Delhi Haat Bihar Utsav में छाई गया की अंगूरी किन्नर की कलाकारी, किन्नरों के लिए बन रहीं मिसाल - Delhi Haat Bihar Utsav
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नई दिल्ली: आईएनए दिल्ली हाट में आयोजित बिहार उत्सव में बिहार से आए एक से बढ़कर एक कलाकारों का हुनर लोगों के सिर चढ़कर बोल रहा है. लेकिन यहां पर अंगूरी किन्नर का स्टॉल सबके दिलों पर छाया हुआ है. यह स्टॉल बताता है कि अगर आप में कुछ कर गुजरने का जज्बा है तो कोई भी बाधा आपको मंजिल पाने से रोक नहीं सकती.
ऐसे हुई शुरुआत: बिहार के गया जिले की निवासी अंगूरी ने बताया कि अन्य किन्नरों की तरह वह भी अपने गुरु के साथ रहती थीं. उस वक्त वह ग्रुप के साथ ट्रेन व अन्य जगहों पर नाच-गाना किया करती थीं. वर्ष 2020 में कोरोना के कारण लगे लॉकडाउन में सब कुछ ठप हो गया और ट्रेनें बंद हो गईं. और तो और सार्वजनिक कार्यक्रम बंद हो गए, जिससे उनके कमाने का कोई जरिया नहीं बचा. इसलिए उन्होंने यूट्यूब के जरिए कुछ क्रिएटिव चीजें सीखना शुरू किया. तीन चार महीने में उन्होंने जूट, कॉटन, प्लास्टिक और पुराने कपड़े से सजावटी सामान बनाने सीख लिए.
अंगूरी ने फैशन डिजाइनिंग का कोर्स कर रखा था इसलिए उनकी इसमें काफी रुचि थी. इसी दौरान बिहार सरकार की ओर से अच्छे बिजनेस आइडियाज देने वालों को प्रोत्साहित करने और स्टार्टअप शुरू करने के लिए सरकार ने योजना निकाली. इसमें जब उन्होंने अपना बिजनेस आइडिया विभाग के सामने रखा तो उसे चयनित कर लिया गया, जिससे उनकी खुशी का ठिकाना न रहा. इसके लिए बिहार सरकार की तरफ से उन्हें 10 लाख रुपए दिए गए, जिससे उन्होंने अपना स्टार्टअप शुरू किया. आज उनके स्टार्टअप में 25 लोग काम करते हैं, जिससे वे आत्मनिर्भर बन रहे हैं. इसमें 8 किन्नर भी शामिल हैं. अंगूरी ने बताया कि इसमें कुछ लोग फुल टाइम काम, तो कुछ पार्ट टाइम काम करते हैं.
दिल्ली वालों ने जीता 'दिल': अंगूरी ने बताया कि अपना स्टॉल लेकर वह पहली बार दिल्ली आई हैं. यहां के लोग बहुत अच्छे हैं. यहां के लोगों को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि मैं किन्नर हूं या नहीं. उन्होंने मेरे हुनर को और मेरी कला को बहुत सम्मान दिया. उन्होंने कहा कि दिल्ली वालों ने पहली बार में ही मेरा दिल जीत लिया. अंगूरी ने आगे बताया कि यह काम शुरू करने के पीछे उनका मकसद सिर्फ आजीविका कमाना ही नहीं है. पैसे तो अब फिर से नाच-गाना करके कमा लेंगे, लेकिन इस काम के जरिए मैं किन्नर समुदाय को समाज की मुख्यधारा से जोड़ना चाहती हूं. मैं चाहती हूं कि किन्नर समुदाय के लोग सिर्फ नाच गाने पर निर्भर न रहें. वह अपने अंदर नए हुनर विकसित कर कोई बिजनेस करें ताकि समय के साथ उनके प्रति भी लोगों का नजरिया बदले.
गांव जाकर करती हैं जागरूक: उन्होंने बताया कि बिहार में वह गांव-गांव जाकर लोगों को जागरूक करती हैं. वे लोगों को इस बात के लिए तैयार करती हैं कि लोग काम सीखें और उनके साथ मिलकर काम करें. इस प्रकार वह लोगों को बताती हैं कि इस काम उन्हें देश में पहचान मिल रही है. अगर वह भी ऐसा करेंगे तो उन्हें भी पहचान मिलेगी. इस काम के प्रति वह किन्नर समुदाय के अलावा छात्रों और युवाओं को भी जागरूक करती हैं.
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