हैदराबाद: क्या आपने कोरोना वैक्सीन ली है ? क्या आप दोनों डोज़ ले चुके हैं ? क्या आप भी बूस्टर डोज़ लेने को लेकर कन्फ्यूज़ हैं ? दरअसल इन दिनों बूस्टर डोज़ दुनियाभर के लोगों के लिए चिंता और विशेषज्ञों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है. लोग इस बूस्टर डोज़ नाम की चिड़िया को लेकर कन्फ्यूज़ हैं. आखिर ये बूस्टर डोज़ क्या है, कब लेना है, क्यों लेना है, किसे लेना है. आपके मन में भी इस तरह के कई सवाल उठ रहे होंगे, तो चलिए इस बूस्टर डोज़ को लेकर आपके हर सवाल का जवाब देते हैं ताकि आपकी कन्फ्यूज़न दूर हो सके.
क्या है बूस्टर डोज़ ?
किसी विषाणु (Virus) या रोगाणु (Germ) के खिलाफ शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए टीके की अतिरिक्त खुराक, बूस्टर डोज़ कहलाती है. कोविड-19 के मामले में कोरोना वैक्सीन की तीसरी डोज़ को बूस्टर डोज़ कहा जा रहा है. ये बूस्टर डोज़ उसी वैक्सीन की हो सकती है जिसे आप पहले ले चुके हैं. जैसे अगर कोई शख्स कोवैक्सीन की दो डोज़ ले चुका है तो वो कोवैक्सीन की तीसरी खुराक बूस्टर डोज़ के रूप में ले सकता है.
बूस्टर डोज़ का सवाल क्यों उठा ?
दरअसल कोविशील्ड वैक्सीन बनाने वाली कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के चेयरमैन सायरस पूनावाला ने कहा है कि कोविशील्ड की दूसरी डोज़ के 6 महीने बाद बूस्टर डोज़ की जरूरत पड़ेगी. पूनावाला के मुताबिक वो और उनके करीब 8 हजार कर्मचारी बूस्टर डोज़ ले चुके हैं. पूनावाल ने अनुरोध किया कि टीके की दो डोज़ लेने के 6 महीने बाद बूस्टर या तीसरी डोज़ लेनी चाहिए.
इतना ही नहीं इसके बाद आईसीएमआर-एनआईवी (National Institute of Virology) की निदेशक प्रिया अब्राहम ने बूस्टर डोज़ का समर्थन किया है. उनके मुताबिक भविष्य में बूस्टर डोज़ के लिए सिफारिशें जरूर आएंगी.
लांसेट की रिपोर्ट ने भी उठाए सवाल
जाने-माने मेडिकल जर्नल द लांसेट की एक रिपोर्ट के मुताबिक फाइजर और एस्ट्राजेनेका (भारत में कोविशील्ड) की डोज लेने के 6 हफ्ते बाद एंटीबॉडी कम होना शुरू होती है और 10 हफ्ते में ये 50 फीसदी से भी नीचे पहुंच जाती है. सीरम इंस्टीट्यूट के सायरस पूनावाला ने भी माना है कि एक वक्त के बाद एंटीबॉडी कम होती है. लांसेट की रिपोर्ट के बाद ये चर्चा शुरू हो गई कि क्या ऐसी स्थिति में वैक्सीन की दो डोज़ काफी है ? क्या बूस्टर डोज की जरूरत पड़ेगी ?
इस रिपोर्ट को लेकर कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि एंटीबॉडी और नए वेरिएंट से जुड़े डाटा पर नजर रखनी होगी, क्योंकि एक वक्त के बाद बूस्टर डोज़ की जरूरत पड़ सकती है. कुछ विशेषज्ञ कहते हैं कि कोविड-19 वैक्सीन की दो डोज़ लेने के बाद लंबे समय तक रक्षा तो मिलेगी लेकिन ये समय अनिश्चितकाल नहीं हो सकता इसलिये बूस्टर डोज जरूरी है.
हाईकोर्ट ने भी पूछा था सवाल ?
बंबई हाईकोर्ट भी महाराष्ट्र सरकार से ये सवाल पूछ चुका है कि क्या कोविड-19 की दोनों खुराक लेने के बाद भी तीसरी खुराक या बूस्टर डोज़ की जरूरत है. दरअसल कोविड-19 को लेकर महाराष्ट्र सरकार की बैठक में इस बात का जिक्र किया गया था कि कोविशील्ड की दूसरी खुराक के 10 महीने और कोवैक्सीन की दूसरी खुराक के छह महीने बाद तीसरी खुराक की जरूरत हो सकती है. जिसपर हाईकोर्ट ने ये सवाल पूछा था.
बूस्टर डोज़ पर विशेषज्ञों की राय
संक्रामक रोगों के शीर्ष अमेरिकी विशेषज्ञ डॉ. एंथनी फाउची ने कहा है कि वो सिर्फ कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों को बूस्टर डोज़ देने की सिफारिश करेंगे. डॉ. फाउची के मुताबिक अंग प्रत्यारोपण, कैंसर या अन्य परिस्थितियों के कारण कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता होने पर इसकी जरूरत पड़ेगी. उनके मुताबिक एक ऐसा समय भी आएगा जब हमें अतिरिक्त खुराक की जरूरत पड़ेगी क्योंकि फिलहाल किसी भी टीके से अनिश्चितकाल के लिए सुरक्षा नहीं मिल रही है.
किसे है बूस्टर डोज़ की जरूरत ?
दुनियाभर में कोरोना के कई वैरिएंट सामने आ रहे हैं. इन वैरिएंट और मौजूदा वैक्सीन के इनपर असर को लेकर दुनियाभर में अध्ययन भी चल रहे हैं. ऐसे में बूस्टर डोज़ को लेकर चर्चा चल रही है, चुनिंदा देशों में बूस्टर डोज़ के लिए अभियान भी शुरू कर दिया है. लेकिन सवाल है कि बूस्टर डोज़ कौन ले सकता है क्या किसके लिए जरूरी है.
कोरोना वैक्सीन की दो डोज़ लेने वाला शख्स बूस्टर डोज़ ले सकता है. कई विशेषज्ञ बूस्टर डोज़ के पक्ष में हैं, उनके मुताबिक सबसे पहले उम्रदराज, बीमार या ऐसे लोगों को बूस्टर डोज़ लगनी चाहिए जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम है. बूस्टर डोज़ से इम्यून सिस्टम एक्टिव होगा, जो कोरोना संक्रमण से बचाव में मददगार साबित होगा.
कई देशों में बूस्टर डोज़
दरअसल बीते करीब डेढ़ साल से पूरी दुनिया कोरोना महामारी की चपेट में है. दुनियाभर में कोविड-19 टीकाकरण चल रहा है और साथ में इस बूस्टर डोज़ का सवाल पूरी दुनिया में घूम रहा है. रूस ने तो बूस्टर डोज़ देना शुरू भी कर दिया है. कोरोना संक्रमण और मौत के नए मामलों में वृद्धि को देखते हुए रूस में बूस्टर डोज़ देने की शुरूआत की है. टीकाकरण के 6 महीने होने पर डॉक्टर बूस्टर डोज़ लेने की सलाह दे रहे हैं.
रूस की तरह इजरायल ने भी जुलाई के आखिर में बूस्टर डोज देने की शुरुआत कर दी. देश में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए सबसे पहले 60 साल से अधिक उम्र के लोगों को ये डोज दी जा रही है और दोनों खुराक ले चुके लोगों को बूस्टर डोज की खुराक दी जाएगी.
उधर अमेरिका की बाइडेन सरकार सितंबर महीने से बूस्टर डोज़ देने की शुरुआत कर सकती है. कोविड-19 टीके की दूसरे डोज के 8 महीने बाद अमेरिकी नागरिकों को बूस्टर डोज निशुल्क उपलब्ध करवाने की बात राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कही है.
ब्रिटेन में भी कोविड वैक्सीन बूस्टर अभियान की शुरुआत सितंबर से होगी, स्वास्थ्य विभाग ने इसके लिए बकायदा रोडमैप तैयार कर लिया है. विशेषज्ञों के मुताबिक ब्रिटेन के कोरोना संक्रमण के लिहाज से संवेदनशील और 50 वर्ष से अधिक उम्र के करीब से 3 करोड़ लोगों को कोविड टीके की तीसरी डोज़ लेनी चाहिए.
WHO की राय क्या है
बूस्टर डोज़ को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की राय थोड़ी अलग है. डब्ल्यूएचओ के मुताबिक फिलहाल कोरोना से जुड़े आंकड़े बताते हैं कि बूस्टर डोज़ की जरूरत नहीं है. अमेरिका के बूस्टर डोज़ अभियान शुरू करने के फैसले के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा कि आर्थिक रूप से मजबूत देशों को बूस्टर डोज़ लेने से पहले दुनिया के उन देशों की ओर भी देखना चाहिए जहां जरूरतमंदों को टीके नहीं मिल पा रहे हैं. इसलिये विकसित देशों को थोड़ा इंतजार करना चाहिए.
बूस्टर डोज़ पर भारत का स्टैंड
बूस्टर डोज़ को लेकर एम्स निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा है कि इस संबंध में फिलहाल जरूरी आंकड़े और जानकारी नहीं है. वैक्सीन किस स्तर पर सुरक्षा प्रदान कर रही है इसके लिए डेटा की जरूरत है. इसलिये बूस्टर डोज़ की आवश्यकता को लेकर फिलहाल कुछ नहीं कहा जा सकता लेकिन अगले साल की शुरुआत तक इससे जुड़ी जानकारियां और आंकड़े साफ हो जाएंगे, जिसके बाद हम बता सकेंगे कि किस तरह के बूस्टर डोज की जरूरत है और कितने लोगों को इसकी जरूरत है.
भारत में अब तक इन वैक्सीन को मिल चुकी है मंजूरी
वैक्सीन | डोज़ की संख्या |
कोवैक्सीन | 2 |
कोविशील्ड | 2 |
स्पुतनिक | 2 |
मॉडर्ना | 2 |
जॉनसन एंड जॉनसन | 1 |
जायडस कैडिला | 3 |
एक डोज़ वाली वैक्सीन को भी मंजूरी
भारत में अब तक कोविशील्ड, कोवैक्सीन और स्पूतनिक जैसे टीके ही लग रहे हैं. इन सभी वैक्सीन के दो डोज़ लेने जरूरी है. लेकिन भारत सरकार ने अगस्त के पहले हफ्ते में जॉनसन एंड जॉनसन की कोविड-19 वैक्सीन के आपात इस्तेमाल को मंजूरी दी थी. खास बात ये है कि ये एक सिंगल डोज़ वैक्सीन है. इससे पहले भारत में दो खुराकों वाली कोवैक्सीन, कोविशील्ड और स्पूतनिक जैसे टीकों को मंजूरी मिली थी.
- जॉनसन एंड जॉनसन की वैक्सीन नॉन रेप्लिकेटिंग वायरल वेक्टर वैक्सीन है. यानि इस वैक्सीन में मौजूद जेनेटिक मैटिरियल शरीर के भीतर अपनी कॉपीज नहीं बनाएगा. ये इसलिये जरूरी है क्योंकि जब वायरस शरीर में प्रवेश करता है तो वह अपनी कॉपीज बनाना शुरू करता है जिससे संक्रमण फैलता है.
- इस वैक्सीन को 2 से 8 डिग्री तापमान में स्टोर किया जा सकता है. खुली हुई वैक्सीन की शीशी भी 9 डिग्री से 25 डिग्री के बीच 12 घंटे तक रखे जा सकते हैं.
- कंपनी का दावा है कि इसका एक ही डोज़ गंभीर बीमारी को रोकने में 85% प्रभावी है.
- सिंगल डोज़ वैक्सीन होने के कारण इसके उत्पादन और फिर इसे कम से कम समय में ज्यादा से ज्यादा लोगों को दिया जा सकता है.
बच्चों के लिए 3 डोज़ वाली वैक्सीन को भी मंजूरी
जायडस कैडिला की कोरोना वैक्सीन जायकोव-डी (ZyCoV-D) को भी ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) ने आपात इस्तेमाल की मंजूरी दे दी. ये वैक्सीन बच्चों को दी जाएगी.
- तीन डोज़ वाली ये वैक्सीन इंजेक्शन मुक्त है यानि इसकी डोज़ देने के लिए सुई का इस्तेमाल नहीं होगा.
- इसे जेट इंजेक्टर के जरिये दिया जा सकेगा. ये एक तरह से बिना सुई वाली छोटी सी मशीन होगी, जिसके जरिये बांह पर त्वचा की ऊपरी सतह पर वैक्सीन की डोज दी जाएगी. मशीन पर लगे बटन को क्लिक करने से टीकी की दवा शरीर के अंदर पहुंच जाएगी. जिससे साइड इफेक्ट का खतरा कम होगा.
- 12 साल या उससे अधिक उम्र के लोगों को ये वैक्सीन दी जाएगी.
- ये दुनिया की पहली डीएनए प्लासमिड वैक्सीन है.
कन्फ्यूजन दूर हुई ?
भारत में एक डोज़ से लेकर तीन डोज़ वाली वैक्सीन तक को मंजूरी मिल चुकी है. कुल 6 वैक्सीन मंजूरी मिली है जिनमें से 3 वैक्सीन फिलहाल उपलब्ध भी है और इनके टीके दिए जा रहे हैं. ऐसे में बूस्टर डोज़ को लेकर भारत सरकार और विशेषज्ञों को इससे जुड़े आंकड़ों और जरूरी जानकारी का इंतज़ार है. अगले साल की शुरुआत तक स्थिति साफ हो जाएगी कि बूस्टर डोज़ ली जानी है या नहीं, ये बूस्टर डोज़ किसे दिया जाएगा और कौन सी वैक्सीन को बूस्टर डोज़ के रूप में लिया जाएगा. फिलहाल बूस्टर डोज़ को लेकर भारत सरकार ने कोई फैसला नहीं लिया है.
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