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50 फीसदी महिलाएं मासिक धर्म के दौरान करती हैं दर्द का सामना

महिलाओं में माहवारी को उनके प्रजनन स्वास्थ्य के लिए जरूरी माना जाता है. लेकिन ज्यादातर महिलाओं के लिए माहवारी सहज और सरल प्रक्रिया नही होती है. हर महीने माहवारी के दौरान बहुत सी महिलाओं को विभिन्न समस्याओं के अलावा पेट में दर्द या ऐंठन का सामना करना पड़ता है. एक शोध के अनुसार लगभग 50 फीसदी महिलाएं मासिक धर्म के दौरान पेट में दर्द या ऐंठन का सामना करती है.

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50 फीसदी महिलाएं मासिक धर्म के दौरान करती हैं दर्द का सामना
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Published : Mar 19, 2022, 4:50 PM IST

मासिक धर्म के दौरान महिलाओं के पेट में दर्द होना सामान्य बात माना जाता है. एक शोध के अनुसार लगभग 50 फीसदी महिलाएं मासिक धर्म के दौरान दर्द का सामना करती है. इनमें से 10 फीसदी से ज्यादा महिलाओं में दर्द की तीव्रता काफी ज्यादा होती है. माहवारी के दौरान आमतौर पर महिलाओं को पेट के निचले हिस्से और जांघों में दर्द महसूस होता है. लेकिन इस अवधि में कुछ महिलाओं को सरदर्द और कमर दर्द सहित कई अन्य प्रकार की समस्याओं का सामना भी करना पड़ता है. माहवारी के दौरान होने वाले दर्द के लिए जिम्मेदार करकों और इस अवधि में महिलाओं में होने वाले अन्य शारीरिक बदलावों व समस्याओं के बारें में ETV Bharat सुखीभवा ने बैंगलुरु की महिला रोग विशेषज्ञ डॉ रिद्धीलेखा नायक से बात की .

क्यों होता है मासिक चक्र के दौरान दर्द

डॉ रिद्धिलेखा बताती हैं कि मासिक धर्म के दौरान होने वाले दर्द की अवस्था को डिसमेनोरिया कहा जाता है तथा इसके लिए प्रोस्टेग्लेंडाइन नामक हार्मोन को जिम्मेदार माना जाता है. यह एक ऐसा हार्मोन है जोकि गर्भाशय के पास के सेल्स से स्त्रावित होता है और माहवारी के दौरान गर्भाशय की मांसपेशियों के संकुचन के लिए जिम्मेदार होता है.

डिसमेनोरिया दो प्रकार का माना जाता है.

  • प्राइमरी डिसमेनोरिया: इस प्रकार के दर्द का कारण माहवारी के दौरान गर्भाशय में होने वाला संकुचन होता है. इस प्रक्रिया में गर्भाशय में कुछ हार्मोन्स निकलते हैं जो दर्द का कारण बनते है. गौरतलब है की इन्ही हार्मोन्स को प्रसव के दौरान होने वाली पीड़ा के लिए भी जिम्मेदार माना जाता है.
  • सेकंडरी डिसमेनोरिया: इस प्रकार का दर्द फायब्रॉइड जैसी किसी चिकित्सीय समस्या या अवस्था के कारण होता है. दरअसल फाइब्रॉइड एक ऐसा ट्यूमर होता हैं जो गर्भाशय की दीवार पर बनने लगते हैं. इसके अतिरिक्त इंडोमीट्रिऑसिस, पेल्विक इनफ्लेमेट्री डिजीज, ऐडिनोमाऑसिस और सर्विकल स्टेनोसिस के कारण भी माहवारी के दौरान दर्द हो सकता है.

मासिक धर्म के दौरान होने वाली अन्य समस्याएं

माहवारी के दौरान हर उम्र की महिलाओं में दर्द के अतिरिक्त अलग-अलग प्रकार की समस्याएं भी नजर आ सकती हैं. जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं.

  • स्तनों में दर्द
    माहवारी के दौरान या उससे पहले बड़ी संख्या में लड़कियां और महिलाएं स्तनों में भारीपन या दर्द महसूस करती है जोकि माहवारी के दौरान एक सामान्य बात है. इस अवस्था के लिए एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्ट्रोन हार्मोन को जिम्मेदार माना जाता है. दरअसल इन हार्मोंस के कारण स्तनों में डक्ट और लैक्टेटिंग ग्लैंड्स का आकार बढ जाता है. वहीं कुछ शोध के नतीजों की माने तो इस अवधि में शरीर में प्रोलैक्टिन यानी ब्रेस्टफीडिंग हार्मोन की मात्रा भी बढ़ जाती है जो दर्द का कारण बनता है. माहवारी के दौरान हार्मोन की मात्रा में उतार-चढ़ाव के अलावा और भी कई कारण है जो स्तनों में दर्द का कारण बन सकते है, जैसे शरीर के उत्तकों में फैटी एसिड की मात्रा में असंतुलन तथा उसके चलते स्तनों में मौजूद हार्मोंस में सहायक टिश्यू की संवेदनशीलता प्रभावित होना, शरीर में पोषण की कमी, खान-पान की गलत आदतें और तनाव .
  • रक्त में ज्यादा मात्रा में थक्कों का बनना
    यूं तो माहवारी के दौरान रक्त के थक्कों का बनना सामान्य माना जाता है लेकिन यदि खून के थक्कों की मात्रा अपेक्षाकृत ज्यादा होने लगे तो यह पॉलिसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम, थायरॉयड के बढ़ने या किसी अन्य गंभीर समस्या का संकेत हो सकता है. ऐसी अवस्था में तत्काल महिला रोग विशेषज्ञ से संपर्क करना चाहिए.
  • माहवारी के दौरान डायरिया या मितली आने जैसा महसूस होना
    एक शोध के अनुसार लगभग 73 प्रतिशत महिलाओं में माहवारी के दौरान डायरिया तथा उल्टी व मितली जैसी समस्याएं देखने में आती है. इस अवधि में बहुत सी लड़कियां तथा महिलायें पेट फूलने की शिकायत भी करती है. इन सभी अवस्थाओं के लिए मासिकधर्म के दौरान होने वाली हार्मोन संबंधी गतिविधियों को जिम्मेदार माना जाता है. विशेषतौर पर प्रोजेस्ट्रॉन हार्मोन को पेट फूलने जैसी समस्याओं के लिए जिम्मेदार माना जाता है. वहीं माहवारी के दौरान गर्भाशय में स्त्रावित होने वाले प्रोस्टाग्लैंडिन हार्मोन की मात्रा बढ़ने का असर पाचन क्रिया पर भी पड़ता है.

डॉ रिद्धिलेखा बताती हैं कि माहवारी के दौरान लंबी अवधि तक या ज्यादा मात्रा में रक्तस्राव होने की अवस्था में , दर्द असहनीय होने पर तथा अन्य समस्याओं का प्रभाव शरीर पर ज्यादा नजर आने लगे तो उसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. कई बार महिलाओं को लगता है कि यह समस्याएं अपने आप ठीक हो जाएंगी जो सही नही है. ऐसी अवस्थाओं के लक्षण नजर आने पर महिलाओं को तत्काल महिला रोग विशेषज्ञ से संपर्क करना चाहिए.

पढ़ें: ध्यान न दें तो घातक हो सकता है ल्यूकोरिया

मासिक धर्म के दौरान महिलाओं के पेट में दर्द होना सामान्य बात माना जाता है. एक शोध के अनुसार लगभग 50 फीसदी महिलाएं मासिक धर्म के दौरान दर्द का सामना करती है. इनमें से 10 फीसदी से ज्यादा महिलाओं में दर्द की तीव्रता काफी ज्यादा होती है. माहवारी के दौरान आमतौर पर महिलाओं को पेट के निचले हिस्से और जांघों में दर्द महसूस होता है. लेकिन इस अवधि में कुछ महिलाओं को सरदर्द और कमर दर्द सहित कई अन्य प्रकार की समस्याओं का सामना भी करना पड़ता है. माहवारी के दौरान होने वाले दर्द के लिए जिम्मेदार करकों और इस अवधि में महिलाओं में होने वाले अन्य शारीरिक बदलावों व समस्याओं के बारें में ETV Bharat सुखीभवा ने बैंगलुरु की महिला रोग विशेषज्ञ डॉ रिद्धीलेखा नायक से बात की .

क्यों होता है मासिक चक्र के दौरान दर्द

डॉ रिद्धिलेखा बताती हैं कि मासिक धर्म के दौरान होने वाले दर्द की अवस्था को डिसमेनोरिया कहा जाता है तथा इसके लिए प्रोस्टेग्लेंडाइन नामक हार्मोन को जिम्मेदार माना जाता है. यह एक ऐसा हार्मोन है जोकि गर्भाशय के पास के सेल्स से स्त्रावित होता है और माहवारी के दौरान गर्भाशय की मांसपेशियों के संकुचन के लिए जिम्मेदार होता है.

डिसमेनोरिया दो प्रकार का माना जाता है.

  • प्राइमरी डिसमेनोरिया: इस प्रकार के दर्द का कारण माहवारी के दौरान गर्भाशय में होने वाला संकुचन होता है. इस प्रक्रिया में गर्भाशय में कुछ हार्मोन्स निकलते हैं जो दर्द का कारण बनते है. गौरतलब है की इन्ही हार्मोन्स को प्रसव के दौरान होने वाली पीड़ा के लिए भी जिम्मेदार माना जाता है.
  • सेकंडरी डिसमेनोरिया: इस प्रकार का दर्द फायब्रॉइड जैसी किसी चिकित्सीय समस्या या अवस्था के कारण होता है. दरअसल फाइब्रॉइड एक ऐसा ट्यूमर होता हैं जो गर्भाशय की दीवार पर बनने लगते हैं. इसके अतिरिक्त इंडोमीट्रिऑसिस, पेल्विक इनफ्लेमेट्री डिजीज, ऐडिनोमाऑसिस और सर्विकल स्टेनोसिस के कारण भी माहवारी के दौरान दर्द हो सकता है.

मासिक धर्म के दौरान होने वाली अन्य समस्याएं

माहवारी के दौरान हर उम्र की महिलाओं में दर्द के अतिरिक्त अलग-अलग प्रकार की समस्याएं भी नजर आ सकती हैं. जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं.

  • स्तनों में दर्द
    माहवारी के दौरान या उससे पहले बड़ी संख्या में लड़कियां और महिलाएं स्तनों में भारीपन या दर्द महसूस करती है जोकि माहवारी के दौरान एक सामान्य बात है. इस अवस्था के लिए एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्ट्रोन हार्मोन को जिम्मेदार माना जाता है. दरअसल इन हार्मोंस के कारण स्तनों में डक्ट और लैक्टेटिंग ग्लैंड्स का आकार बढ जाता है. वहीं कुछ शोध के नतीजों की माने तो इस अवधि में शरीर में प्रोलैक्टिन यानी ब्रेस्टफीडिंग हार्मोन की मात्रा भी बढ़ जाती है जो दर्द का कारण बनता है. माहवारी के दौरान हार्मोन की मात्रा में उतार-चढ़ाव के अलावा और भी कई कारण है जो स्तनों में दर्द का कारण बन सकते है, जैसे शरीर के उत्तकों में फैटी एसिड की मात्रा में असंतुलन तथा उसके चलते स्तनों में मौजूद हार्मोंस में सहायक टिश्यू की संवेदनशीलता प्रभावित होना, शरीर में पोषण की कमी, खान-पान की गलत आदतें और तनाव .
  • रक्त में ज्यादा मात्रा में थक्कों का बनना
    यूं तो माहवारी के दौरान रक्त के थक्कों का बनना सामान्य माना जाता है लेकिन यदि खून के थक्कों की मात्रा अपेक्षाकृत ज्यादा होने लगे तो यह पॉलिसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम, थायरॉयड के बढ़ने या किसी अन्य गंभीर समस्या का संकेत हो सकता है. ऐसी अवस्था में तत्काल महिला रोग विशेषज्ञ से संपर्क करना चाहिए.
  • माहवारी के दौरान डायरिया या मितली आने जैसा महसूस होना
    एक शोध के अनुसार लगभग 73 प्रतिशत महिलाओं में माहवारी के दौरान डायरिया तथा उल्टी व मितली जैसी समस्याएं देखने में आती है. इस अवधि में बहुत सी लड़कियां तथा महिलायें पेट फूलने की शिकायत भी करती है. इन सभी अवस्थाओं के लिए मासिकधर्म के दौरान होने वाली हार्मोन संबंधी गतिविधियों को जिम्मेदार माना जाता है. विशेषतौर पर प्रोजेस्ट्रॉन हार्मोन को पेट फूलने जैसी समस्याओं के लिए जिम्मेदार माना जाता है. वहीं माहवारी के दौरान गर्भाशय में स्त्रावित होने वाले प्रोस्टाग्लैंडिन हार्मोन की मात्रा बढ़ने का असर पाचन क्रिया पर भी पड़ता है.

डॉ रिद्धिलेखा बताती हैं कि माहवारी के दौरान लंबी अवधि तक या ज्यादा मात्रा में रक्तस्राव होने की अवस्था में , दर्द असहनीय होने पर तथा अन्य समस्याओं का प्रभाव शरीर पर ज्यादा नजर आने लगे तो उसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. कई बार महिलाओं को लगता है कि यह समस्याएं अपने आप ठीक हो जाएंगी जो सही नही है. ऐसी अवस्थाओं के लक्षण नजर आने पर महिलाओं को तत्काल महिला रोग विशेषज्ञ से संपर्क करना चाहिए.

पढ़ें: ध्यान न दें तो घातक हो सकता है ल्यूकोरिया

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