हमारी सेहत दुरुस्त रहे इसके लिए हमारे हार्मोन्स का सेहतमंद रहना भी जरूरी होता है, क्योंकि हार्मोन में असंतुलन कई बड़ी और छोटी समस्याओं को ट्रिगर कर सकता है. हार्मोनल इंबैलेंस यानी हार्मोन में असंतुलन के लिए शारीरिक रोगों से ज्यादा खराब लाइफस्टाइल को जिम्मेदार माना जाता है. जिसमें आहार संबंधी आदतों के साथ खराब गुणवत्ता वाली नींद, सोने या जागने से जुड़ी खराब आदतें तथा तनाव आदि शामिल हैं. योगचार्यों का मानना है कि इस समस्या से राहत दिलाने में योग का अभ्यास काफी मददगार हो सकता है.
हार्मोन की भूमिका
भोपाल के जनरल फिजीशियन डॉ राजेश शर्मा बताते हैं कि हार्मोन हमारे शरीर में कई प्रक्रियाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. हार्मोन दरअसल हमारे शरीर में एंडोक्राइन ग्रंथि में बनने वाले रसायन होते हैं, जो शरीर के विकास, मेटाबॉलिज्म, यौन स्वास्थ्य, प्रजनन और व्यवहार आदि को संतुलित रखने में विशेष भूमिका निभाते हैं. लेकिन कई बार बढ़ती उम्र, ज्यादा तनाव, आसीन व अस्वस्थ जीवनशैली, स्टेरॉएड दवाओं का अधिक सेवन, ज्यादा वजन या कुछ खास दवाओं के पार्श्वप्रभावों के कारण हार्मोन्स के स्तर में गड़बड़ी होने लगती है जो शरीर में कई तरह की समस्याओं के होने का कारण बन जाती है.
वह बताते हैं कि शरीर में हार्मोन में असंतुलन होने पर मेटाबॉलिज्म में समस्या, शरीर में सूजन, पुरुषों में नपुंसकता, कभी दुबलापन तो कभी वजन व मोटापा बढ़ जाना, हर समय थकान महसूस होना, नींद में समस्या, तनाव व अन्य मानसिक व व्यवहारिक समस्याएं बढ़ जाना, सेक्स की इच्छा में कमी, बालों का झड़ना या उनमें असमय सफेदी आना तथा ज्यादा ठंड या गर्मी लगने जैसे लक्षण नजर आने लगते हैं.
हार्मोन असंतुलन में योग के फायदे
हार्मोन में असंतुलन होने पर या इस अवस्था से बचे रहने में योग को काफी फायदेमंद माना जाता है. हार्मोनल स्वास्थ्य को दुरुस्त रखने में योग के फायदों के बारे में ज्यादा जानकारी देते हुए इंदौर की योग प्रशिक्षक मधू वर्मा ने ETV भारत सुखीभवा को बताया कि योग वैसे तो सम्पूर्ण स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है, लेकिन विशेषतौर पर यदि हार्मोनल स्वास्थ्य की बात की जाए तो ना सिर्फ प्राणायाम बल्कि कई अन्य योग आसनों के अभ्यास से शरीर में हार्मोन का निर्माण करने वाली ग्रंथियों को स्वस्थ रखने तथा हार्मोन के निर्माण व स्राव को नियमित रखने में काफी मदद मिलती है. यही नहीं उनमें असंतुलन होने की अवस्था में भी योग से समस्या के निवारण में मदद मिल सकती है. इन आसनों में से कुछ आसन तथा उनसे मिलने वाले लाभ इस प्रकार हैं-
भुजंगासन
यह आसन विशेषतौर पर थायराइड और ओवरी को स्वस्थ रखने में मदद करता है. कैसे करें?
- मैट पर पेट के बल लेट जाएं.
- अपनी हथेलियों को अपने कंधों के नीचे रखें और अपने पैरों को एक साथ रखें.
- हथेलियों को जमीन में दबाते हुए, अपनी बांहों को सीधा करें और अपने धड़ को ऊपर की ओर उठाएं.
- ध्यान रहे आपकी कोहनी आपके शरीर के करीब होनी चाहिए.
- इस अवस्था में कुछ देर रहें और गहरी सांस लेते रहें.
- अब धीरे-धीरे पुरीनी अवस्था में वापस आ जाएं.
शलभासन
इसके नियमित अभ्यास से विशेषतौर पर महिलाओं में होने वाली पीसीओएस समस्या का जोखिम कम होता है, साथ ही यह हार्मोन में असंतुलन की समस्या में राहत दिलाता है. यह आसन गर्भाशय तथा अंडाशय से जुड़ी समस्याओं में काफी फायदेमंद हो सकता है. कैसे करें?
- पेट के बल लेट जाएं.
- हाथों को बगल में और अपने माथे को फर्श पर रखें.
- अब सांस छोड़ते हुए अपने सिर, कंधे, हाथ, धड़ और पैरों को फर्श से ऊपर उठाएं.
- इस दौरान पेट व श्रोणि पर संतुलन बनाए रखें.
- अपनी बाहों को फर्श के समानांतर रखें.
- इस अवस्था में 10 सेकंड के लिए रुकें और धीरे-धीरे वापस नीचे आ जाएं.
उष्ट्रासन या कैमल पोज
कैमल पोज का नियमित अभ्यास हार्मोनल असंतुलन को ठीक करके महिलाओं में अनियमित मासिक धर्म चक्र सहित कई समस्याओं में राहत दिलाता है. कैसे करें?
- मैट पर घुटनों के बल बैठ जाएं और अपने हाथ अपने कूल्हों पर रख लें.
- आपके घुटने और कंधे एक सीध में तथा पैरों के तलवे छत की और होने चाहिए.
- अब अपने हाथों को पीछे ले जाते हुए हथेलियों से पैरों को पकड़ें.
- अब सांस भीतर लेते हुए रीढ़ की निचली हड्डी पर आगे की तरफ जाने का दबाव डालते हुए कमर को पीछे की तरफ मोड़ें.
- इस अवस्था में नाभि पर पूरा दबाव महसूस होना चाहिए.
- इस दौरान अपनी गर्दन को बिल्कुल ढीला छोड़ दें.
- इस अवस्था में कम से कम 30 सेकंड तक रहें और फिर सांस छोड़ते हुए धीरे-धीरे पुरानी अवस्था में लौट आएं.
सेतुबंध सर्वांगासन
यह आसन थायराइड फंक्शन में सुधार करता है. कैसे करें?
- अपनी पीठ के बल लेट जाएं और पैरों के बीच थोड़ी दूरी बनाकर रखें.
- अब अपने घुटनों को मोड़ें.
- ध्यान रहे कि आपके पैर आपके नितंबों से थोड़ी दूरी पर हों.
- अब धीरे धीरे श्वास लें और अपने पैरों को फर्श से दबाते हुए श्रोणि को छत की ओर ले जाएं.
- इस अवस्था में 10 सेकंड के लिए रुकें और फिर धीरे-धीरे पुरानी अवस्था में लौट आएं.
मालासन
मालासन से सेक्सुअल एनर्जी बढ़ती है तथा हार्मोन में संतुलन बना रहता है. कैसे करें?
- मैट पर अपने पैरों के बीच दूरी बनाते स्क्वाट करने वाली अवस्था में बैठ जाएं.
- इस अवस्था में अगर एड़ी को जमीन पर टिकाने में असुविधा हो रही हो तो उनके नीचे एक तौलिया भी रखा जा सकता है.
- अब अपनी ऊपरी बाहों को अपने घुटनों के अंदर ले जाएं और दोनों हाथों को नमस्कार की मुद्रा में रखें.
- पीठ को सीधा रखें.
- इस अवस्था में 10 बार लंबी सांसें लें.
बद्ध कोणासन
इस आसन से पीसीओएस को रोकने में, मासिक धर्म और मेनोपॉज संबंधी समस्याओं में राहत मिलती है. साथ ही यह पेल्विक की मांसपेशियों को भी आराम दिलाता है. कैसे करें?
- दोनों पैरों को आगे रखते हुए दंडासन की स्थिति में बैठें.
- दोनों हाथ की हथेलियों से पैरों के पंजों को पकड़े और एड़ियों को पेल्विक के करीब लाएं.
- पीठ को सीधा रखते हुए दोनों घुटने नीचे की ओर दबाए.
- अब धीरे-धीरे श्वास लेते हुये आगे की ओर झुकें.
- ध्यान रहे की आपके घुटने फर्श पर ही रहें.
- इस अवस्था में कुछ सेकंड रहने के बाद धीरे-धीरे पुरानी अवस्था में लौट आएं.
ससंगासन
इस योगासन को करने से हार्मोन संतुलित रहते हैं और थायराइड ग्रंथि सक्रिय रहती है. कैसे करें?
- सबसे पहले वज्रासन में अपनी एड़ी पर बैठ जाएं.
- अब अपनी बाहों को पीछे की ओर खींचते हुए अपने पैरों के तलवों को पकड़ें.
- अपनी ठुड्डी को छाती पर दबाकर रखते हुए सिर से घुटनों को छूने का प्रयास करें.
- अपने कूल्हों को थोड़ा ऊपर की ओर उठाएं, जिससे सिर ज्यादा बेहतर तरीके से नीचे की ओर जा सके.
- इस अवस्था में गहरी सांस लें कुछ सेकेंड बाद पुरानी अवस्था में लौट आएं.
मधू वर्मा बताती हैं कि वैसे तो ये काफी सरल अभ्यास हैं, लेकिन किसी भी प्रकार का आसन करने की शुरुआत करने से पहले किसी प्रशिक्षक से उसे सीखना बहुत जरूरी है. चूंकि हर व्यक्ति की शारीरिक अवस्थाएं अलग-अलग हो सकती हैं, ऐसे में किसी प्रशिक्षित जानकार से परामर्श के उपरांत ही किसी भी प्रकार के योग या आसनों का अभ्यास करना चाहिए. इसके अलावा यदि हार्मोन में असंतुलन की समस्या के लक्षण नजर आ रहे हो तो चिकित्सीय जांच तथा इलाज दोनों जरूरी होते हैं.