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आयुर्वेद के साथ माइग्रेन सिरदर्द को कम करें

माइग्रेन एक ऐसी समस्या है जिसका कोई स्थाई इलाज संभव नही है। लेकिन आयुर्वेद की माने तो कुछ विशेष औषधियों और उपचारों की मदद से इसकी तीक्ष्णता तथा आव्रती पर नियंत्रण किया जा सकता है।

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Published : Jul 12, 2021, 1:54 PM IST

माइग्रेन एक ऐसी समस्या है जिससे कुल आबादी के लगभग 10-15% लोग सामान्य रूप से पीड़ित रहते हैं। यह एक आम लेकिन अप्रत्याशित समस्या है जिसका कोई स्थाई इलाज नही है साथ ही इस पर नियंत्रण में कई बार मुश्किले भी आ सकती हैं। आयुर्वेद में माइग्रेन के लिए उपचार तथा औषधियाँ मौजूद हैं। जिनके बारें में ज्यादा जानकारी लेने के लिए के लिए ETV भारत सुखीभवा ने आयुर्वेदाचार्य डॉ.पी.वी रंगनायकुलु से बात की ।

माइग्रेन और सामान्य सिरदर्द में अंतर

डॉ रंगनायकुलु बताते हैं की माइग्रेन के उपचार के बारें में जानने से पहले जरूरी है की उसकी प्रवत्ति के बारें में जाना जाय। वे बताते हैं की आमतौर पर सामान्य सिरदर्द कुछ घंटों से अधिक नहीं रहता है और सिर के दोनों किनारों पर अनुभव होता है, जबकि माइग्रेन एकतरफा होता है, और दो दिनों से अधिक समय तक रह सकता है। आयुर्वेद में इसे अर्धभेदक के नाम से जाना जाता है। यह सूखे भोजन के अत्यधिक सेवन, कोहरे और धुंध के संपर्क में आने और अत्यधिक थकावट के कारण होता है।”

आनुवंशिक कारणों और हार्मोनल असंतुलन के कारण आमतौर पर महिलाएं में पुरुषों की तुलना में यह समस्या ज्यादा नजर आती है।

माइग्रेन की अवस्था में पीड़ित को कभी-कभी मतली और उल्टी भी आती है। इसके साथ ही आंखों में आंसू या नाक में भारी लगने जैसी समस्या भी पीड़ित महसूस करते हैं।

डॉ रंगनायकुलु बताते हैं की माइग्रेन से पीड़ित लगभग 20% लोग दर्द के दौरान आँखों के समक्ष चमकती रोशनी, चमकीले धब्बे तथा टेढ़ी-मेढ़ी रेखाएं होने जैसी अनुभूति महसूस करते हैं। इसके अतिरिक्त दृष्टि में परिवर्तन, उंगलियों, होंठ, जीभ और निचले चेहरे में सुन्नता या झुनझुनी का अनुभव होना तथा वाणी में समस्या भी माइग्रेन के दौरान नजर आ सकती है।

उपचार

डॉ. रंगनायकुलु बताते हैं की हालांकि इस समस्या का कोई इलाज नहीं है लेकिन आयुर्वेदिक दवाओं और जीवनशैली प्रबंधन की मदद से इस प्रकार के सिरदर्द का प्रबंधन किया जा सकता है। आयुर्वेद माइग्रेन के लिए निम्नलिखित औषधियों और उपचारों की सिफारिश करता है।

  • अवपीदान नस्य ( औषधीय पौधों के रस को नथुनों में दबाना)
  • लेबेक पेड़ की जड़ें और फलों का सेवन करें।
  • बांस की जड़ का सेवन करें ।
  • नद्यपान पाउडर को शहद के साथ मिलाकर उसका सेवन करें।
  • चंदन पाउडर का शहद के साथ सेवन करें।
  • रीयलगर पाउडर (लाल आर्सेनिक) का लेपन
  • अनु तेल तेल की 6-6 बूँदें दोनों नथुनों में नियमित अंतराल पर 2 सप्ताह तक डालें।
  • सरसपैरिला (हेमाइड्समस इंडिकस) यानी नीले कमल के पेस्ट का सर पर लेप लगाएं।
  • पूरे शरीर पर तेल या घी की मालिश करें।
  • भाप स्नान और वाष्प उपचार लें।
  • शुद्धिकरण चिकित्सा व उपचार लें।
  • दूध में चीनी मिलाकर पिएं।
  • विदांगदि लेप को मलहम की तरह से लगाएं
  • कफकेतु रस की गोलियों का 30 दिन तक सेवन करें ।

डॉ. रंगनायकुलु बताते हैं की यह समस्या आमतौर पर अधिक नमी और ध्वनि प्रदूषण के कारण होती है इसलिए अँधेरे, ठंडे तथा शांत कमरे में जाकर मीठा खाने से भी माइग्रेन के दर्द में आंशिक आराम मिल सकता है।

पढ़ें : शहरी क्षेत्रों के लोगों में सबसे सामान्य समस्या है सिर दर्द ।

माइग्रेन एक ऐसी समस्या है जिससे कुल आबादी के लगभग 10-15% लोग सामान्य रूप से पीड़ित रहते हैं। यह एक आम लेकिन अप्रत्याशित समस्या है जिसका कोई स्थाई इलाज नही है साथ ही इस पर नियंत्रण में कई बार मुश्किले भी आ सकती हैं। आयुर्वेद में माइग्रेन के लिए उपचार तथा औषधियाँ मौजूद हैं। जिनके बारें में ज्यादा जानकारी लेने के लिए के लिए ETV भारत सुखीभवा ने आयुर्वेदाचार्य डॉ.पी.वी रंगनायकुलु से बात की ।

माइग्रेन और सामान्य सिरदर्द में अंतर

डॉ रंगनायकुलु बताते हैं की माइग्रेन के उपचार के बारें में जानने से पहले जरूरी है की उसकी प्रवत्ति के बारें में जाना जाय। वे बताते हैं की आमतौर पर सामान्य सिरदर्द कुछ घंटों से अधिक नहीं रहता है और सिर के दोनों किनारों पर अनुभव होता है, जबकि माइग्रेन एकतरफा होता है, और दो दिनों से अधिक समय तक रह सकता है। आयुर्वेद में इसे अर्धभेदक के नाम से जाना जाता है। यह सूखे भोजन के अत्यधिक सेवन, कोहरे और धुंध के संपर्क में आने और अत्यधिक थकावट के कारण होता है।”

आनुवंशिक कारणों और हार्मोनल असंतुलन के कारण आमतौर पर महिलाएं में पुरुषों की तुलना में यह समस्या ज्यादा नजर आती है।

माइग्रेन की अवस्था में पीड़ित को कभी-कभी मतली और उल्टी भी आती है। इसके साथ ही आंखों में आंसू या नाक में भारी लगने जैसी समस्या भी पीड़ित महसूस करते हैं।

डॉ रंगनायकुलु बताते हैं की माइग्रेन से पीड़ित लगभग 20% लोग दर्द के दौरान आँखों के समक्ष चमकती रोशनी, चमकीले धब्बे तथा टेढ़ी-मेढ़ी रेखाएं होने जैसी अनुभूति महसूस करते हैं। इसके अतिरिक्त दृष्टि में परिवर्तन, उंगलियों, होंठ, जीभ और निचले चेहरे में सुन्नता या झुनझुनी का अनुभव होना तथा वाणी में समस्या भी माइग्रेन के दौरान नजर आ सकती है।

उपचार

डॉ. रंगनायकुलु बताते हैं की हालांकि इस समस्या का कोई इलाज नहीं है लेकिन आयुर्वेदिक दवाओं और जीवनशैली प्रबंधन की मदद से इस प्रकार के सिरदर्द का प्रबंधन किया जा सकता है। आयुर्वेद माइग्रेन के लिए निम्नलिखित औषधियों और उपचारों की सिफारिश करता है।

  • अवपीदान नस्य ( औषधीय पौधों के रस को नथुनों में दबाना)
  • लेबेक पेड़ की जड़ें और फलों का सेवन करें।
  • बांस की जड़ का सेवन करें ।
  • नद्यपान पाउडर को शहद के साथ मिलाकर उसका सेवन करें।
  • चंदन पाउडर का शहद के साथ सेवन करें।
  • रीयलगर पाउडर (लाल आर्सेनिक) का लेपन
  • अनु तेल तेल की 6-6 बूँदें दोनों नथुनों में नियमित अंतराल पर 2 सप्ताह तक डालें।
  • सरसपैरिला (हेमाइड्समस इंडिकस) यानी नीले कमल के पेस्ट का सर पर लेप लगाएं।
  • पूरे शरीर पर तेल या घी की मालिश करें।
  • भाप स्नान और वाष्प उपचार लें।
  • शुद्धिकरण चिकित्सा व उपचार लें।
  • दूध में चीनी मिलाकर पिएं।
  • विदांगदि लेप को मलहम की तरह से लगाएं
  • कफकेतु रस की गोलियों का 30 दिन तक सेवन करें ।

डॉ. रंगनायकुलु बताते हैं की यह समस्या आमतौर पर अधिक नमी और ध्वनि प्रदूषण के कारण होती है इसलिए अँधेरे, ठंडे तथा शांत कमरे में जाकर मीठा खाने से भी माइग्रेन के दर्द में आंशिक आराम मिल सकता है।

पढ़ें : शहरी क्षेत्रों के लोगों में सबसे सामान्य समस्या है सिर दर्द ।

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