एक्यूपंचर वैकल्पिक चिकित्सा पद्धतियों में से सबसे प्रचलित पद्धतियों में से एक मानी जाती है. जिसमें बिना दवाई, सुइयों की मदद से लोगों के दर्द तथा अन्य समस्याओं को दूर करने का प्रयास किया जाता है. इस प्राचीन चीनी चिकित्सा पद्धति में शरीर के एक्युपंक्चर पॉइंट्स पर सुई लगाकर हमारे शरीर में बहने वाली जीवन ऊर्जा के प्रवाह को सही किए जाने का कार्य किया जाता है. जिसे चीनी भाषा में “कि” और “ची” ऊर्जा के नाम से जाना जाता हैं. आमतौर पर लोगों को लगता है कि एक्यूपंचर सिर्फ लोगों के दर्द निवारण में मददगार साबित हो सकती है, लेकिन इस पद्धति को अपनाकर लोग कई अन्य प्रकार की समस्याओं तथा रोगों से भी राहत पा सकते हैं. विशेष तौर पर अगर मोटापे की बात करें जानकार मानते हैं कि एक्यूपंचर की मदद से वजन घटाने में काफी मदद मिल सकती है.
क्या है एक्यूपंचर
देहरादून के एक्युपंचर थैरेपिस्ट विशाल गोयल बताते हैं कि इस चिकित्सा पद्धति में एक्युपंक्चर पॉइंट्स को पंक्चर कर के यानी उनमें सुई लगाकर व्यक्ति के शरीर की नसों तथा मांसपेशियों को उत्तेजित किया जाता है, जिससे दर्द तथा अन्य समस्याओं से राहत मिल सके. वह बताते हैं कि हमारे शरीर में कुल 365 एनर्जी पॉइंट होते हैं. उपचार की प्रक्रिया में दर्द या किसी समस्या के होने पर थैरेपिस्ट शरीर के उन एक्यूपंचर बिंदुओं पर सुई चुभा कर उपचार करते हैं जो कि प्रभावित हिस्से से संबंधित होते है.
वह बताते हैं कि शरीर में ऊर्जा के स्तर को बनाए रखने में यह वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति काफी कारगर साबित होती है. यही नहीं इस चिकित्सा पद्धति में अलग-अलग प्रक्रियाओं में शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में भी मदद मिलती है. इसके साथ ही एक्यूपंचर शरीर में रक्त के प्रवाह तथा संचरण को भी बेहतर करता है.
विशाल गोयल बताते हैं कि लोगों में आमतौर पर भ्रम होता है कि यह प्रक्रिया काफी दर्द भरी हो सकती है, लेकिन सत्य यह है कि चुंकी इस पद्धति में काफी पतली सुई का उपयोग होता है ऐसे में त्वचा में सुई लगाने पर आमतौर पर लोगों को ज्यादा तकलीफ नहीं होती है. इस प्रक्रिया में सिर्फ सुई को चुभाया ही नहीं जाता है बल्कि पीड़ित की नस या मांसपेशी में रक्त प्रवाह को दुरुस्त करने के लिए त्वचा में सुई को हिलाया डुलाया भी जाता है. आमतौर पर यह उपचार पद्धति इलाज शुरू करने के 2 से 3 हफ्ते बाद असर दिखाना शुरू कर देती है.
वजन कम करने में एक्यूपंचर के फायदे
विशाल गोयल बताते हैं कि आज के समय में खान-पान से जुड़ी गलत आदतों तथा गलत जीवनशैली के चलते ज्यादातर लोगों में मोटापे जैसी समस्या सामान्य तौर पर नजर आती है. ऐसे में एक्यूपंचर पद्धति की मदद से ना सिर्फ शरीर के विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद मिलती है बल्कि इससे शरीर के मेटाबॉलिज्म को भी दुरुस्त रखा जा सकता है. यह पद्धति व्यक्ति के शरीर में हार्मोन के स्तर को नियंत्रित तथा संतुलित रखते में तथा उसकी इम्युनिटी बढ़ाने में भी मदद करती है.
हालांकि सिर्फ एक्यूपंक्चर की मदद से वजन घटाना पूरी तरह संभव नहीं है. विशाल गोयल बताते हैं कि इस पद्धति को अपनाए जाने के दौरान थैरेपिस्ट द्वारा बताए गए आहार तथा जीवनशैली संबंधी दिशानिर्देशों का पालन करने से वजन कम करने में एक्यूपंचर बहुत सकारात्मक असर दिखाता है. वह बताते हैं कि मोटापे से राहत पाने के लिए एक्यूपंक्चर पद्धति अपनाने वालों के लिए बहुत जरूरी है कि इस प्रक्रिया के दौरान वह तैलीय तथा ज्यादा मिर्च मसालेदार खाने के सेवन से बचें. इसके अलावा जंक फूड, प्रोसेस चीज तथा अन्य प्रकार के ऐसे आहार जिनमें वसा की मात्रा जरूरत से ज्यादा हो, से परहेज जरूरी है. इसके अतिरिक्त खाने को नियमित समय पर तथा संतुलित मात्रा में ही खाना तथा नियमित तौर पर व्यायाम या वाकिंग करना भी इस प्रक्रिया के प्रभाव को ज्यादा बेहतर बनाता है
एक्यूपंचर के फायदे और नुकसान
विशाल गोयल बताते हैं कि सही तरीके से किसी प्रशिक्षित द्वारा कराए जाने पर यह थेरेपी काफी सुरक्षित रहती है. इसके अलावा इसके पार्श्व प्रभाव काफी कम होते हैं तथा इसे किसी अन्य उपचार थेरेपी के साथ भी अपनाया जा सकता है.
लेकिन यदि इस थेरेपी के नुकसान के बारे में बात करे तो सुई के त्वचा में लगाने की प्रक्रिया के दौरान सामान्यतः पीड़ित को हल्का खून निकलने या हल्का फुल्का दर्द होने की समस्या हो सकती है. बहुत जरूरी है कि एक्युपंचर थेरेपी हमेशा प्रशिक्षित थैरेपिस्ट द्वारा ही करवायी जाए, क्योंकि गलत जगह पर सुई चुभ जाने से शरीर में अन्य प्रकार की समस्या भी हो सकती है. ह्रदय रोगियों विशेषकर जिन्हें पेसमेकर लगा हुआ हो या गर्भवती महिलाओं को यह उपचार पद्धति नहीं अपनानी चाहिए .
विशाल गोयल बताते हैं कि एक्यूपंचर की मदद से वजन कम करने के अलावा पुराने सिर दर्द, माइग्रेन, कमर में दर्द, गर्दन में दर्द, अर्थराइटिस, उल्टी आने, नींद ना आने, मासिक चक्र के दौरान होने वाले दर्द तथा एंजाइटी, अवसाद या तनाव जैसे भावनात्मक विकारों में भी राहत मिलती है
एक्यूपंक्चर और एक्यूप्रेशर में अंतर
विशाल गोयल बताते हैं कि आमतौर पर लोग इन दोनों पद्धतियों के बीच भ्रमित हो जाते हैं. हालांकि यह दोनों ही चीनी चिकित्सा पद्धति की देन है, लेकिन इन दोनों को करने का तरीका अलग-अलग होता है. एक्यूपंचर में जहां एक्युपंचर प्वाइंट्स पर बारीक सुई से पंचर किया जाता है, वही एक्यूप्रेशर में अंगूठे और उंगलियों की मदद से शरीर के कुछ खास पॉइंट्स को दबाया जाता है.
इन दोनों ही पद्धतियों को वैकल्पिक चिकित्सा श्रेणी की पद्धतियों में रखा जाता है लेकिन एक्यूपंचर को मेडिकल साइंस माना जाता है तथा इस पद्धति के इलाज के लिए सरकार से लाइसेंस लेना जरूरी है. वही एक्यूप्रेशर में एक बार प्रेशर पॉइंट्स के बारे में जानकारी लेने के बाद व्यक्ति स्वयं भी अपनी प्रेशर पॉइंट्स को दबाकर समस्या में राहत पा सकता है.
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