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मानसिक ही नहीं शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है बागवानी

बागवानी को एक आदर्श हॉबी माना जाता है. क्योंकि बागवानी करने से व्यक्ति का मन तो प्रसन्न रहता ही है साथ ही उसके शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य को भी फायदा मिलता है.

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मानसिक ही नहीं शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है बागवानी
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Published : Mar 15, 2022, 9:18 AM IST

कहते हैं कि किसी पसंदीदा हॉबी का होना व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य के लिए काफी लाभकारी होता है. अपनी हॉबी का पालन करने से जहां व्यक्ति को तनाव, अवसाद तथा चिंता जैसी मानसिक अवस्था में राहत मिलती है वहीं वह ज्यादा खुशी का भी अनुभव करता हैं. बागवानी भी एक ऐसी ही हॉबी है. लेकिन इसके फायदे सिर्फ खुशी और बेहतर मानसिक स्वास्थ्य तक ही सीमित नही है. बागवानी करने से शारीरिक स्वास्थ्य को भी कई तरह के लाभ मिलते हैं. विशेष तौर पर बुजुर्गों के लिए बागवानी को हॉबी के तौर पर या समय बिताने के लिए आदर्श कार्य माना जाता है.

थेरेपी है बागवानी

मनोचिकित्सक डॉक्टर रेणुका शर्मा बताती हैं कि नियमित रूप से बागवानी करने करने वाले लोगों में बढ़ती उम्र, शारीरिक समस्याओं या मानसिक समस्याओं के प्रभाव अपेक्षाकृत कम नजर आते हैं और वे ज्यादा खुश व संतुष्ट रहते हैं. वह बताती हैं कि दरअसल बागवानी एक तरह की थेरेपी ही है. मिट्टी की खुशबू, पेड़ पौधों और कभी-कभी उन पर लगे फूलों की सुगंध , फूल-पत्तों और मिट्टी को छूने का एहसास, हमारे सेंसरी अंगों को प्रभावित करते हैं, और शरीर में ऐसे हार्मोन के निर्माण या उनकी सक्रियता में बढ़ोतरी करते हैं जो खुशी का अनुभव कराते हैं. यह कहना गलत नही होगा की बागवानी कई बार हमारे शरीर व मन पर एंटीडिप्रेशन दवा की तरह प्रभाव दिखाती हैं. यही नहीं नियमित बागवानी करने की आदत व्यक्ति में आत्मसंतुष्टि, आत्मविश्वास तथा आत्मनिर्भरता की आदत को भी बढ़ाती है. इसके अलावा कई बार देखा गया है कि ऐसे लोग जो धूम्रपान, नशे या किसी अन्य प्रकार के एडिक्शन का शिकार हों , बागवानी उनकी मनोदशा को स्थिर रखने में मदद करती है.

शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी असरदार

डॉक्टर रेणुका बताती है कि नियमित तौर पर बागवानी करने वाले लोगों में याददाश्त या एकाग्रता संबंधी समस्याएं अपेक्षाकृत कम देखने में आती हैं. इसके अलावा बागवानी करने से तनाव, अवसाद और चिंता जैसी मानसिक समस्याओं में भी राहत मिलती है. जिसके फलस्वरूप इन समस्याओं के चलते ट्रिगर होने वाले रोग जैसे उच्च रक्तचाप, मांसपेशियों में तनाव, मोटापा तथा पेट के रोग आदि में भी राहत मिलती है. यहीं नही बागवानी के दौरान शारीरिक सक्रियता भी बनी रहती है जिससे मांसपेशियों का व्यायाम भी हो जाता है.

गौरतलब है कि ब्रिटिश जनरल ऑफ स्पोर्ट्स मेडिसिन में प्रकाशित एक शोध में भी बताया गया था कि प्रति सप्ताह कम से कम 10 मिनट तक बागवानी करने से भी स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है तथा हृदय रोग होने का जोखिम कम होता है. शोध में बताया गया था कि बागवानी करने से ना सिर्फ हाथ पांव में मजबूती आती है, फैट में कमी आती है, शरीर में ऊर्जा का ज्यादा बेहतर तरह से संचार होता है और कई बार जब व्यक्ति सूर्य की रोशनी में बागवानी करते हैं तो उनके शरीर में विटामिन डी की आपूर्ति भी होती रहती है जिससे उनकी हड्डियां भी ज्यादा मजबूत होती हैं.

बुजुर्गों के लिए फायदेमंद

बुजुर्ग लोग विशेषकर वे लोग जो रिटायर हो चुके हैं, उनके समक्ष आमतौर पर समय बिताना एक सबसे बड़ी समस्या होती है. वही जब रिटायरमेंट के बाद लगातार भागती दौड़ती जिंदगी पर विराम लग जाता है तो बुजुर्ग चाहे वे महिला हों या पुरुष कई प्रकार की शारीरिक व मानसिक समस्याओं के शिकार होने लगते हैं. कई बार ऐसी अवस्था में वह दूसरों से कटा हुआ महसूस करने लगते हैं और उनमें आत्मविश्वास तथा आत्मनिर्भरता में भी कमी आने लगती है. जिससे वे कई बार चिड़चिड़े, गुस्सैल तथा तनावग्रस्त हो जाते हैं. ऐसे में बागवानी की आदत ना सिर्फ उन्हें अपने समय का सही उपयोग करने में मदद कर सकती है बल्कि उनके मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर रखने में विशेषकर चिड़चिड़ापन और तनाव जैसी समस्याओं से निपटने में उनकी भी मदद करती है .

पढ़ें: बेहतर तकनीक से करें बोनसाई की देखभाल

कहते हैं कि किसी पसंदीदा हॉबी का होना व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य के लिए काफी लाभकारी होता है. अपनी हॉबी का पालन करने से जहां व्यक्ति को तनाव, अवसाद तथा चिंता जैसी मानसिक अवस्था में राहत मिलती है वहीं वह ज्यादा खुशी का भी अनुभव करता हैं. बागवानी भी एक ऐसी ही हॉबी है. लेकिन इसके फायदे सिर्फ खुशी और बेहतर मानसिक स्वास्थ्य तक ही सीमित नही है. बागवानी करने से शारीरिक स्वास्थ्य को भी कई तरह के लाभ मिलते हैं. विशेष तौर पर बुजुर्गों के लिए बागवानी को हॉबी के तौर पर या समय बिताने के लिए आदर्श कार्य माना जाता है.

थेरेपी है बागवानी

मनोचिकित्सक डॉक्टर रेणुका शर्मा बताती हैं कि नियमित रूप से बागवानी करने करने वाले लोगों में बढ़ती उम्र, शारीरिक समस्याओं या मानसिक समस्याओं के प्रभाव अपेक्षाकृत कम नजर आते हैं और वे ज्यादा खुश व संतुष्ट रहते हैं. वह बताती हैं कि दरअसल बागवानी एक तरह की थेरेपी ही है. मिट्टी की खुशबू, पेड़ पौधों और कभी-कभी उन पर लगे फूलों की सुगंध , फूल-पत्तों और मिट्टी को छूने का एहसास, हमारे सेंसरी अंगों को प्रभावित करते हैं, और शरीर में ऐसे हार्मोन के निर्माण या उनकी सक्रियता में बढ़ोतरी करते हैं जो खुशी का अनुभव कराते हैं. यह कहना गलत नही होगा की बागवानी कई बार हमारे शरीर व मन पर एंटीडिप्रेशन दवा की तरह प्रभाव दिखाती हैं. यही नहीं नियमित बागवानी करने की आदत व्यक्ति में आत्मसंतुष्टि, आत्मविश्वास तथा आत्मनिर्भरता की आदत को भी बढ़ाती है. इसके अलावा कई बार देखा गया है कि ऐसे लोग जो धूम्रपान, नशे या किसी अन्य प्रकार के एडिक्शन का शिकार हों , बागवानी उनकी मनोदशा को स्थिर रखने में मदद करती है.

शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी असरदार

डॉक्टर रेणुका बताती है कि नियमित तौर पर बागवानी करने वाले लोगों में याददाश्त या एकाग्रता संबंधी समस्याएं अपेक्षाकृत कम देखने में आती हैं. इसके अलावा बागवानी करने से तनाव, अवसाद और चिंता जैसी मानसिक समस्याओं में भी राहत मिलती है. जिसके फलस्वरूप इन समस्याओं के चलते ट्रिगर होने वाले रोग जैसे उच्च रक्तचाप, मांसपेशियों में तनाव, मोटापा तथा पेट के रोग आदि में भी राहत मिलती है. यहीं नही बागवानी के दौरान शारीरिक सक्रियता भी बनी रहती है जिससे मांसपेशियों का व्यायाम भी हो जाता है.

गौरतलब है कि ब्रिटिश जनरल ऑफ स्पोर्ट्स मेडिसिन में प्रकाशित एक शोध में भी बताया गया था कि प्रति सप्ताह कम से कम 10 मिनट तक बागवानी करने से भी स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है तथा हृदय रोग होने का जोखिम कम होता है. शोध में बताया गया था कि बागवानी करने से ना सिर्फ हाथ पांव में मजबूती आती है, फैट में कमी आती है, शरीर में ऊर्जा का ज्यादा बेहतर तरह से संचार होता है और कई बार जब व्यक्ति सूर्य की रोशनी में बागवानी करते हैं तो उनके शरीर में विटामिन डी की आपूर्ति भी होती रहती है जिससे उनकी हड्डियां भी ज्यादा मजबूत होती हैं.

बुजुर्गों के लिए फायदेमंद

बुजुर्ग लोग विशेषकर वे लोग जो रिटायर हो चुके हैं, उनके समक्ष आमतौर पर समय बिताना एक सबसे बड़ी समस्या होती है. वही जब रिटायरमेंट के बाद लगातार भागती दौड़ती जिंदगी पर विराम लग जाता है तो बुजुर्ग चाहे वे महिला हों या पुरुष कई प्रकार की शारीरिक व मानसिक समस्याओं के शिकार होने लगते हैं. कई बार ऐसी अवस्था में वह दूसरों से कटा हुआ महसूस करने लगते हैं और उनमें आत्मविश्वास तथा आत्मनिर्भरता में भी कमी आने लगती है. जिससे वे कई बार चिड़चिड़े, गुस्सैल तथा तनावग्रस्त हो जाते हैं. ऐसे में बागवानी की आदत ना सिर्फ उन्हें अपने समय का सही उपयोग करने में मदद कर सकती है बल्कि उनके मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर रखने में विशेषकर चिड़चिड़ापन और तनाव जैसी समस्याओं से निपटने में उनकी भी मदद करती है .

पढ़ें: बेहतर तकनीक से करें बोनसाई की देखभाल

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