नई दिल्ली: क्राइम ब्रांच ने द्वारका में हुई एडवोकेट वीरेंद्र कुमार की हत्या की गुत्थी को सुलझा लिया है. इस मामले में आरोपी प्रदीप उर्फ प्रवीण उर्फ बॉबी (39) को गिरफ्तार किया गया है. आरोपी हत्या की वारदात को अंजाम देने के बाद से फरार चल रहा था. CCTV फुटेज मिलने के बाद द्वारका जिले की स्पेशल स्टाफ और एटीएस की टीम दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान में दर्जनों जगह पर रेड कर चुकी थी. मामले में दूसरा आरोपी अभी फरार है.
स्पेशल पुलिस कमिश्नर रविंद्र सिंह यादव ने बताया कि टीम टेक्निकल सर्विलांस की मदद से आरोपी को ट्रैक करने में कामयाब रही. वह कार से लगातार अपनी लोकेशन बदलकर भाग रहा था. पुलिस टीम ने उसे हरियाणा के सोनीपत स्थिति बालगढ़ गांव इलाके से दबोच लिया. इस दौरान पुलिस से घिरता हुआ देख उसने गाड़ी को भगाकर पुलिस की पकड़ से निकलने की कोशिश की, लेकिन पहले से अलर्ट क्राइम ब्रांच की टीम ने उसे भागने का मौका नहीं दिया. आरोपी लगातार छोटे-छोटे गांव में छुपता-छुपाता अपनी लोकेशन बदल रहा था. क्राइम ब्रांच की टीम दिल्ली-एनसीआर, उत्तर प्रदेश और हरियाणा में इसका लोकेशन ट्रैक कर रही थी. उसी कड़ी में इसके बारे में पुलिस को पूरी जानकारी मिल गई.
रेसलर बनना चाहता था आरोपी: पूछताछ में पता चला कि गिरफ्तार आरोपी प्रदीप दिल्ली के नरेला के पास स्थित एक गांव का रहने वाला है. इसने आठवीं तक पढ़ाई करने के बाद रेसलिंग की शुरुआत की थी, लेकिन इसके पास इतने पैसे नहीं थे, जो अपने पर्सनल डेवलपमेंट पर खर्च करके बड़ा पहलवान बन सके. उसके बाद 2008 में उसने कार चोरी की वारदात को अंजाम देकर अपनी पर्सनल जरूरतों को पूरी करने की शुरुआत की.
प्रॉपर्टी के विवाद में की एडवोकेट की हत्या: प्रदीप के परिवार का प्रॉपर्टी के विवाद को लेकर एडवोकेट वीरेंद्र कुमार नरवाल के साथ दुश्मनी चल रही थी. उसी विवाद में बदला लेने के लिए प्रदीप उर्फ बॉबी ने अपने साथी के साथ मिलकर 2017 में भी एडवोकेट पर हमला किया था, लेकिन उस समय वीरेंद्र बच गए थे. तब से यह फिर से बदला लेने के लिए और उसकी हत्या करने के लिए मौके की तलाश में था. पिछले शनिवार को शाम 4 बजे के आसपास प्रदीप और उसका साथी द्वारका सेक्टर 1 में पहुंचा और मणिपाल हॉस्पिटल के पास कार से जा रहे वीरेंद्र को गोली मारकर हत्या कर दी.
द्वारका पुलिस प्रदीप और उसके साथी की पहचान CCTV फुटेज से कर चुकी थी. प्रदीप और उसका साथी हत्या और हत्या के प्रयास के मामले में आरोपी रह चुके हैं. एडवोकेट वीरेंद्र पर रोहिणी कोर्ट के बाहर हमला होने के बाद उन्हे पुलिस की सुरक्षा मिल गई थी, लेकिन कोविड के दौरान सुरक्षा समीक्षा के बाद उसकी सुरक्षा को हटा दिया गया था.
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