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दिल्ली सरकार ने नए इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ मुख्यालय के निर्माण को दी मंजूरी, 114 पेड़ हटेंगे - approves construction of new IDS Headquarters

दिल्ली सरकार ने रक्षा मंत्रालय के लंबित प्रोजेक्ट को मंजूरी दे दी है. इस मंजूरी के बाद कैंट इलाके में आईडीएस कंप्लेक्स के निर्माण का काम शीघ्र शुरू होगा. इसके लिए निर्माण में आड़े आ रहे 114 पेड़ों को हटाने और उनके प्रत्यारोपण का आदेश दिया है.

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Published : Apr 27, 2023, 8:23 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली सरकार ने दिल्ली कैंट इलाके में प्रस्तावित इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ यानी आईडीएस के नए मुख्यालय के निर्माण का रास्ता साफ कर दिया है. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने गुरुवार को प्रोजेक्ट के अंतर्गत आने वाले पेड़ों को हटाने और पेड़ों को ट्रांसप्लांट करने की फाइल को मंजूरी दे दी.

इस मंजूरी के बाद अत्याधुनिक आईडीएस कंप्लेक्स के निर्माण का काम शीघ्र शुरू होगा. इस भवन में अधिकारियों का मेस और कैंप बनेगा. केंद्रीय रक्षा मंत्रालय ने इस भवन के निर्माण में आड़े आ रहे 114 पेड़ों को हटाने और उनके प्रत्यारोपण के लिए एक प्रस्ताव बनाकर दिल्ली सरकार के पास भेजा था. इस प्रोजेक्ट को राष्ट्रहित में बताते हुए सीएम अरविंद केजरीवाल ने मंजूरी दे दी. शर्त के अनुसार, केंद्रीय रक्षा मंत्रालय को प्रोजेक्ट स्थल पर पेड़ों को ट्रांसप्लांट करना होगा, जबकि 54 पेड़ों को हटाया जाएगा और इसके बदले 10 गुना अधिक यानी 1140 नए पौधे लगाए जाएंगे.

उल्लेखनीय है कि रक्षा मंत्रालय ने महरम नगर में इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ मुख्यालय के निर्माण का प्रस्ताव दिल्ली सरकार के पास भेजा था, मगर साइट पर मौजूद कुछ पेड़ निर्माण कार्य में बाधा डाल रहे थे. रक्षा मंत्रालय ने अधिकारियों को इस संबंध में सरकार को पत्र लिखकर निर्माण स्थल से 114 पेड़ों को हटाने और उनके प्रत्यारोपण की मंजूरी मांगी थी.

दिल्ली सरकार के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने प्रस्ताव को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सामने रखा, जिसके बाद अरविंद केजरीवाल ने कुछ शर्तों के साथ मंजूरी दे दी. प्रस्ताव को स्वीकृति देते हुए अरविंद केजरीवाल ने यह नोट दर्ज किया इस प्रस्ताव पर कोई भी राय या निर्णय प्रकट करने के लिए एलजी को भेजा जाएगा.

इसे भी पढ़ें: अपने बाहुबली सांसद बृजभूषण सिंह को बचा रही भाजपा: रीना गुप्ता

ट्रांजैक्शन ऑफ बिजनेस रूल जीएनसीटीडी एक्ट 2021 के तहत एलजी को 7 कार्य दिवस के भीतर अपनी राय देने का नियम है. दिल्ली सरकार ने आगे यह भी कहा है कि 114 पेड़ों में से रक्षा मंत्रालय 60 पेड़ों का प्रत्यारोपण करेगा, जबकि 54 पेड़ों को काटा जाएगा. पेड़ों का ट्रांसप्लांटेशन प्रोजेक्ट स्थल के अंदर ही तय किए गए स्थान पर होगा.

दिल्ली सरकार ने रक्षा मंत्रालय से कहा कि वह साइड से केवल उन्हीं पेड़ों को हटा सकते हैं, जिसकी मंजूरी सरकार ने दी है. इसके अलावा एक भी पेड़ को नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा. अगर इसके अलावा कोई भी क्षतिग्रस्त होता है जिन पेड़ों का प्रत्यारोपण किया जाना है उनके लिए मंत्रालय को आवश्यक शर्तों को पूरा करते हुए इसकी प्रक्रिया तुरंत शुरू करने और 6 महीने के भीतर पूरा करने के लिए कहा गया है. इसकी देखरेख के लिए रक्षा मंत्रालय वृक्ष अधिकारी से इसकी एक रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा. दिल्ली सरकार ने मंत्रालय से इस प्रोजेक्ट के लिए दिल्ली ट्री ट्रांसप्लांटेशन पॉलिसी 2020 का ईमानदारी से पालन करने और उस पर नियमित प्रोग्रेस रिपोर्ट सौंपने को कहा है.

साथ ही मंत्रालय को यह भी सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है कि जितने भी पेड़ प्रत्यारोपण में जीवित नहीं रहे, उनके स्थान पर 15 फीट की ऊंचाई और कम से कम 6 इंच व्यास वाले स्वदेशी प्रजातियों के पेड़ों को 1.5 के अनुपात में लगाया जाए. यदि किसी पेड़ पर पक्षियों का बसेरा पाया जाता है, तो उसे तब तक काटने हटाने की अनुमति नहीं दी जाएगी जब तक कि पक्षी पेड़ को छोड़ नहीं देते. साथ ही पेड़ों की कटाई के बाद पेड़ों की टहनियों को 90 दिनों के भीतर पास के श्मशान घाट में मुक्त भेजा जाना चाहिए.

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नई दिल्ली: दिल्ली सरकार ने दिल्ली कैंट इलाके में प्रस्तावित इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ यानी आईडीएस के नए मुख्यालय के निर्माण का रास्ता साफ कर दिया है. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने गुरुवार को प्रोजेक्ट के अंतर्गत आने वाले पेड़ों को हटाने और पेड़ों को ट्रांसप्लांट करने की फाइल को मंजूरी दे दी.

इस मंजूरी के बाद अत्याधुनिक आईडीएस कंप्लेक्स के निर्माण का काम शीघ्र शुरू होगा. इस भवन में अधिकारियों का मेस और कैंप बनेगा. केंद्रीय रक्षा मंत्रालय ने इस भवन के निर्माण में आड़े आ रहे 114 पेड़ों को हटाने और उनके प्रत्यारोपण के लिए एक प्रस्ताव बनाकर दिल्ली सरकार के पास भेजा था. इस प्रोजेक्ट को राष्ट्रहित में बताते हुए सीएम अरविंद केजरीवाल ने मंजूरी दे दी. शर्त के अनुसार, केंद्रीय रक्षा मंत्रालय को प्रोजेक्ट स्थल पर पेड़ों को ट्रांसप्लांट करना होगा, जबकि 54 पेड़ों को हटाया जाएगा और इसके बदले 10 गुना अधिक यानी 1140 नए पौधे लगाए जाएंगे.

उल्लेखनीय है कि रक्षा मंत्रालय ने महरम नगर में इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ मुख्यालय के निर्माण का प्रस्ताव दिल्ली सरकार के पास भेजा था, मगर साइट पर मौजूद कुछ पेड़ निर्माण कार्य में बाधा डाल रहे थे. रक्षा मंत्रालय ने अधिकारियों को इस संबंध में सरकार को पत्र लिखकर निर्माण स्थल से 114 पेड़ों को हटाने और उनके प्रत्यारोपण की मंजूरी मांगी थी.

दिल्ली सरकार के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने प्रस्ताव को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सामने रखा, जिसके बाद अरविंद केजरीवाल ने कुछ शर्तों के साथ मंजूरी दे दी. प्रस्ताव को स्वीकृति देते हुए अरविंद केजरीवाल ने यह नोट दर्ज किया इस प्रस्ताव पर कोई भी राय या निर्णय प्रकट करने के लिए एलजी को भेजा जाएगा.

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ट्रांजैक्शन ऑफ बिजनेस रूल जीएनसीटीडी एक्ट 2021 के तहत एलजी को 7 कार्य दिवस के भीतर अपनी राय देने का नियम है. दिल्ली सरकार ने आगे यह भी कहा है कि 114 पेड़ों में से रक्षा मंत्रालय 60 पेड़ों का प्रत्यारोपण करेगा, जबकि 54 पेड़ों को काटा जाएगा. पेड़ों का ट्रांसप्लांटेशन प्रोजेक्ट स्थल के अंदर ही तय किए गए स्थान पर होगा.

दिल्ली सरकार ने रक्षा मंत्रालय से कहा कि वह साइड से केवल उन्हीं पेड़ों को हटा सकते हैं, जिसकी मंजूरी सरकार ने दी है. इसके अलावा एक भी पेड़ को नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा. अगर इसके अलावा कोई भी क्षतिग्रस्त होता है जिन पेड़ों का प्रत्यारोपण किया जाना है उनके लिए मंत्रालय को आवश्यक शर्तों को पूरा करते हुए इसकी प्रक्रिया तुरंत शुरू करने और 6 महीने के भीतर पूरा करने के लिए कहा गया है. इसकी देखरेख के लिए रक्षा मंत्रालय वृक्ष अधिकारी से इसकी एक रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा. दिल्ली सरकार ने मंत्रालय से इस प्रोजेक्ट के लिए दिल्ली ट्री ट्रांसप्लांटेशन पॉलिसी 2020 का ईमानदारी से पालन करने और उस पर नियमित प्रोग्रेस रिपोर्ट सौंपने को कहा है.

साथ ही मंत्रालय को यह भी सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है कि जितने भी पेड़ प्रत्यारोपण में जीवित नहीं रहे, उनके स्थान पर 15 फीट की ऊंचाई और कम से कम 6 इंच व्यास वाले स्वदेशी प्रजातियों के पेड़ों को 1.5 के अनुपात में लगाया जाए. यदि किसी पेड़ पर पक्षियों का बसेरा पाया जाता है, तो उसे तब तक काटने हटाने की अनुमति नहीं दी जाएगी जब तक कि पक्षी पेड़ को छोड़ नहीं देते. साथ ही पेड़ों की कटाई के बाद पेड़ों की टहनियों को 90 दिनों के भीतर पास के श्मशान घाट में मुक्त भेजा जाना चाहिए.

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