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कब और कैसे करें मास्क का इस्तेमाल?

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Published : Dec 16, 2020, 5:43 PM IST

कोरोना संक्रमण को साल भर होने जा रहा है. लेकिन शोधकर्ता तथा चिकित्सक कोरोना के वायरस पर पूरी तरह रोक लगाने का तरीका खोजने में अभी तक सफल नहीं हुए है. हालांकि इस वायरस से बचाव के लिए वैक्सीन की खोज भी कर ली गई है, लेकिन उसकी सफलता की अभी तक कोई गारंटी नहीं है. ऐसे में तमाम सरकारी और गैर सरकारी स्वास्थ्य संगठन तथा चिकित्सक टीकाकरण के बावजूद भी वायरस से बचाव के लिए तमाम सुरक्षा मानकों का इस्तेमाल करने पर जोर दे रहे है, विशेषकर मास्क के इस्तेमाल पर.

usage of mask is necessary
मास्क का इस्तेमाल जरूरी

वर्तमान परिस्थितियों में जब कार्यालय, होटल और स्कूल सब खुल चुके हैं या खुलने जा रहे हैं, शादी जैसे सामाजिक आयोजन भी हो रहे है, लोग पब्लिक ट्रांसपोर्ट के साधनों का इस्तेमाल कर रहे हैं. ऐसे में बहुत जरूरी हो गया है की लोग संक्रमण से बचने के लिए तमाम उपाय करें, जिनमें मास्क का इस्तेमाल सबसे प्रमुख है.

डब्ल्यूएचओ के अनुसार हर जन सामान्य को सिर्फ बाहर ही नहीं, बल्कि घर पर भी मास्क पहन कर रखना चाहिए. वहीं संक्रमण रोकथाम एवं नियंत्रण (आईपीसी) के अनुसार मास्क पहनने के अलावा यह ध्यान रखना की मास्क या चेहरे के खुले हिस्से को बार-बार ना छुए, हाथों की नियमित सफाई तथा सुरक्षा, बंद क्षेत्रों में हवा की सही निकासी, घर तथा कार्यालय में आसपास के स्थानों की सफाई तथा सेनेटाइजेशन का ध्यान रखना बहुत जरूरी है. ऐसे लोग जो चिकित्सीय कारणों से मास्क नहीं पहन पा रहे हो, उन्हें फेस शील्ड अवश्य पहननी चाहिए. हालांकि इसे ज्यादा सुरक्षित नहीं माना जाता है.

मास्क के प्रकार

कई लोग शिकायत करते हैं की मास्क के कारण उन्हें सांस लेने में समस्या होती है या अन्य परेशानियां होती है. वहीं कई लोग इस बात को लेकर भी दुविधा में रहते हैं की किस तरह का मास्क पहनना चाहिए. बाजार में इस समय काफी प्रकार के मास्क मिल रहे है. जानकारों के आधार पर मास्क के प्रकार और उनके गुण इस प्रकार हैं;

  • श्वसन यंत्र यानि रेस्पिरेटर मास्क : श्वसन यंत्र के साथ आने वाले मास्क वायरस से बचाव के लिए सबसे उपयुक्त माने जाते हैं. यह सील टेस्टेड रेस्पिरेटर्स फाइबर से बनते हैं, जो हवा को फिल्टर करने में सबसे अधिक कारगर होते हैं. सर्टिफाइड N-95 रेस्पिरेटर्स 95 प्रतिशत तक पार्टिकल्स को फिल्टर कर सकते हैं. N-99 रेस्पिरेटर्स इन पार्टिकल्स को 99 प्रतिशत तक फिल्टर कर सकते हैं. N-100 रेस्पिरेटर्स इन पार्टिकल्स को 99.7 प्रतिशत तक फिल्टर कर सकते हैं. इनमें से कुछ रेस्पिरेटर्स में वाल्व होती हैं, जो सांस लेने में मदद करते हैं.
  • सर्जिकल मास्क : बाजार में कई प्रकार के सर्जिकल मास्क मिलते है, जो सिर्फ एक बार पहनने वाले होते है. यानि एक बार पहनो और फेंक दो. रेस्पिरेटर्स की तरह इन मास्क में फिल्ट्रेशन मानक नहीं होते. सर्जिकल मास्क 10 से 90 प्रतिशत तक सुरक्षित हो सकते हैं. हालांकि, यह रेस्पिरेटर जितना सुरक्षित नहीं कहा जा सकता, लेकिन फिर भी इससे बचाव संभव है.
  • कपड़े का मास्क : बाजार में मिलने वाले या घर पर खुद बनाए गए कपड़े के मास्क का भी इस्तेमाल वर्तमान समय में लोग काफी ज्यादा कर रहें है, हालांकि, कोरोना जैसे वायरस से बचाव के लिए इसका प्रभाव थोड़ा कम रहता है. ऐसा इसलिए क्योंकि घर पर बने मास्क में नाक, गाल और जबड़े और मास्क के बीच में गैप रहता है. इससे छोटी ड्रॉप्लेट्स का मास्क में आने का खतरा रहता है. घर पर बने मास्क की क्वालिटी इस पर भी निर्भर करती है कि किस कपड़े से मास्क बनाया गया है. हालांकि, घर पर बने मास्क मेडिकल मास्क जितने प्रभावित नहीं होते, लेकिन फिर भी कोई मास्क ना पहनने से यह मास्क पहनना बहुत बेहतर विकल्प है. इन्हे ठीक से पहनने और अच्छे कपड़े से बनाने पर काफी बचाव हो सकता है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन की मास्क संबंधी नई गाइडलाइंस

मास्क की जरूरत को ध्यान में रखते हुए डब्ल्यूएचओ ने निर्देशिका जारी की है, जो इस प्रकार है;

  1. जहां संक्रमण ज्यादा है, वहां लोगों को हर हाल में मास्क पहनना चाहिए. भीड़भाड़ वाली जगहों में भी मास्क पहनना बेहद जरूरी है.
  2. सभी स्वस्थ लोगों को तीन परतों वाला फैब्रिक मास्क पहनना चाहिए. जो लोग बीमार हैं, वो मेडिकल ग्रेड का मास्क पहने.
  3. जिन जगहों पर संक्रमण का स्तर बहुत ज्यादा है, वहां सभी लोगों को मेडिकल-ग्रेड का मास्क इस्तेमाल करना चाहिए.
  4. अस्पतालों में स्वास्थ्य कर्मियों के साथ ही मरीजों और वहां मौजूद सभी लोगों को मेडिकल- ग्रेड का मास्क पहनना चाहिए.

मास्क पहनने का सही तरीका

वायरस से बचाव के लिए आमतौर पर लोग मास्क पहने नजर तो आते है, लेकिन ज्यादातर लोगों का मास्क या तो नाक से नीचे होता है, या फिर बहुत ढीला होता है. इसके अलावा कई लोगों को मास्क पहनने का सुरक्षित तरीका मालूम ही नहीं है. जिसके अभाव में मास्क का इस्तेमाल कारगर नहीं होता है. मास्क का इस्तेमाल फायदेमंद हो इसके लिए जरूरी है की कुछ विशेष बातों को ध्यान में रखा जाए;

  • मास्क पहनने से पहले अपने हाथों को जरूर साफ कर लें. एल्कोहॉल बेस्ड सेनेटाइजर या साबुन से हाथों को अच्छी तरह साफ करें.
  • मास्क ऐसे पहने की मुंह और नाक पूरी तरह ढका रहे. ध्यान रहे कि फेस मास्क पहनने के बाद आपके मुंह, नाक और जबड़े और मास्क के बीच बिलकुल भी जगह ना रहे और यह आपके कान पर टाइट बंधा हो.
  • फेस मास्क पहनते समय उसे सिर्फ पीछे की तरफ से पकड़ कर निकालें और पहने. उसके आगे के भाग को हाथ ना लगाएं. फेस मास्क की बेल्ट से ही उसे पहनें.
  • मास्क को जितनी जल्दी-जल्दी हो सके बदलते रहें और कोशिश करें कि एक बार इस्तेमाल किए जाने वाले मास्क को री-यूज करने से बचें. मास्क को दोबारा पहनने से पहले दो या उससे अधिक दिन के लिए किसी पेपर बैग में ड्राई जगह पर रखें.
  • अपने रेस्पिरेटर और सर्जिकल मास्क को दोबारा इस्तेमाल करने से पहले इसे ठीक ढंग से साफ तथा सैनिटाइज करें और इसे भी पेपर बैग में रखें. अगर हो पाए तो इसे दोबारा 7 दिन के बाद ही इस्तेमाल करें.
  • अगर आपका कपड़े का मास्क है, तो इसे हर इस्तेमाल के बाद साबुन के पानी से अच्छे से धो कर सूखने के बाद ही दोबारा इस्तेमाल करें.
  • जब आप मास्क उतार रहे हो, तो उसे पीछे की ओर से उतारें. सामने की तरफ से उसे हाथ ना लगाएं. मास्क को उतारने के तुरंत बाद उसे फेंक दें. ध्यान रहे की इस्तेमाल किये गए मास्क को ढक्कन वाले कूड़ेदान में ही डालें.

वर्तमान परिस्थितियों में जब कार्यालय, होटल और स्कूल सब खुल चुके हैं या खुलने जा रहे हैं, शादी जैसे सामाजिक आयोजन भी हो रहे है, लोग पब्लिक ट्रांसपोर्ट के साधनों का इस्तेमाल कर रहे हैं. ऐसे में बहुत जरूरी हो गया है की लोग संक्रमण से बचने के लिए तमाम उपाय करें, जिनमें मास्क का इस्तेमाल सबसे प्रमुख है.

डब्ल्यूएचओ के अनुसार हर जन सामान्य को सिर्फ बाहर ही नहीं, बल्कि घर पर भी मास्क पहन कर रखना चाहिए. वहीं संक्रमण रोकथाम एवं नियंत्रण (आईपीसी) के अनुसार मास्क पहनने के अलावा यह ध्यान रखना की मास्क या चेहरे के खुले हिस्से को बार-बार ना छुए, हाथों की नियमित सफाई तथा सुरक्षा, बंद क्षेत्रों में हवा की सही निकासी, घर तथा कार्यालय में आसपास के स्थानों की सफाई तथा सेनेटाइजेशन का ध्यान रखना बहुत जरूरी है. ऐसे लोग जो चिकित्सीय कारणों से मास्क नहीं पहन पा रहे हो, उन्हें फेस शील्ड अवश्य पहननी चाहिए. हालांकि इसे ज्यादा सुरक्षित नहीं माना जाता है.

मास्क के प्रकार

कई लोग शिकायत करते हैं की मास्क के कारण उन्हें सांस लेने में समस्या होती है या अन्य परेशानियां होती है. वहीं कई लोग इस बात को लेकर भी दुविधा में रहते हैं की किस तरह का मास्क पहनना चाहिए. बाजार में इस समय काफी प्रकार के मास्क मिल रहे है. जानकारों के आधार पर मास्क के प्रकार और उनके गुण इस प्रकार हैं;

  • श्वसन यंत्र यानि रेस्पिरेटर मास्क : श्वसन यंत्र के साथ आने वाले मास्क वायरस से बचाव के लिए सबसे उपयुक्त माने जाते हैं. यह सील टेस्टेड रेस्पिरेटर्स फाइबर से बनते हैं, जो हवा को फिल्टर करने में सबसे अधिक कारगर होते हैं. सर्टिफाइड N-95 रेस्पिरेटर्स 95 प्रतिशत तक पार्टिकल्स को फिल्टर कर सकते हैं. N-99 रेस्पिरेटर्स इन पार्टिकल्स को 99 प्रतिशत तक फिल्टर कर सकते हैं. N-100 रेस्पिरेटर्स इन पार्टिकल्स को 99.7 प्रतिशत तक फिल्टर कर सकते हैं. इनमें से कुछ रेस्पिरेटर्स में वाल्व होती हैं, जो सांस लेने में मदद करते हैं.
  • सर्जिकल मास्क : बाजार में कई प्रकार के सर्जिकल मास्क मिलते है, जो सिर्फ एक बार पहनने वाले होते है. यानि एक बार पहनो और फेंक दो. रेस्पिरेटर्स की तरह इन मास्क में फिल्ट्रेशन मानक नहीं होते. सर्जिकल मास्क 10 से 90 प्रतिशत तक सुरक्षित हो सकते हैं. हालांकि, यह रेस्पिरेटर जितना सुरक्षित नहीं कहा जा सकता, लेकिन फिर भी इससे बचाव संभव है.
  • कपड़े का मास्क : बाजार में मिलने वाले या घर पर खुद बनाए गए कपड़े के मास्क का भी इस्तेमाल वर्तमान समय में लोग काफी ज्यादा कर रहें है, हालांकि, कोरोना जैसे वायरस से बचाव के लिए इसका प्रभाव थोड़ा कम रहता है. ऐसा इसलिए क्योंकि घर पर बने मास्क में नाक, गाल और जबड़े और मास्क के बीच में गैप रहता है. इससे छोटी ड्रॉप्लेट्स का मास्क में आने का खतरा रहता है. घर पर बने मास्क की क्वालिटी इस पर भी निर्भर करती है कि किस कपड़े से मास्क बनाया गया है. हालांकि, घर पर बने मास्क मेडिकल मास्क जितने प्रभावित नहीं होते, लेकिन फिर भी कोई मास्क ना पहनने से यह मास्क पहनना बहुत बेहतर विकल्प है. इन्हे ठीक से पहनने और अच्छे कपड़े से बनाने पर काफी बचाव हो सकता है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन की मास्क संबंधी नई गाइडलाइंस

मास्क की जरूरत को ध्यान में रखते हुए डब्ल्यूएचओ ने निर्देशिका जारी की है, जो इस प्रकार है;

  1. जहां संक्रमण ज्यादा है, वहां लोगों को हर हाल में मास्क पहनना चाहिए. भीड़भाड़ वाली जगहों में भी मास्क पहनना बेहद जरूरी है.
  2. सभी स्वस्थ लोगों को तीन परतों वाला फैब्रिक मास्क पहनना चाहिए. जो लोग बीमार हैं, वो मेडिकल ग्रेड का मास्क पहने.
  3. जिन जगहों पर संक्रमण का स्तर बहुत ज्यादा है, वहां सभी लोगों को मेडिकल-ग्रेड का मास्क इस्तेमाल करना चाहिए.
  4. अस्पतालों में स्वास्थ्य कर्मियों के साथ ही मरीजों और वहां मौजूद सभी लोगों को मेडिकल- ग्रेड का मास्क पहनना चाहिए.

मास्क पहनने का सही तरीका

वायरस से बचाव के लिए आमतौर पर लोग मास्क पहने नजर तो आते है, लेकिन ज्यादातर लोगों का मास्क या तो नाक से नीचे होता है, या फिर बहुत ढीला होता है. इसके अलावा कई लोगों को मास्क पहनने का सुरक्षित तरीका मालूम ही नहीं है. जिसके अभाव में मास्क का इस्तेमाल कारगर नहीं होता है. मास्क का इस्तेमाल फायदेमंद हो इसके लिए जरूरी है की कुछ विशेष बातों को ध्यान में रखा जाए;

  • मास्क पहनने से पहले अपने हाथों को जरूर साफ कर लें. एल्कोहॉल बेस्ड सेनेटाइजर या साबुन से हाथों को अच्छी तरह साफ करें.
  • मास्क ऐसे पहने की मुंह और नाक पूरी तरह ढका रहे. ध्यान रहे कि फेस मास्क पहनने के बाद आपके मुंह, नाक और जबड़े और मास्क के बीच बिलकुल भी जगह ना रहे और यह आपके कान पर टाइट बंधा हो.
  • फेस मास्क पहनते समय उसे सिर्फ पीछे की तरफ से पकड़ कर निकालें और पहने. उसके आगे के भाग को हाथ ना लगाएं. फेस मास्क की बेल्ट से ही उसे पहनें.
  • मास्क को जितनी जल्दी-जल्दी हो सके बदलते रहें और कोशिश करें कि एक बार इस्तेमाल किए जाने वाले मास्क को री-यूज करने से बचें. मास्क को दोबारा पहनने से पहले दो या उससे अधिक दिन के लिए किसी पेपर बैग में ड्राई जगह पर रखें.
  • अपने रेस्पिरेटर और सर्जिकल मास्क को दोबारा इस्तेमाल करने से पहले इसे ठीक ढंग से साफ तथा सैनिटाइज करें और इसे भी पेपर बैग में रखें. अगर हो पाए तो इसे दोबारा 7 दिन के बाद ही इस्तेमाल करें.
  • अगर आपका कपड़े का मास्क है, तो इसे हर इस्तेमाल के बाद साबुन के पानी से अच्छे से धो कर सूखने के बाद ही दोबारा इस्तेमाल करें.
  • जब आप मास्क उतार रहे हो, तो उसे पीछे की ओर से उतारें. सामने की तरफ से उसे हाथ ना लगाएं. मास्क को उतारने के तुरंत बाद उसे फेंक दें. ध्यान रहे की इस्तेमाल किये गए मास्क को ढक्कन वाले कूड़ेदान में ही डालें.
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