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जरूरी है थायराइड विकारों को लेकर आमजन में जागरूकता : थायराइड जागरूकता माह 2024

Thyroid Awareness Month: थायराइड विकार तथा उसके कारण होने वाले रोगों के कारणों, लक्षणों, विकार के सही उपचार और प्रबंधन के बारे में लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से हर साल दुनिया के कई देशों में जनवरी माह को ‘थाइराइड जागरूकता माह’ के रूप में मनाया जाता है. इस वर्ष यह आयोजन 'थायराइड स्वास्थ्य का पोषण: ज्ञान, जांच और कल्याण' थीम पर मनाया जा रहा है.

Thyroid Awareness Month 2024
थायराइड
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jan 10, 2024, 12:01 AM IST

हैदराबाद: दुनिया भर में बहुत से लोग थायराइड विकारों तथा उनके कारण होने वाली अन्य कम या ज्यादा गंभीर बीमारियों के चलते कई शारीरिक व मानसिक परेशानियो का सामना करते हैं. वैसे तो थायराइड की समस्या महिलाओं , पुरुषों व बच्चों सभी को प्रभावित कर सकती है लेकिन विशेषतौर महिलाओं में इसके मामले ज्यादा नजर आते हैं.

थायराइड विकारों के कारण होने वाली समस्याओं व उनके कारण ट्रिगर होने वाले रोगों के कारणों, उपचार व प्रबंधन के बारे में आमजन में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से हर साल जनवरी माह को ' थायराइड जागरूकता माह के रूप में मनाया जाता है. इस वर्ष यह आयोजन “ थायराइड स्वास्थ्य का पोषण: ज्ञान, जांच और कल्याण” थीम पर मनाया जा रहा है

क्या कहते हैं आंकड़े
आंकड़ों के अनुसार भारत में वर्ष 2022 में थायराइड के मरीजों की संख्या 42 लाख से ज्यादा थी. वहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, भारत में हर 10 हजार बच्चों में से 37 को थायराइड की समस्या है. वैश्विक आंकड़ों की माने तो अमेरिकन थायराइड एसोसिएशन के अनुसार संयुक्त राज्य अमेरिका में रहने वाले 12% से अधिक लोग अपने जीवनकाल में कभी भी किसी भी प्रकार के थायराइड विकार के विकसित होने की आशंका में जी रहें हैं. उक्त रिपोर्ट के अनुसार संयुक्त राज्य अमेरिका में लगभग 20 मिलियन लोग थायराइड विकार या उससे जुड़ी समस्याओं/रोगों से जूझ रहे हैं.

इतिहास व उद्देश्य
थायराइड विकारों के शरीर पर पड़ने वाले प्रभावों तथा उनके कारण होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं के बारे में लोगों में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य के साथ सबसे पहले अमेरिकन थायराइड एसोसिएशन के सहयोग से संयुक्त राज्य अमेरिका में ‘थायराइड जागरूकता माह’ मनाए जाने की शुरुआत हुई थी. दरअसल वर्ष 1923 में जनवरी माह में ही ‘अमेरिकन थायराइड एसोसिएशन’ का गठन किया गया था. इसी के चलते जनवरी माह में इस मासिक आयोजन को मनाए जाने की शुरुआत हुई.

बाद में इस राष्ट्रीय अभियान को अंतरराष्ट्रीय मान्यता मिली और अब दुनिया के कई देशों में 'थायराइड जागरूकता माह' मनाया जाता है. इस आयोजन के तहत पूरे माह थायराइड विकारों और स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता बढ़ाने तथा थायराइड के बारे में लोगों की समझ को बेहतर करने के उद्देश्य से कई प्रकार के सूचनात्मक कार्यक्रमों, स्वास्थ्य जांच कार्यक्रम व शिविर तथा अन्य कई प्रकार की गतिविधियों का आयोजन किया जाता है. इस आयोजन का एक उद्देश्य थायराइड व उसके कारण होने वाली समस्याओं व रोगों के बेहतर इलाज व प्रबंधन के लिए प्रयासों व अनुसंधान को बढ़ाना तथा इसके लिए वैश्विक स्तर पर स्वास्थ्य व सामाजिक संगठनों, सरकारी व गैर सरकारी संस्थाओं तथा व्यक्तिगत स्तर पर लोगों से भागेदारी सुनिश्चित करने की अपील करना भी है.

क्या है थायराइड विकार, उसके कारण व प्रभाव
हमारे शरीर में थायराइड ग्लैंड में सही मात्रा में थायराइड हार्मोन का निर्माण न होने की समस्या को थायराइड विकार नाम से संदर्भित किया जाता है. दरअसल यह हार्मोन हमारे मेटाबोलिज़्म को दुरुस्त रखने के साथ ही हमारे शरीर की कई प्रणालियों के संचालन के लिए जरूरी माना जाता है. थायराइड विकार होने पर हमारे शरीर की कई जरूरी क्रियाओं के संचालन में समस्या होने लगती है जैसे इसके कारण श्वास संबंधी समस्याएं, हृदय गति में अनियमितता, पाचन में समस्या, वजन का बढ़ना, त्वचा व बालों संबंधी समस्याएं, मांसपेशियों की ताकत में कमी, ऊर्जा में कमी तथा शरीर के तापमान के नियंत्रण में ना रहने जैसी कई समस्याएं बढ़ने लगती हैं. इसके कारण पीड़ित में कोलेस्ट्रॉल संबंधी समस्याएं भी बढ़ सकती हैं. इसके अलावा इसके कारण पीड़ित के मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर पड़ सकता है. जैसे थायराइड विकार में कई बार पीड़ित में अवसाद, चिंता, बैचेनी तथा अन्य मूड विकार जैसी समस्याएं भी नजर आ सकती हैं.

थायराइड रोग के दो प्रकार माने जाते हैं- हाइपरथायरायडिज्म और हाइपोथायरायडिज्म. इनमें हाइपरथायरायडिज्म में थायराइड ग्रन्थि में हार्मोन का उत्पादन बहुत ज्यादा बढ़ जाता है, वहीं थायराइड हार्मोन के निर्माण/उत्पादन में जरूरत से ज्यादा कमी हाइपोथायराडिज्म कहलाती है. इन दोनों ही अवस्थाओं में पीड़ितों को अलग-अलग प्रकार की कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता. थायराइड विकार के लिए जिम्मेदार कारणों की बात करे तो जानकारों का कहना है कि इसके लिए आनुवंशिकता, शरीर में आयोडीन की कमी, कुछ ऑटोइम्यून रोग, कैंसर या कुछ विशेष थेरेपी या उपचार के पार्श्व प्रभाव भी जिम्मेदार हो सकते हैं.

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हैदराबाद: दुनिया भर में बहुत से लोग थायराइड विकारों तथा उनके कारण होने वाली अन्य कम या ज्यादा गंभीर बीमारियों के चलते कई शारीरिक व मानसिक परेशानियो का सामना करते हैं. वैसे तो थायराइड की समस्या महिलाओं , पुरुषों व बच्चों सभी को प्रभावित कर सकती है लेकिन विशेषतौर महिलाओं में इसके मामले ज्यादा नजर आते हैं.

थायराइड विकारों के कारण होने वाली समस्याओं व उनके कारण ट्रिगर होने वाले रोगों के कारणों, उपचार व प्रबंधन के बारे में आमजन में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से हर साल जनवरी माह को ' थायराइड जागरूकता माह के रूप में मनाया जाता है. इस वर्ष यह आयोजन “ थायराइड स्वास्थ्य का पोषण: ज्ञान, जांच और कल्याण” थीम पर मनाया जा रहा है

क्या कहते हैं आंकड़े
आंकड़ों के अनुसार भारत में वर्ष 2022 में थायराइड के मरीजों की संख्या 42 लाख से ज्यादा थी. वहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, भारत में हर 10 हजार बच्चों में से 37 को थायराइड की समस्या है. वैश्विक आंकड़ों की माने तो अमेरिकन थायराइड एसोसिएशन के अनुसार संयुक्त राज्य अमेरिका में रहने वाले 12% से अधिक लोग अपने जीवनकाल में कभी भी किसी भी प्रकार के थायराइड विकार के विकसित होने की आशंका में जी रहें हैं. उक्त रिपोर्ट के अनुसार संयुक्त राज्य अमेरिका में लगभग 20 मिलियन लोग थायराइड विकार या उससे जुड़ी समस्याओं/रोगों से जूझ रहे हैं.

इतिहास व उद्देश्य
थायराइड विकारों के शरीर पर पड़ने वाले प्रभावों तथा उनके कारण होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं के बारे में लोगों में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य के साथ सबसे पहले अमेरिकन थायराइड एसोसिएशन के सहयोग से संयुक्त राज्य अमेरिका में ‘थायराइड जागरूकता माह’ मनाए जाने की शुरुआत हुई थी. दरअसल वर्ष 1923 में जनवरी माह में ही ‘अमेरिकन थायराइड एसोसिएशन’ का गठन किया गया था. इसी के चलते जनवरी माह में इस मासिक आयोजन को मनाए जाने की शुरुआत हुई.

बाद में इस राष्ट्रीय अभियान को अंतरराष्ट्रीय मान्यता मिली और अब दुनिया के कई देशों में 'थायराइड जागरूकता माह' मनाया जाता है. इस आयोजन के तहत पूरे माह थायराइड विकारों और स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता बढ़ाने तथा थायराइड के बारे में लोगों की समझ को बेहतर करने के उद्देश्य से कई प्रकार के सूचनात्मक कार्यक्रमों, स्वास्थ्य जांच कार्यक्रम व शिविर तथा अन्य कई प्रकार की गतिविधियों का आयोजन किया जाता है. इस आयोजन का एक उद्देश्य थायराइड व उसके कारण होने वाली समस्याओं व रोगों के बेहतर इलाज व प्रबंधन के लिए प्रयासों व अनुसंधान को बढ़ाना तथा इसके लिए वैश्विक स्तर पर स्वास्थ्य व सामाजिक संगठनों, सरकारी व गैर सरकारी संस्थाओं तथा व्यक्तिगत स्तर पर लोगों से भागेदारी सुनिश्चित करने की अपील करना भी है.

क्या है थायराइड विकार, उसके कारण व प्रभाव
हमारे शरीर में थायराइड ग्लैंड में सही मात्रा में थायराइड हार्मोन का निर्माण न होने की समस्या को थायराइड विकार नाम से संदर्भित किया जाता है. दरअसल यह हार्मोन हमारे मेटाबोलिज़्म को दुरुस्त रखने के साथ ही हमारे शरीर की कई प्रणालियों के संचालन के लिए जरूरी माना जाता है. थायराइड विकार होने पर हमारे शरीर की कई जरूरी क्रियाओं के संचालन में समस्या होने लगती है जैसे इसके कारण श्वास संबंधी समस्याएं, हृदय गति में अनियमितता, पाचन में समस्या, वजन का बढ़ना, त्वचा व बालों संबंधी समस्याएं, मांसपेशियों की ताकत में कमी, ऊर्जा में कमी तथा शरीर के तापमान के नियंत्रण में ना रहने जैसी कई समस्याएं बढ़ने लगती हैं. इसके कारण पीड़ित में कोलेस्ट्रॉल संबंधी समस्याएं भी बढ़ सकती हैं. इसके अलावा इसके कारण पीड़ित के मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर पड़ सकता है. जैसे थायराइड विकार में कई बार पीड़ित में अवसाद, चिंता, बैचेनी तथा अन्य मूड विकार जैसी समस्याएं भी नजर आ सकती हैं.

थायराइड रोग के दो प्रकार माने जाते हैं- हाइपरथायरायडिज्म और हाइपोथायरायडिज्म. इनमें हाइपरथायरायडिज्म में थायराइड ग्रन्थि में हार्मोन का उत्पादन बहुत ज्यादा बढ़ जाता है, वहीं थायराइड हार्मोन के निर्माण/उत्पादन में जरूरत से ज्यादा कमी हाइपोथायराडिज्म कहलाती है. इन दोनों ही अवस्थाओं में पीड़ितों को अलग-अलग प्रकार की कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता. थायराइड विकार के लिए जिम्मेदार कारणों की बात करे तो जानकारों का कहना है कि इसके लिए आनुवंशिकता, शरीर में आयोडीन की कमी, कुछ ऑटोइम्यून रोग, कैंसर या कुछ विशेष थेरेपी या उपचार के पार्श्व प्रभाव भी जिम्मेदार हो सकते हैं.

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