ऑस्टियोपोरोसिस एक ऐसा रोग है जिसमें उम्र बढ़ने के साथ साथ हड्डियों में घनत्व यानी उनकी बोन डेंसिटी कम होने लगती है. जिससे हड्डियां कमजोर होने लगती हैं और उनका बोन मास कम हो जाता है और वे भुरभुरी हो जाती हैं. इसके साथ ही उसके टूटने की आशंका बढ़ जाती है. हड्डियों में इस तरह की कमजोरी न सिर्फ उनके बल्कि मांसपेशियों के भी चोटिल होने की आशंका को बढ़ा देती है. हड्डियों और मांसपेशियों में समस्या का असर पीड़ित के शरीर के संतुलन पर भी पड़ता है .
इस अवस्था में कुछ विशेष प्रकार के योग आसनों के अभ्यास से हड्डियों और मांसपेशियों के स्वास्थ्य को बेहतर रखने और उन्हे मजबूत बनाने में काफी मदद मिल सकती है. इन आसनों के अभ्यास से ना सिर्फ शरीर को स्वस्थ रखने बल्कि हड्डियों के लिए जरूरी पोषण को बेहतर तरह से अवशोषित होने में मदद मिलती है, बल्कि हड्डियों तथा मांसपेशियों में लचीलापन बढ़ता है. साथ ही उनमें मजबूती आती है और शरीर का संतुलन की बेहतर होता है जिससे गिर कर चोट लगने की आशंका कम होती है.
ऑस्टियोपोरोसिस में मददगार हो सकते हैं ये आसन
बैंगलुरु की योग गुरु मीनू वर्मा बताती हैं की योग हमारी हड्डियों और मांसपेशियों को ना सिर्फ मजबूत बनाने का कार्य करता है बल्कि शरीर का पॉशचर और संतुलन बनाए रखने में भी मददगार होता है. कुछ विशेष योग आसनों के नियमित योग अभ्यास से कूल्हे तथा रीढ़ की हड्डी में लचीलापन व मजबूती दोनों बढ़ते है. इसके अलावा शरीर में रक्त संचार बेहतर होता है जिससे आहार में मिलने वाले पोषक तत्वों का अवशोषण बेहतर तरह से होता है और शरीर में समस्याएं कम पनपती है. मीनू वर्मा बताती हैं कि ऑस्टियोपोरोसिस तथा हड्डियों की अन्य समस्याओं से बचाव तथा उनके होने की अवस्था में भी कुछ योगासनों का अभ्यास काफी फायदेमंद हो सकता है . जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं.
उत्तानासन/ पादहस्तासन
- इस योग को करने के लिए सबसे पहले योगा मैट पर सीधे या ताड़ासन मुद्रा में खड़े हो जाएं.
- इसके बाद अपने दोनों हाथों को ऊपर की ओर ले जाते हुए उन्हें आपस में जोड़ें.
- अब सांस छोड़ते हुए आगे की ओर कमर से नीचे की ओर झुकें और दोनों हाथों से फर्श को छूने की कोशिश करेँ.
- इस दौरान अपने सिर को पैरों के घुटने से छूने का प्रयास करेँ.
- कुछ सेकंड तक इसी मुद्रा में रहें. और फिर पहले वाली मुद्रा में वापस लौट लाएं.
वीरभद्रासन
- इस आसन के लिए जमीन पर सीधे खड़े हो जाए .
- अब अपने एक पैर को दूसरे पैर के पीछे इस तरह रखें की उसका घुटना सीधा रहे.
- दूसरा पैर को आगे ही रखें और उसे घुटने से मोड़े .
- अब इस अवस्था में अपने दोनों हाथों को सिर के ऊपर की ओर ले जाए और छाती को आगे की ओर स्ट्रेच करने की कोशिश करें.
- कुछ देर इसी स्थिति में रहने के बाद वापस अपने पहले वाली स्थिति में आ जाएं.
- अब आप दूसरे पैर से भी इस प्रक्रिया को दोहराएं.
अर्ध पिंछ मयूरासन
- इस आसन के लिए सबसे पहले योग मैट पर पेट के बल लेट जाएं.
- इसके बाद सांस खींचते हुए पैरों और हाथों के बल शरीर को ऊपर उठाने की कोशिश करें और शरीर को मेज जैसी स्तिथि में ले आएं.
- अब साँस को धीरे धीरे छोड़ते हुए कूल्हों को ऊपर की तरफ उठाने का प्रयास करें तथा शरीर से उल्टे 'V' का आकार बनाएं.
- ध्यान रहे की इस दौरान कंधे और हाथ एक सीध में रहें और नजरें नाभि पर केंद्रित हों.
- इसी स्थिति में कुछ सेकेंड्स तक रुके रहें और फिर पुनः मेज जैसी स्थिति में वापस आ जाएं.
अर्ध चंद्रासन
- सबसे पहले ज़मीन पर ताड़ासन की मुद्रा में खड़े हो जाए.
- अब दोनों पैरों के बीच दूरी बनाएं. कोशिश करें की दोनों पैरों के बीच लगभग दो से चार फुट की दूरी हो.
- अब अपने हाथों को कंधों की सिधाई में सीधा करें .
- अब कमर को मोड़ते हुए, पहले दाई दिशा में झुकते हुए दायें हाथ से दायें पैर को छूने का प्रयास करें.
- इसके बाद अपने घुटने को थोड़ा मोड़ते हुए अपने हाथ को पाँव के बगल में दाई तरफ जमीन पर रखे.यदि संभव हो तो घुटने को सीधा भी रखा जा सकता है.
- अब बाएं पाँव को हवा में ऊपर की उठायें. इस अवस्था में मुड़े हुए घुटने को सीधा कर लें. याद रखें कि इस स्थिति में आपको अपने दोनो पैरों के बीच में 90 डिग्री का एंगल होना चाहिए.
- कुछ क्षण इसी मुद्रा में रहे और फिर पुरानी मुद्रा में वापस आते हुए पुनः ताड़ासन में खड़े हो जाए. और दूसरे पैर से इस अभ्यास को दोहराएं.
सेतु बंधासन
- सबसे पहले अपनी हथेलियों को आसमान की तरफ करते हुए हाथों को जमीन पर रखते हुए पीठ के बल शवासन की मुद्रा में लेट जाएं.
- अब अपने दोनों पैरों को जोड़ें, फिर अपने दोनों पैरों को मोड़कर अपने कूल्हों के पास ले आएं.
- फिर अपने दोनों टखनों को मजबूती से अपने दोनों हाथों से पकड़ें.
- अब धीरे-धीरे सांस अंदर लेते हुए जितना संभव हो अपने कूल्हों को ऊपर उठाएं, और शरीर को पुल या सेतु जैसी आकृति में ले आएं . इस मुद्रा में यदि आवश्यकता हो तो कूल्हों को हाथों से सहारा भी दिया जा सकता है.
- ध्यान रहे कि आपका सिर और कंधे जमीन पर हों और आपके घुटने व पैर एक ही सीध में हो.
- इस स्थिति में सामान्य रूप से सांस लेते रहें और लगभग10 से 30 सेकेंड तक इसी मुद्रा में बने रहें.
- अब सांस छोड़ते हुए अपने कुल्हों को वापस जमीन पर लाएं.
- और अपने टखनों को छोड़ते हुए पुन: शवासन के मुद्रा में आ जाएं और विश्राम करें.
सावधानी जरूरी
योग गुरु मीनू वर्मा बताती है निसन्देह ये आसन हड्डियों को मजबूत बनाने में काफी कारगर होते हैं, लेकिन इनका अभ्यास शुरू करने से पहले बहुत जरूरी है कि किसी प्रशिक्षित योग प्रशिक्षक से इन्हे सीखा जाए. साथ ही ऐसे लोग जिन्हे हड्डियों की समस्या या रोग हो उन्हे इन आसनों के अभ्यास को शुरू करने से पहले एक बार चिकित्सक से परामर्श अवश्य ले लेना चाहिए.