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दिल्ली हाईकोर्ट ने AIMIM की मान्यता रद्द करने की याचिका को किया खारिज - POLITICAL PARTY DEREGISTRATION

चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि सिंगल बेंच की याचिका में हस्तक्षेप की कोई जरूरत नहीं है.

AIMIM की मान्यता रद्द करने की याचिका  खारिज
AIMIM की मान्यता रद्द करने की याचिका खारिज (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Jan 24, 2025, 3:04 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन (AIMIM) की राजनीतिक दल के रूप में मान्यता रद्द करने की मांग करने वाली याचिका को खारिज कर दिया है. चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि सिंगल बेंच की याचिका में हस्तक्षेप की कोई जरूरत नहीं है.

बता दें कि 21 नवंबर 2024 को हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने याचिका खारिज कर दी थी. जस्टिस प्रतीक जालान की सिंगल बेंच ने ये याचिका खारिज की थी. याचिका तेलंगाना के शिवसेना के नेता टीएन मुरारी ने दायर की थी.

क्या है याचिका में ?
याचिका में कहा गया था कि एआईएमआईएम धर्मनिरपेक्षता और समाजवाद के सिद्धांतों को नहीं मानती है. एआईएमआईएम धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ है, इसलिए उनकी बतौर राजनीतिक दल मान्यता रद्द की जानी चाहिए. याचिका में ये भी कहा गया था कि किसी भी पार्टी का रजिस्ट्रेशन करते समय निर्वाचन आयोग उसके पदाधिकारियों से इस बात का हलफनामा लेता है कि वे देश के संवैधानिक मूल्यों का पालन करेंगे. एआईएमआईएम किसी खास धर्म के बढ़ावा के लिए काम करती है. कोर्ट ने कहा था कि भ्रष्ट आचरण को परिभाषित करते समय चुनाव प्रक्रिया के समय का विवाद है और उसके लिए चुनाव याचिका या जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 8ए के तहत उम्मीदवारों की अयोग्यता के लिए याचिकाएं दायर की जाती हैं.

कोर्ट ने साफ किया था कि जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 123 का प्रावधान किसी राजनीतिक दल के रजिस्ट्रेशन के लिए जरुरी नहीं होते हैं. धारा 123 का प्रावधान संबंधित चुनाव के परिणाम या किसी को चुनाव में हिस्सा लेने से अयोग्य करार देने से जुड़ा हुआ है. ऐसे में याचिकाकर्ता की धारा 123 के प्रावधान से जुड़ी दलील खारिज की जाती है.

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नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन (AIMIM) की राजनीतिक दल के रूप में मान्यता रद्द करने की मांग करने वाली याचिका को खारिज कर दिया है. चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि सिंगल बेंच की याचिका में हस्तक्षेप की कोई जरूरत नहीं है.

बता दें कि 21 नवंबर 2024 को हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने याचिका खारिज कर दी थी. जस्टिस प्रतीक जालान की सिंगल बेंच ने ये याचिका खारिज की थी. याचिका तेलंगाना के शिवसेना के नेता टीएन मुरारी ने दायर की थी.

क्या है याचिका में ?
याचिका में कहा गया था कि एआईएमआईएम धर्मनिरपेक्षता और समाजवाद के सिद्धांतों को नहीं मानती है. एआईएमआईएम धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ है, इसलिए उनकी बतौर राजनीतिक दल मान्यता रद्द की जानी चाहिए. याचिका में ये भी कहा गया था कि किसी भी पार्टी का रजिस्ट्रेशन करते समय निर्वाचन आयोग उसके पदाधिकारियों से इस बात का हलफनामा लेता है कि वे देश के संवैधानिक मूल्यों का पालन करेंगे. एआईएमआईएम किसी खास धर्म के बढ़ावा के लिए काम करती है. कोर्ट ने कहा था कि भ्रष्ट आचरण को परिभाषित करते समय चुनाव प्रक्रिया के समय का विवाद है और उसके लिए चुनाव याचिका या जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 8ए के तहत उम्मीदवारों की अयोग्यता के लिए याचिकाएं दायर की जाती हैं.

कोर्ट ने साफ किया था कि जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 123 का प्रावधान किसी राजनीतिक दल के रजिस्ट्रेशन के लिए जरुरी नहीं होते हैं. धारा 123 का प्रावधान संबंधित चुनाव के परिणाम या किसी को चुनाव में हिस्सा लेने से अयोग्य करार देने से जुड़ा हुआ है. ऐसे में याचिकाकर्ता की धारा 123 के प्रावधान से जुड़ी दलील खारिज की जाती है.

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