विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ के अनुसार दुनिया भर में हर साल 5 साल से कम उम्र के लगभग 50,0000 बच्चे अकेले दस्त व डायरिया के कारण अपनी जान गवां देते हैं।चिकित्सक और जानकार मानते हैं कि यदि सही समय पर बच्चों को ओ.आर.एस का घोल दिया जाए तो बड़ी संख्या में बच्चों को बचाया जा सकता है।
क्या है ओ.आर.एस और उसके फायदे
नेशनल हेल्थ पोर्टल के अनुसार ओ.आर.एस यानी ओरल रिहाइड्रेशन साल्ट्स शरीर में इलेक्ट्रोलाइट की कमी को पूरा करता है। यह डायरिया संबंधी समस्या को दूर करने का सबसे किफायती इलाज है।जब बच्चे को दस्त और उल्टी होती है ऐसे में यदि उसे साफ या उबले हुए पानी में मिलाकर ओ.आर.एस दिया जाता है तो उसके शरीर में पानी की कमी नहीं होती है।ओ.आर.एस के घोल की मदद से आंते सोडियम के साथ ग्लूकोज और पानी को अवशोषित कर लेती हैं जिससे शरीर हाइड्रेट रहता है।नेशनल हेल्थ पोर्टल की मानें तो ओ.आर.एस के साथ जिंक की जोड़ी एक्यूट डायरिया और डिहाइड्रेशन का सबसे प्रभावी इलाज है।
ओ.आर.एस में तीन तरह के साल्ट होते हैं जिनमें सोडियम क्लोराइड या सादा नमक, ट्रीसोडियम साइट्रेट और पोटेशियम क्लोराइड शामिल हैं ।दस्त, डायरिया जैसी अवस्था में बच्चों के स्वास्थ्य को बेहतर रखने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन भी ओआरएस को जरूरी मानता है।
डायरिया ही नहीं सामान्य डिहाइड्रेशन में भी फायदेमंद है ओ.आर.एस
वर्ष 2019 में हुए एक शोध के अनुसार डी हाइड्रेशन यानी शरीर में पानी की कमी के कारण हर साल करीब 15,00,000 लोगों की मृत्यु हो जाती है।किसी भी उम्र में डिहाइड्रेशन होने पर ओ.आर.एस का घोल हर उम्र के लोगों को काफी फायदा पहुंचाता है। इसके अतिरिक्त खिलाड़ी , नियमित व्यायाम करने वाले लोग या ऐसे व्यवसाय से जुड़े लोग जिन्हें पसीना बहुत ज्यादा आता है तथा जिनके शरीर में पानी की कमी होने की आशंका ज्यादा रहती है उन्हीं भी नियमित तौर पर ओ आर एस का सेवन करना चाहिए।
घर पर भी बना सकते हैं ओ.आर.एस का घोल
ओ.आर.एस का पैकेट यूं तो सभी अस्पतालों और मेडिकल शॉप पर सरलता से मिल जाता है। लेकिन यदि आपातकाल में किसी को ओ.आर.एस का पैकेट नहीं मिल पाए तो ऐसे में इसे घर पर भी बनाया जा सकता है। इसके लिए 1 लीटर साफ (उबले हुए )पानी में 30 ग्राम या 6चम्मच चीनी और आधा चम्मच नमक डालकर अच्छी तरह से मिला ले और इसे एक बोतल में भर ले। दस्त होने की अवस्था में बच्चों को थोड़े-थोड़े अंतराल पर यह घोल एक-एक घुट के अनुपात में दिन में कई बार पिलाना चाहिए।
चिकित्सकों के 2 साल से कम उम्र के बच्चों को दस्त होने पर हर बार मल होने के बाद 60 से 125 मिलीलीटर ओ.आर.एस देना चाहिए। 2 साल से अधिक उम्र के बच्चों में यह मात्रा 250 मिलीलीटर होनी चाहिए। वही 12 साल से बड़े उम्र के बच्चों व्यस्को तथा बुजुर्गों को हर बार दस्त के उपरांत 250 मिलीलीटर से 400 मिलीलीटर तथा ओआरएस घोल का सेवन करना चाहिए।
ओ.आर.एस का घोल के इस्तेमाल में ध्यान देने वाली बातें
- ओ.आर.एस का घोल केवल साफ पानी में ही बनाना चाहिए। उसे दूध, जूस या सूप में नहीं मिलाना चाहिए साथ ही घोल में अलग से चीनी भी नहीं मिलानी चाहिए।
- यदि बच्चा एक बार यह ओ.आर.एस पीकर उल्टी कर देता है तो थोड़ी देर रुक कर उसे फिर से यह घोल देना चाहिए।
- बच्चों को हर 2 घंटे में नया घोल तैयार करके देना चाहिए। ज्यादा देर पहले बनाए गए घोल का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
- ओ.आर.एस का घोल बनाकर 24 घंटे से ज्यादा नहीं रखना चाहिए क्योंकि उसमें बैक्टीरिया पनप सकते हैं।
- ओ.आर.एस का घोल बनाने से पहले हाथों को साबुन से अच्छी तरह साफ कर लेना चाहिए।
- यदि ओ.आर.एस का घोल पीने के बाद उल्टी चक्कर आने की समस्या और ज्यादा गंभीर हो जाए तो तत्काल चिकित्सक को दिखाना चाहिए
- ओआरएस का घोल हमेशा उसके पैकेट पर दिए गए निर्देशों के अनुसार ही बनाना चाहिए क्योंकि यदि ऐसा ना किया जाए तो वह शरीर में पानी की कमी को पूरा करने में पूरी तरह से सक्षम नहीं हो पाता है।
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