नई दिल्लीः कोरोना संकट के दौरान जहां एक तरफ लोगों की नौकरियां छिन गई, वहीं पश्चिम विहार में एक महिला खाने का स्टॉल लगाकर ना सिर्फ अपना व्यवसाय कर रही हैं. बल्कि जिनकी जेब खाली होती उन्हें मुफ्त में खाना भी खिलाती हैं. साथ ही उनकी सोच है कि आने वाले दिनों में ऐसे ही स्टॉल और खुलें जिसे महिलाएं ही चलाएं और आत्मनिर्भर बनें.
कहते हैं इंसान मेहनत से रोटी कमाना चाहे तो काम की कमी नहीं और इसी बात को चरितार्थ कर रही हैं सरिता कश्यप जो एक सिंगल मदर हैं. सरिता अपनी बेटी की पढ़ाई के साथ-साथ दूसरे खर्चे के लिए रोड के साइड में स्कूटी पर आकर राहगीरों को खाना खिलाती है, जिसके पैसे भी लेती हैं लेकिन कोई ऐसा इंसान आ जाए, जिसके पास पैसे ना हों तो उसे खाना भी खिलाती हैं.
कोरोना को लेकर सुरक्षा का भी इंतजाम
इस स्टॉल का नाम भी क्या गजब है! अपनापन राजमा चावल. क्योंकि सरिता खुद अपने हाथों से खाना बनाकर लाती हैं और अपनेपन के साथ ही लोगों को खाना खिलाती हैं. कोरोना संकट है तो साफ सफाई, सैनिटाइजेशन, सोशसल डिस्टेंसिंग सबका ध्यान रखती हैं.
'सेवा के साथ कमाई भी हो रही है'
सरिता कहती हैं वो सेवा के साथ कमाई भी करती हैं. लेकिन खाने में कोई समझौता नहीं, क्योंकि खाना अच्छा और स्वादिष्ट होगा तभी तो लोग आएंगे. सरिता यहां आने वाले गरीब बच्चों को कभी खाना खिला देती हैं तो कभी रायता पिला देती हैं. सरिता को इसकाम में कोई झिझक नहीं है और उनकी सोच ऐसी की सुनकर किसी को भी प्रेरणा मिले, जो इस लॉकडाउन में नौकरी जाने से बेरोजगार हो गए.
सरिता का सपना और भी सरिता बने
वे कहती हैं कि एक सरिता ही नहीं वे दिल्ली के अलग अलग इलाकों में और कई सरिता को इस तरह से काम करते देखना चाहती हैं और फिर देशभर में. अब वाकई सरिता की इस सोच से और महिलाओं को भी सबक लेते हुए अपने पैरों पर खड़े होने कि कोशिश करनी चाहिए. कोरोना संकट के बाद पीएम मोदी जिस आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करना चाहते हैं, उसमें सरिता जैसी महिलाओं का साहस इसी तरह बना रहा तो यह सपना जरूर पूरा होगा.