नई दिल्ली: इस गर्मियों में इस्कॉन द्वारका की तरफ से एक ऑनलाइन समर कैम्प का आयोजन किया गया था, जिसमें बच्चों को ऑनलाइन माध्यम से भागवत गीता का ज्ञान देते हुए उन्हें नैतिक और वैदिक संस्कार देने की कोशिश की गई. इसमें बच्चों ने काफी दिलचस्पी दिखाई थी और उन्होंने ध्यान और मेहनत के साथ ऑनलाइन समर कैम्प के माध्यम से सनातन धर्म और इसकी महत्त्व को समझा. उन्हीं बच्चों के सहयोग से द्वारका स्थित वेगास मॉल में इस्कॉन प्रशासन की तरफ से एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया. जिसमें बच्चों ने भागवत गीता के श्लोकों का पाठ और इसके मतलब को समझा कर युवा वर्ग को अपने वैदिक सभ्यता से अवगत कराया.
इस्कॉन द्वारका के दयालु गोविंद दास ने बताया कि इस कार्यक्रम में भागवत के माध्यम से युवा वर्ग को वैदिक और नैतिक संस्कारों को देने की पहल की गई. जिसमें 20 अलग-अलग स्कूल के बच्चों ने आज की पीढ़ी को भागवत श्लोकों और उसके अर्थों से रूबरू कराया. कार्यक्रम में मॉल में घूमने आए कई बच्चों और युवाओं के साथ उनके अभिभावकों ने भी हिस्सा लिया और इस्कॉन के इस पहल की काफी सराहना की.
बता दें, बच्चों की पाठशाला का संचालन करने वाले सभी 20 बच्चों ने अलग-अलग श्लोकों का पाठ किया और फिर उनका मतलब मॉल में आये बच्चों और युवाओं को समझा. इस कार्यक्रम का उद्देश्य आज की वाट्सएप और फेसबुक की दुनिया में बच्चों को भगवान और धर्म के प्रति जागरूक बनाकर उनमें भगवत ज्ञान को बढ़ाना था. जिससे वे भागवत समुदाय से जुड़ कर खुद को और भी बेहतर बना पाएं.
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पाठशाला में श्लोक का पाठ करने वाली एक छात्रा ने बताया कि उन्हें इस्कॉन से जुड़ कर काफी फायदा हुआ और वो अपने नैतिक और वैदिक मूल्यों को समझ पाईं. जिसे ही उनहोने आगे अन्य बच्चों को भी बताया. चूंकि आज के वक़्त में बच्चों का झुकाव मॉल की तरफ ज्यादा होता है. इसलिए इस पाठशाला के लिए मॉल को चुना गया था.
वहीं, मॉल में पहुंचे अभिभावकों ने कहा कि इस्कॉन द्वारका जैसे मंच बच्चों के अंदर नैतिक एवं वैदिक शिक्षा की नींव को मजबूत करते हैं. खेल-खेल में ही सही बच्चे कम से कम हमारे बच्चे भगवद्गीता जैसे वैदिक साहित्य को पढ़ना सीखते हैं. संस्कृत के श्लोकों का उच्चारण करते हैं. बच्चों की यही नींव आगे चलकर उनके संस्कारों को और मजबूती प्रदान करती है. साथ ही बच्चों को इस कैंप में अनेकों रचनात्मक गतिविधियों से जुड़ने का अवसर मिला.
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