Shardiya Navratri 2023: निराली है माता कालरात्रि की महिमा, जानें कैसे किया था रक्तबीज का संहार - देवीभागवत पुराण

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Oct 21, 2023, 6:27 AM IST

Updated : Oct 21, 2023, 6:43 AM IST

नई दिल्ली: शारदीय नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि का पूजन-अर्चन किया जाता है. कहा जाता है कि माता कालरात्रि दुष्टों का विनाश कर भक्तों की रक्षा करती हैं. उन्हें वीरता और साहस का प्रतीक माना जाता है. मां कालरात्रि की पूजा करने से व्यक्ति के सभी आकस्मिक संकट टल जाते हैं. देवीभागवत पुराण के अनुसार शुंभ-निशुंभ और रक्तबीज नामक राक्षसों ने जब स्वर्ग लोक में हाहाकार मचा दिया, तब सभी देवता महादेव के पास के गए. इस पर महादेव ने माता पार्वती से देवताओं की रक्षा करने का अनुरोध किया और माता ने अपने तेज से मां दुर्गा को प्रकट किया, जिन्होंने राक्षसों की सेना के साथ युद्ध किया. मां दुर्गा ने शुंभ-निशुंभ राक्षस का वध कर दिया, लेकिन जब रक्तबीज का वध किया तब उसके शरीर से निकली रक्त की बूंदे भूमि पर गिरने लगीं, जिससे और रक्तबीज उत्पन्न होने लगे. तब मां दुर्गा ने माता कालरात्रि को प्रकट किया. मां दुर्गा जैसे ही रक्तबीज पर प्रहार करतीं, माता कालरात्रि उसका रक्त भूमि पर गिरने से पहले ही पी जातीं. इस प्रकार माता कालरात्रि ने रक्तबीज का अंत किया. 

Last Updated : Oct 21, 2023, 6:43 AM IST

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