15 दिनों तक भक्तों को अलारनाथ के रूप में दर्शन देते हैं भगवान जगन्नाथ - hanuman bhajan
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ओडिशा में देवस्नान पूर्णिमा के बाद भगवान श्रीजगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा बीमार पड़ जाते हैं. पुरी श्रीमंदिर के अणसर गृह में तीनों का इलाज चलता है और 15 दिनों तक भक्तों को वे अलारनाथ के रूप में दर्शन देते हैं. पुरी से 22 किमी दूर ब्रह्मगिरि में भगवान अलारनाथ का मंदिर है. अलारनाथ को श्रीजगन्नाथ का प्रतिरूप माना जाता है. मान्यता है कि सतयुग के दौरान भगवान ब्रह्मा भगवान विष्णु की पूजा करते थे. उनसे खुश होकर उन्होंने उन्हें एक काले पत्थर से भगवान विष्णु की चार भुजाओं वाली मूर्ति बनाने के लिए कहा जो अपने हाथों में शंख, चक्र, गदा और कमल पकड़े खड़ी है. अलारनाथ मंदिर में भगवान विष्णु को भगवान अलरनाथ के रूप में पूजा जाता है. भगवान विष्णु का वाहन गरुड़, भगवान के चरणों में घुटने टेककर तथा हाथ जोड़कर प्रार्थना करते हुए दिखाई देता है. भगवान कृष्ण की रानियों रुक्मणी और सत्यभामा की मूर्ति मंदिर के अंदर देखी जा सकती हैं. इस मंदिर को मुख्य रूप से प्रमुखता तब मिली, जब सोलहवीं शताब्दी में श्री चैतन्य महाप्रभु ने भगवान जगन्नाथ के रूप में यहां भगवान अलारनाथ को दर्शन किए. अलारनाथ मंदिर परिसर मे भगवान को खीर का भोग लगाया जाता है तथा साथ ही साथ भक्तों को भी यही भोग भेंट किया जाता है. यह स्थान भगवान जगन्नाथ के अस्थायी निवास स्थान के रूप में लोकप्रिय हो गया है. मान्यता है कि इस दौरान ब्रह्मगिरी में मौजूद अलारनाथ मंदिर में भगवान अलारनाथ का दर्शन करने से प्रभु जगन्नाथ जी के दर्शन के बराबर ही पुण्य मिलता है.