंसान पानी पीता है। अगर किसी के मुंह संक्रमित पानी लगा तो निश्चित रूप से वह उल्टी-दस्त के साथ-साथ पेट की अन्य बीमारियों को भी जन्म देता है। गर्मी के मौसम में पीने के पानी के साथ-साथ खाने-पीने में भी विशेष सावधानी बरती जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि बासी भोजन व कटे हुए फल-सब्जी का प्रयोग करने से गुरेज करें। जहां तक हो सकें अधिक से अधिक तरल पेय पदार्थ शुद्धता के साथ लें।
चौ. बंसीलाल नागरिक अस्पताल के प्रधान चिकित्सा अधिकारी डॉ. रविंद्र पुनिया से बातचीत की गई तो उन्होंने कहा कि गर्मी के मौसम से निपटने के लिए आपात विभाग व बाह्य विभाग में ओआरएस पाऊडर की व्यवस्था की गई है। इसके साथ-साथ उल्टी-दस्त, पेट दर्द व पीलिया के रोगियों के उपचार के लिए पर्याप्त दवाएं भी उपलब्ध करवाई गई है। उन्होंने शहरवासियों से आह्वान किया कि पीने के पानी को उबालकर, छानकर व ठंडा करके प्रयोग करें। पीने के पानी में क्लोरिन की गोलियां डालकर प्रयोग करें। डॉ. पुनिया ने कहा कि कटी हुई सब्जियों व फलों का सेवन न करें और घर में भी जो सामान हो उसे ढक़कर रखें, ताकि संक्रमण से बचा जा सकें।
Body:गर्मी बढऩे के साथ ही अस्पताल में बढऩे लगी है रोगियों की संख्या
उल्टी-दस्त, पेट खराब व टायफाईड के रोगियों की संख्या में हुआ इजाफा
भीष्ण गर्मी का दौर शुरू हो चुका है। 25 मई से नौतपा शुरू है। निश्चित रूप से अगले एक सप्ताह तक गर्मी का तांडव हर आम आदमी के लिए परेशानी का सबब रहेगा। तापमान बढऩे के साथ ही अनेक बीमारियां भी पनपने लगी हैं। सरकारी अस्पताल हो या फिर निजी अस्पताल हर चौथा रोगी उल्टी-दस्त से पीडि़त आ रह है और हर 10वां रोगी टायफाईड या पीलिया से पीडि़त हैं। पेड़ दर्द के रोगियों की संख्या भी संक्रमित पेयजल आपूर्ति के चलते निरंतर बढ़ रही हैं। बीमारियों को लेकर चिकित्सकों से बातचीत की गई।
चौ. बंसीलाल नागरिक अस्पताल के मैडिसन विभाग के चिकित्सक डॉ. रघुबीर शांडिल्य से बातचीत की गई तो उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे गर्मी बढ़ती है, शरीर में पानी की कमी हो जाती है। ऐसे में उल्टी-दस्त के रोगियों की संख्या बढ़ जाती है। प्रतिदिन अस्पताल में 10 से 12 रोगी उल्टी-दस्त से पीडि़त आ रहे हैं। तीन-चार रोगी टायफाईड के भी आते हैं और दिन में एक-आध पेशेंट पीलिया से ग्रस्ति होते हैं।
मैडिसन विभाग के डॉ. नितिश गोयल से बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि संक्रमित पेयजल आपूर्ति के चलते पेट की खराबी के रोगियों की संख्या भी पिछले एक पखवाड़े में बढ़ी है। उल्टी-दस्त के रोगियों की संख्या में तो गुणात्मक वृद्धि हुई है। लू लगने के रोगी भी आ रहे हैं। जब उनसे पूछा गया कि इस गर्मी के मौसम में और किसी प्रकार के रोगी भी आ रहे है तो उन्होंने कहा कि तापमान बढऩे के साथ ही शरीर से पसीना अधिक निकलता हैं। गला सूखने लगता है तो इंसान पानी पीता है। अगर किसी के मुंह संक्रमित पानी लगा तो निश्चित रूप से वह उल्टी-दस्त के साथ-साथ पेट की अन्य बीमारियों को भी जन्म देता है। गर्मी के मौसम में पीने के पानी के साथ-साथ खाने-पीने में भी विशेष सावधानी बरती जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि बासी भोजन व कटे हुए फल-सब्जी का प्रयोग करने से गुरेज करें। जहां तक हो सकें अधिक से अधिक तरल पेय पदार्थ शुद्धता के साथ लें।
चौ. बंसीलाल नागरिक अस्पताल के प्रधान चिकित्सा अधिकारी डॉ. रविंद्र पुनिया से बातचीत की गई तो उन्होंने कहा कि गर्मी के मौसम से निपटने के लिए आपात विभाग व बाह्य विभाग में ओआरएस पाऊडर की व्यवस्था की गई है। इसके साथ-साथ उल्टी-दस्त, पेट दर्द व पीलिया के रोगियों के उपचार के लिए पर्याप्त दवाएं भी उपलब्ध करवाई गई है। उन्होंने शहरवासियों से आह्वान किया कि पीने के पानी को उबालकर, छानकर व ठंडा करके प्रयोग करें। पीने के पानी में क्लोरिन की गोलियां डालकर प्रयोग करें। डॉ. पुनिया ने कहा कि कटी हुई सब्जियों व फलों का सेवन न करें और घर में भी जो सामान हो उसे ढक़कर रखें, ताकि संक्रमण से बचा जा सकें। Conclusion:गर्मी बढऩे के साथ ही अस्पताल में बढऩे लगी है रोगियों की संख्या
उल्टी-दस्त, पेट खराब व टायफाईड के रोगियों की संख्या में हुआ इजाफा
भीष्ण गर्मी का दौर शुरू हो चुका है। 25 मई से नौतपा शुरू है। निश्चित रूप से अगले एक सप्ताह तक गर्मी का तांडव हर आम आदमी के लिए परेशानी का सबब रहेगा। तापमान बढऩे के साथ ही अनेक बीमारियां भी पनपने लगी हैं। सरकारी अस्पताल हो या फिर निजी अस्पताल हर चौथा रोगी उल्टी-दस्त से पीडि़त आ रह है और हर 10वां रोगी टायफाईड या पीलिया से पीडि़त हैं। पेड़ दर्द के रोगियों की संख्या भी संक्रमित पेयजल आपूर्ति के चलते निरंतर बढ़ रही हैं। बीमारियों को लेकर चिकित्सकों से बातचीत की गई।
चौ. बंसीलाल नागरिक अस्पताल के मैडिसन विभाग के चिकित्सक डॉ. रघुबीर शांडिल्य से बातचीत की गई तो उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे गर्मी बढ़ती है, शरीर में पानी की कमी हो जाती है। ऐसे में उल्टी-दस्त के रोगियों की संख्या बढ़ जाती है। प्रतिदिन अस्पताल में 10 से 12 रोगी उल्टी-दस्त से पीडि़त आ रहे हैं। तीन-चार रोगी टायफाईड के भी आते हैं और दिन में एक-आध पेशेंट पीलिया से ग्रस्ति होते हैं।
मैडिसन विभाग के डॉ. नितिश गोयल से बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि संक्रमित पेयजल आपूर्ति के चलते पेट की खराबी के रोगियों की संख्या भी पिछले एक पखवाड़े में बढ़ी है। उल्टी-दस्त के रोगियों की संख्या में तो गुणात्मक वृद्धि हुई है। लू लगने के रोगी भी आ रहे हैं। जब उनसे पूछा गया कि इस गर्मी के मौसम में और किसी प्रकार के रोगी भी आ रहे है तो उन्होंने कहा कि तापमान बढऩे के साथ ही शरीर से पसीना अधिक निकलता हैं। गला सूखने लगता है तो इंसान पानी पीता है। अगर किसी के मुंह संक्रमित पानी लगा तो निश्चित रूप से वह उल्टी-दस्त के साथ-साथ पेट की अन्य बीमारियों को भी जन्म देता है। गर्मी के मौसम में पीने के पानी के साथ-साथ खाने-पीने में भी विशेष सावधानी बरती जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि बासी भोजन व कटे हुए फल-सब्जी का प्रयोग करने से गुरेज करें। जहां तक हो सकें अधिक से अधिक तरल पेय पदार्थ शुद्धता के साथ लें।
चौ. बंसीलाल नागरिक अस्पताल के प्रधान चिकित्सा अधिकारी डॉ. रविंद्र पुनिया से बातचीत की गई तो उन्होंने कहा कि गर्मी के मौसम से निपटने के लिए आपात विभाग व बाह्य विभाग में ओआरएस पाऊडर की व्यवस्था की गई है। इसके साथ-साथ उल्टी-दस्त, पेट दर्द व पीलिया के रोगियों के उपचार के लिए पर्याप्त दवाएं भी उपलब्ध करवाई गई है। उन्होंने शहरवासियों से आह्वान किया कि पीने के पानी को उबालकर, छानकर व ठंडा करके प्रयोग करें। पीने के पानी में क्लोरिन की गोलियां डालकर प्रयोग करें। डॉ. पुनिया ने कहा कि कटी हुई सब्जियों व फलों का सेवन न करें और घर में भी जो सामान हो उसे ढक़कर रखें, ताकि संक्रमण से बचा जा सकें।
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