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कौन बनेगा पश्चिमी दिल्ली का सांसद ? बॉर्डर के ग्रामीण इलाके से ग्राउंड रिपोर्ट

2009 में कांग्रेस के महाबल मिश्रा और 2014 में बीजेपी के प्रवेश वर्मा को यहां के लोगों ने जीताकर संसद भेजा था. लोगों का सीधे तौर पर कहना है कि पश्चिमी दिल्ली में लड़ाई कांग्रेस और बीजेपी के बीच है.

कौन बनेगा पश्चिमी दिल्ली का सांसद ? बॉर्डर के ग्रामीण इलाके से ग्राउंड रिपोर्ट
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Published : May 1, 2019, 10:34 AM IST

Updated : May 1, 2019, 2:45 PM IST

नई दिल्ली: कहते हैं कि पश्चिमी दिल्ली की सीट पर जीत हासिल करने के लिए उम्मीदवारों को यहां के 100 से ज्यादा गांवों में मौजूद लोगों तक अपनी पकड़ मजबूत करनी होती है.

2009 में कांग्रेस के महाबल मिश्रा और 2014 में बीजेपी के प्रवेश वर्मा को यहां के लोगों ने जीताकर संसद भेजा था.

एक-एक बार के दोनों सांसदों पर इनकी पार्टियों ने इस बार भी विश्वास दिखाया है. वहीं आम आदमी पार्टी के बलवीर सिंह जाखड़ भी इस लड़ाई शामिल हैं.

लोगों का क्या है मिजाज ?
गांव के लोगों का मिजाज जानने के लिए बॉर्डर से सटे ढांसा गांव में ईटीवी भारत की टीम पहुंची. यहां लोगों से बात करने पर कई बातें निकलकर आईं. कोई प्रवेश वर्मा की वकालत करता है तो कोई महाबल मिश्रा की.

ढांसा गांव में 5000 वोटर हैं जो पश्चिमी दिल्ली के कुल वोटरों का 1 प्रतिशत भी नहीं है. हालांकि हर बार ढांसा गांव की हवा ही यह तय करती है कि पश्चिमी दिल्ली से सांसद कौन बनेगा.

प्रवेश वर्मा और महाबल मिश्रा में से किसे और क्यों चुनेंगे लोग

इसके पीछे अलग-अलग दलील भी दी जाती है. इन दलीलों में सबसे प्रखर है गांव का वो इतिहास और मान्यताएं जिसमें आसपास के कई गांव शामिल हैं.

महाभारत काल से गहरा नाता

मान्यताओं की माने तो इस गांव में भीम के बेटे घटोत्कच ने तपस्या की थी. महाभारत काल में जब पांडव अज्ञातवास के दौरान विचरण कर रहे थे तब भीम की मुलाकात हिडम्बा नाम की राक्षसी से हुई थी.

हिडम्बा और भीम की शादी हुई थी और उन्ही से घटोत्कच पैदा हुए थे. इस बात के कई प्रमाण भी मिले हैं. गांव में दादा बूढ़े का ये प्रसिद्ध मंदिर है. जहां आस-पास के गांव के लोग भी विचार-विमर्श करते हैं और चुनावों में ये फैसला करते हैं कि किसको चुना जाना चाहिए.

आपको बता दें, इसके लिए एक पंचायत लगती है. इस पंचायत में सभी अपना-अपना सार्वजनिक मत रखते हैं, कि हमारे इलाके में कौन सही काम करेगा. बाद में सार्वजनिक ऐलान किया जाता कि किस प्रत्याशी को वोट देना हैं. हालांकि फैसला मानने के लिए कोई बाध्य नहीं होता. फैसले से सभी एकमत भी नहीं होते. फिर भी एक आम राय बनाई जाती है.

कौन बनेगा पश्चिमी दिल्ली का सांसद ? बॉर्डर के ग्रामीण इलाके से ग्राउंड रिपोर्ट

'स्कूल-अस्पताल नहीं'
गांव के रहने वाले विकास डागर बताते हैं कि गांव के आसपास कोई भी बड़ा अस्पताल नहीं है. शिक्षा की बात करें तो इलाके में कोई बड़ा कॉलेज नहीं है. पिछले कई सालों से ये मुद्दा उठ तो रहा हैं लेकिन किसी प्रतिनिधि ने इन पर काम नहीं किया है.

लोगों ने की नौकरी की मांग
स्थानीय निवासी रामानंद यहां के लोगों के लिए नौकरी की मांग करते हैं तो मिथिला कहती हैं कि गांव में महिलाओं की बेहतरी के लिए कदम उठाने चाहिए.

'मोदी के नाम पर पड़ेगा वोट'
स्थानीय लोगों को मौजूदा सांसद प्रवेश वर्मा से कई शिकायतें हैं लेकिन वह कहते हैं कि इस बार तो वोट प्रवेश वर्मा को ही पड़ेगा. लोगों का कहना कि इस बार वोट मोदी के नाम पर पड़ रहा है.

महाबल मिश्रा को समर्थन
यहां का एक धड़ा 2009 में सांसद चुने गए कांग्रेस के महाबल मिश्रा के समर्थन में भी है. परचून की दुकान चलाने वाले राम अवतार कहते हैं कि प्रवेश वर्मा ने गांव के लिए कोई काम नहीं किया जबकि महाबल मिश्रा सांसद नहीं होने के बावजूद भी कई बार गांव में आए हैं.

लोगों का सीधे तौर पर कहना है कि पश्चिमी दिल्ली में लड़ाई कांग्रेस और बीजेपी के बीच है. ऐसे में आम आदमी पार्टी के लिए यह वाकई चिंता का विषय है. हालांकि ये कहना बहुत जल्दबाजी भी है.

12 मई को अभी लगभग 2 हफ्ते बचे हैं जो लोगों का मन बदल जाने के लिए काफी है. देखना होगा कि उस सीट से कौन से उम्मीदवार की किस्मत चमकती है.

नई दिल्ली: कहते हैं कि पश्चिमी दिल्ली की सीट पर जीत हासिल करने के लिए उम्मीदवारों को यहां के 100 से ज्यादा गांवों में मौजूद लोगों तक अपनी पकड़ मजबूत करनी होती है.

2009 में कांग्रेस के महाबल मिश्रा और 2014 में बीजेपी के प्रवेश वर्मा को यहां के लोगों ने जीताकर संसद भेजा था.

एक-एक बार के दोनों सांसदों पर इनकी पार्टियों ने इस बार भी विश्वास दिखाया है. वहीं आम आदमी पार्टी के बलवीर सिंह जाखड़ भी इस लड़ाई शामिल हैं.

लोगों का क्या है मिजाज ?
गांव के लोगों का मिजाज जानने के लिए बॉर्डर से सटे ढांसा गांव में ईटीवी भारत की टीम पहुंची. यहां लोगों से बात करने पर कई बातें निकलकर आईं. कोई प्रवेश वर्मा की वकालत करता है तो कोई महाबल मिश्रा की.

ढांसा गांव में 5000 वोटर हैं जो पश्चिमी दिल्ली के कुल वोटरों का 1 प्रतिशत भी नहीं है. हालांकि हर बार ढांसा गांव की हवा ही यह तय करती है कि पश्चिमी दिल्ली से सांसद कौन बनेगा.

प्रवेश वर्मा और महाबल मिश्रा में से किसे और क्यों चुनेंगे लोग

इसके पीछे अलग-अलग दलील भी दी जाती है. इन दलीलों में सबसे प्रखर है गांव का वो इतिहास और मान्यताएं जिसमें आसपास के कई गांव शामिल हैं.

महाभारत काल से गहरा नाता

मान्यताओं की माने तो इस गांव में भीम के बेटे घटोत्कच ने तपस्या की थी. महाभारत काल में जब पांडव अज्ञातवास के दौरान विचरण कर रहे थे तब भीम की मुलाकात हिडम्बा नाम की राक्षसी से हुई थी.

हिडम्बा और भीम की शादी हुई थी और उन्ही से घटोत्कच पैदा हुए थे. इस बात के कई प्रमाण भी मिले हैं. गांव में दादा बूढ़े का ये प्रसिद्ध मंदिर है. जहां आस-पास के गांव के लोग भी विचार-विमर्श करते हैं और चुनावों में ये फैसला करते हैं कि किसको चुना जाना चाहिए.

आपको बता दें, इसके लिए एक पंचायत लगती है. इस पंचायत में सभी अपना-अपना सार्वजनिक मत रखते हैं, कि हमारे इलाके में कौन सही काम करेगा. बाद में सार्वजनिक ऐलान किया जाता कि किस प्रत्याशी को वोट देना हैं. हालांकि फैसला मानने के लिए कोई बाध्य नहीं होता. फैसले से सभी एकमत भी नहीं होते. फिर भी एक आम राय बनाई जाती है.

कौन बनेगा पश्चिमी दिल्ली का सांसद ? बॉर्डर के ग्रामीण इलाके से ग्राउंड रिपोर्ट

'स्कूल-अस्पताल नहीं'
गांव के रहने वाले विकास डागर बताते हैं कि गांव के आसपास कोई भी बड़ा अस्पताल नहीं है. शिक्षा की बात करें तो इलाके में कोई बड़ा कॉलेज नहीं है. पिछले कई सालों से ये मुद्दा उठ तो रहा हैं लेकिन किसी प्रतिनिधि ने इन पर काम नहीं किया है.

लोगों ने की नौकरी की मांग
स्थानीय निवासी रामानंद यहां के लोगों के लिए नौकरी की मांग करते हैं तो मिथिला कहती हैं कि गांव में महिलाओं की बेहतरी के लिए कदम उठाने चाहिए.

'मोदी के नाम पर पड़ेगा वोट'
स्थानीय लोगों को मौजूदा सांसद प्रवेश वर्मा से कई शिकायतें हैं लेकिन वह कहते हैं कि इस बार तो वोट प्रवेश वर्मा को ही पड़ेगा. लोगों का कहना कि इस बार वोट मोदी के नाम पर पड़ रहा है.

महाबल मिश्रा को समर्थन
यहां का एक धड़ा 2009 में सांसद चुने गए कांग्रेस के महाबल मिश्रा के समर्थन में भी है. परचून की दुकान चलाने वाले राम अवतार कहते हैं कि प्रवेश वर्मा ने गांव के लिए कोई काम नहीं किया जबकि महाबल मिश्रा सांसद नहीं होने के बावजूद भी कई बार गांव में आए हैं.

लोगों का सीधे तौर पर कहना है कि पश्चिमी दिल्ली में लड़ाई कांग्रेस और बीजेपी के बीच है. ऐसे में आम आदमी पार्टी के लिए यह वाकई चिंता का विषय है. हालांकि ये कहना बहुत जल्दबाजी भी है.

12 मई को अभी लगभग 2 हफ्ते बचे हैं जो लोगों का मन बदल जाने के लिए काफी है. देखना होगा कि उस सीट से कौन से उम्मीदवार की किस्मत चमकती है.

Intro:नई दिल्ली: कहते हैं कि पश्चिमी दिल्ली की सीट पर जीत हांसिल करने के लिए उम्मीदवारों को यहां के 100 से ज्यादा गांवों में मौजूद लोगों तक अपनी पकड़ मजबूत करनी होती है. अभी तक के चुनावों में ये देखने को भी मिला है जबकि 2009 में कांग्रेस के महाबल मिश्रा और 2014 में भारतीय जनता पार्टी के प्रवेश वर्मा को यहां के लोगों ने जिता कर संसद भेजा था. एक-एक बार के सांसद दोनों ही लोगों पर इनकी पार्टियों ने इस बार भी विश्वास दिखाया है. वहीं आम आदमी पार्टी के बलबीर सिंह जाखड़ भी इस लड़ाई शामिल हैं. ऐसे में ये देखना बहुत दिलचस्प हो गया है कि पश्चिमी दिल्ली के रण में बाजी कौन मारेगा.


Body:गांव के लोगों का मिजाज जानने की दिशा में बॉर्डर से सटे ढांसा गांव में मंगलवार को जब ईटीवी भारत ने लोगों से पूछा कि इस बार वो किसे चुनकर भेज रहे हैं तब यहां अलग-अलग बातें सामने आईं. कोई प्रवेश वर्मा को अपना अगला सांसद बताता है तो कोई महाबल मिश्रा को एक और मौका देने की बात करता है. हालांकि सब इस बात पर एकजुट हैं कि अबकी बार वो अपने लिए बेहतर उम्मीदवार चुनेंगे. **ढांसा गांव की हवा तय करती है पश्चिमी दिल्ली का सांसद** यहां के लोगों की माने तो गांव में कुल वोटर 5000 हैं जो पश्चिमी दिल्ली के कुल वोटरों का 1 प्रतिशत भी नहीं है. हालांकि हर बार ढांसा गांव की हवा ही यह तय करती है कि पश्चिमी दिल्ली से सांसद कौन बनेगा. इसके पीछे अलग-अलग दलील भी दी जाती है जिसमें सबसे प्रखर है गांव का वो इतिहास और मान्यताएं जिसमें आसपास के कई गांव शामिल हैं. **महाभारत काल से गहरा नाता** मान्यताओं की माने तो इस गांव में भीम के बेटे घटोत्कच ने तपस्या की थी. महाभारत काल में जब पांडव अज्ञातवास के दौरान विचरण कर रहे थे तब भीम की मुलाकात हिडम्बा नाम की राक्षसी से हुई थी. हिडम्बा और भीम की शादी हुई थी औऱ उन्ही से घटोत्कच पैदा हुआ था. इस बात के कई प्रमाण भी मिले हैं. गांव में दादा बूढ़े का ये प्रसिद्ध मंदिर है जहां आस-पास के गांव के लोग भी विचार विमर्श करते हैं और चुनावों में ये फैसला करते हैं कि किसको चुना जाना चाहिए. **स्वास्थ्य से लेकर शिक्षा तक के क्षेत्र में उम्मीदें** यहीं के रहने वाले विकास डागर बताते हैं कि गांव के आसपास कोई भी बड़ा अस्पताल नहीं है. जब भी यहां का कोई व्यक्ति बीमार होता है तब उसे यहां से 8 किलोमीटर दूर जाफरपुर सरकारी अस्पताल में जाना पड़ता है. वहीं शिक्षा की बात करें तो इलाके में कोई बड़ा कॉलेज नहीं है. पिछले कई सालों से गांव में ये मुद्दा घूम तो रहे हैं लेकिन किसी प्रतिनिधि ने इन पर काम नहीं किया है. रामानंद यहां के लोगों के लिए नौकरी की मांग करते हैं तो मिथिला कहती हैं कि गांव में महिलाओं की बेहतरी के लिए कदम उठने चाहिए. "मोदी के नाम पर पड़ेगा वोट" मौजूदा सांसद प्रवेश वर्मा से यहां के लोगों को कई शिकायतें हैं लेकिन वह कहते हैं कि इस बार तो वोट प्रवेश वर्मा को ही पड़ेगा. बड़ी दृढ़ता से इसके पीछे का कारण बताते हुए कहा जाता है कि इस बार वोट मोदी के नाम पर पड़ रहा है. उधर इलाके में मेट्रो का काम चल रहा है तो इसका श्रेय प्रवेश वर्मा को दिया जाता है. यह लोग कहते हैं कि प्रवेश वर्मा इलाके में बेशक नहीं आते लेकिन वह इलाके के मुद्दों को लेकर संसद में सवाल जरूर उठाते हैं. ऐसे में एक बार और उन्हें मौका जरूर दिया जाएगा. **महाबल मिश्रा को समर्थन** यहां का एक धड़ा 2009 में सांसद चुने गए कांग्रेस के महाबल मिश्रा के समर्थन में भी है. परचून की दुकान चलाने वाले राम अवतार कहते हैं कि प्रवेश वर्मा ने गांव के लिए कोई काम नहीं किया जबकि महाबल मिश्रा सांसद नहीं होने के बावजूद भी कई बार गांव में आए हैं. मिश्रा के कार्यकाल को याद करते हुए राम अवतार कहते हैं कि इस बार फिर से महाबल मिश्रा को ही सांसद बनाया जाएगा ताकि इलाके में एक बार फिर विकास हो सके. आम आदमी पार्टी को यहां रण का हिस्सा भी मानने से इनकार कर दिया जा रहा है.


Conclusion:लोगों का सीधे तौर पर कहना है कि पश्चिमी दिल्ली में लड़ाई कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के बीच है. ऐसे में आम आदमी पार्टी के लिए यह वाकई चिंता का विषय है. हालांकि ये कहना बहुत जल्दबाजी भी है. 12 मई के अभी लगभग 2 हफ्ते बचे हैं जो लोगों का मन बदल जाने के लिए काफी है. देखना होगा कि उस सीट से कौन से उम्मीदवार की किस्मत चमकती है.
Last Updated : May 1, 2019, 2:45 PM IST
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