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जानलेवा भी हो सकता है अपेंडिसाइटिस

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Published : Jul 16, 2021, 1:58 PM IST

अपेंडिक्स हमारी आँत का एक ऐसा हिस्सा है जिसका यूं तो कोई विशेष महत्व नही होता है लेकिन यदि इसमें संक्रमण होने पर यह जानलेवा भी हो सकता है।

Appendicitis
Stomach pain

अपेंडिसाइटिस हमारी आंतों के एक हिस्से अपेंडिक्स में होने वाला संक्रमण है। जिसका समय पर निदान न होने पर पीड़ित की जान भी जा सकती है। अपेंडिक्स के कार्य और अपेंडिसाइटिस की जटिलताओं के बारें में ज्यादा जानकारी के लिए ETV भारत सुखीभवा ने एप्पल अस्पताल इंदौर के फिजीशियन डॉ संजय जैन से बात की।

क्या है अपेंडिक्स
डॉ संजय बताते है की यह हमारी आंत का एक अवशिष्ट टुकड़ा होता है जो की लगभग 5-10 से.मी. (2-4 इंच) लंबाई में एक छोटी, पतली थैली का आकार का होता है। जो बड़ी आंत से जुड़ा होता है जिसमें मल बनता है। इसका एक सिरा खुला होता है और दूसरा सिरा पूरी तरह बंद। यदि कभी भोजन का कोई कण इसमें प्रवेश कर जाता है तो दूसरा सिरा बंद होने के कारण दूसरी ओर से यह निकल नहीं पाता। जिसके कारण अपेंडिक्स में संक्रमण होने की आशंका बढ़ जाती है। इस अवस्था में पेट के दायी तरफ निचले हिस्से में तीव्र दर्द महसूस होता है। समस्या बढ़ने पर अपेंडिक्स के फटने की आशंका के चलते चिकित्सक ऑपरेशन द्वारा इसे शरीर से बाहर निकालने को प्राथमिकता देते है।

अपेंडिक्स के प्रकार

अपेंडिक्स के मुख्य रूप से दो प्रकार होते हैं, जिनके बारे में हम नीचे विस्तार से बता रहे हैं:

एक्यूट अपेंडिसाइटिस- एक्यूट अपेंडिसाइटिस एक तरह का गंभीर और अचानक से शुरू होने वाला अपेंडिसाइटिस है। इसके लक्षण एक-दो दिन में ही बढ़ सकते हैं। एक्यूट अपेंडिसाइटिस का इलाज तुरंत करने की आवश्यकता होती है। अगर समय पर इलाज नहीं किया जाए, तो अपेंडिक्स फट भी सकता है। इससे अन्य जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है। क्रोनिक अपेंडिसाइटिस के मुकाबले एक्यूट अपेंडिसाइटिस आम है।

क्रोनिक अपेंडिसाइटिस – क्रोनिक अपेंडिसाइटिस की समस्या एक्यूट अपेंडिसाइटिस की तुलना में काफी कम ही होती है। इस अपेंडिसाइटिस के एक बार ठीक होने के बाद फिर से होने की आशंका कम ही होती है। क्रोनिक अपेंडिसाइटिस का निदान करना मुश्किल हो सकता है। कभी-कभी तो इसकी पहचान करना बहुत मुश्किल हो जाता है। इस प्रकार का अपेंडिसाइटिस अधिक नुकसानदायक हो सकता है

क्या है अपेंडिसाइटिस के कारण

डॉ संजय बताते है की आमतौर पर अपेंडिसाइटिस होने के कारणों पर कोई सटीक स्पष्टता नही है। आमतौर पर जब कोई पदार्थ अपेंडिक्स के प्रवेश को ब्लॉक कर देती है तो उसके संक्रमण की आशंका बढ़ जाती है। उदाहरण के लिएमल के एक छोटे टुकड़े से भी अपेंडिक्स में रुकावट आ सकती है और संक्रमण हो सकता है। जिससे अपेंडिक्स में जलन और सूजन उत्पन्न हो सकती है। तत्पश्चात सूजन द्वारा उत्पन्न दबाव के कारण अपेंडिक्स फट भी सकता है।लेकिन आमतौर पर अपेंडिसाइटिस जो सबसे आम कारण सामने आते है उनमें भोजन का सही से पाचन ना होने तथा कब्ज जैसी पाचन संबंधी समस्याएं शामिल है । अपेंडिसाइटिस होने के विस्तृत कारणों में से कुछ इस प्रकार है।

आंतो में भोजन के कुछ कणों का फंस जाना ।

यदि भोजन में फाइबर की मात्रा कम होना ।

यदि फलो के बीज का अपेंडिक्स में फंस जाना।

इसके अतिरिक्त यदि अपेंडिक्स में किसी तरह की गांठ तथा उसमें या उसके आसपास के हिस्सों में कैंसर हो तो भी अपेंडिक्स में संक्रमण या जटिलता होने की आशंका बढ़ जाती है। जो कई बार जानलेवा भी हो सकती है।

अपेंडिक्स के लक्षण

अपेंडिक्स के मुख्य लक्षणों में निम्नलिखित शामिल है।

जी मिचलाना।

उल्टी आना।

भूख में कमी आना।

नाभि के चारो ओर बहुत अधिक दर्द होना।

हल्का बुखार रहना।

जीभ के ऊपरी सतह पर सफ़ेद आवरण होना।

अपेंडिक्स का इलाज

डॉ संजय बताते है की यदि दवाइयों से अपेंडिक्स में होने वालए दर्द में राहत नहीं मिलती है तो चिकित्सक सर्जरी की मदद से अपेंडिक्स को शरीर से बाहर निकाल देते है।

पढ़ें: चिकित्सीय गुणों की खान है रुद्राक्ष

अपेंडिसाइटिस हमारी आंतों के एक हिस्से अपेंडिक्स में होने वाला संक्रमण है। जिसका समय पर निदान न होने पर पीड़ित की जान भी जा सकती है। अपेंडिक्स के कार्य और अपेंडिसाइटिस की जटिलताओं के बारें में ज्यादा जानकारी के लिए ETV भारत सुखीभवा ने एप्पल अस्पताल इंदौर के फिजीशियन डॉ संजय जैन से बात की।

क्या है अपेंडिक्स
डॉ संजय बताते है की यह हमारी आंत का एक अवशिष्ट टुकड़ा होता है जो की लगभग 5-10 से.मी. (2-4 इंच) लंबाई में एक छोटी, पतली थैली का आकार का होता है। जो बड़ी आंत से जुड़ा होता है जिसमें मल बनता है। इसका एक सिरा खुला होता है और दूसरा सिरा पूरी तरह बंद। यदि कभी भोजन का कोई कण इसमें प्रवेश कर जाता है तो दूसरा सिरा बंद होने के कारण दूसरी ओर से यह निकल नहीं पाता। जिसके कारण अपेंडिक्स में संक्रमण होने की आशंका बढ़ जाती है। इस अवस्था में पेट के दायी तरफ निचले हिस्से में तीव्र दर्द महसूस होता है। समस्या बढ़ने पर अपेंडिक्स के फटने की आशंका के चलते चिकित्सक ऑपरेशन द्वारा इसे शरीर से बाहर निकालने को प्राथमिकता देते है।

अपेंडिक्स के प्रकार

अपेंडिक्स के मुख्य रूप से दो प्रकार होते हैं, जिनके बारे में हम नीचे विस्तार से बता रहे हैं:

एक्यूट अपेंडिसाइटिस- एक्यूट अपेंडिसाइटिस एक तरह का गंभीर और अचानक से शुरू होने वाला अपेंडिसाइटिस है। इसके लक्षण एक-दो दिन में ही बढ़ सकते हैं। एक्यूट अपेंडिसाइटिस का इलाज तुरंत करने की आवश्यकता होती है। अगर समय पर इलाज नहीं किया जाए, तो अपेंडिक्स फट भी सकता है। इससे अन्य जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है। क्रोनिक अपेंडिसाइटिस के मुकाबले एक्यूट अपेंडिसाइटिस आम है।

क्रोनिक अपेंडिसाइटिस – क्रोनिक अपेंडिसाइटिस की समस्या एक्यूट अपेंडिसाइटिस की तुलना में काफी कम ही होती है। इस अपेंडिसाइटिस के एक बार ठीक होने के बाद फिर से होने की आशंका कम ही होती है। क्रोनिक अपेंडिसाइटिस का निदान करना मुश्किल हो सकता है। कभी-कभी तो इसकी पहचान करना बहुत मुश्किल हो जाता है। इस प्रकार का अपेंडिसाइटिस अधिक नुकसानदायक हो सकता है

क्या है अपेंडिसाइटिस के कारण

डॉ संजय बताते है की आमतौर पर अपेंडिसाइटिस होने के कारणों पर कोई सटीक स्पष्टता नही है। आमतौर पर जब कोई पदार्थ अपेंडिक्स के प्रवेश को ब्लॉक कर देती है तो उसके संक्रमण की आशंका बढ़ जाती है। उदाहरण के लिएमल के एक छोटे टुकड़े से भी अपेंडिक्स में रुकावट आ सकती है और संक्रमण हो सकता है। जिससे अपेंडिक्स में जलन और सूजन उत्पन्न हो सकती है। तत्पश्चात सूजन द्वारा उत्पन्न दबाव के कारण अपेंडिक्स फट भी सकता है।लेकिन आमतौर पर अपेंडिसाइटिस जो सबसे आम कारण सामने आते है उनमें भोजन का सही से पाचन ना होने तथा कब्ज जैसी पाचन संबंधी समस्याएं शामिल है । अपेंडिसाइटिस होने के विस्तृत कारणों में से कुछ इस प्रकार है।

आंतो में भोजन के कुछ कणों का फंस जाना ।

यदि भोजन में फाइबर की मात्रा कम होना ।

यदि फलो के बीज का अपेंडिक्स में फंस जाना।

इसके अतिरिक्त यदि अपेंडिक्स में किसी तरह की गांठ तथा उसमें या उसके आसपास के हिस्सों में कैंसर हो तो भी अपेंडिक्स में संक्रमण या जटिलता होने की आशंका बढ़ जाती है। जो कई बार जानलेवा भी हो सकती है।

अपेंडिक्स के लक्षण

अपेंडिक्स के मुख्य लक्षणों में निम्नलिखित शामिल है।

जी मिचलाना।

उल्टी आना।

भूख में कमी आना।

नाभि के चारो ओर बहुत अधिक दर्द होना।

हल्का बुखार रहना।

जीभ के ऊपरी सतह पर सफ़ेद आवरण होना।

अपेंडिक्स का इलाज

डॉ संजय बताते है की यदि दवाइयों से अपेंडिक्स में होने वालए दर्द में राहत नहीं मिलती है तो चिकित्सक सर्जरी की मदद से अपेंडिक्स को शरीर से बाहर निकाल देते है।

पढ़ें: चिकित्सीय गुणों की खान है रुद्राक्ष

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