नई दिल्ली: नागरिकता कानून के विरोध में जामिया में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के छात्रों ने बाब-ए-सैयद पर विश्वविद्यालय का तराना गाया. मजाज के लिखे इस तराने के जरिए छात्रों ने एकजुटता का संदेश दिया.
गौरतलब है कि जामिया में तमाम यूनिवर्सिटीज के छात्र आंदोलन में अपनी एकता दिखाने के लिये एकत्रित हो रहे हैं. एएमयू से आये छात्र और छात्राओं ने तराना "ये मेरा चमन, है मेरा चमन, मैं अपने चमन का बुलबुल हूं.." गाया.
तमाम विश्वविधालय की एकता
जामिया के मंच से एएमयू के छात्रों के साथ तमाम लोंगो ने मिलकर शायर असरारुल हक मजाज का एएमयू के लिए लिखा तराना (ये मेरा चमन, ये मेरा चमन, मैं अपने चमन का बुलबुल हूं) सामूहिक रूप से गाया. इसके बाद इंकलाब के नारों के साथ जामिया की दहलीज पर तमाम लोग एक आवाज में आजादी की मांग भी करते दिखाई दिये.
आंखें हुई नम
जामिया पर जिस वक्त तराना दोहराया जा रहा था, वहां मौजूद तमाम छात्र और छात्राओं की आंखें नम हो गईं. उनका कहना है कि ये हमारी एकता का तराना है, ये हमें बताता है कि हम सब एक हैं और ये हमारा चमन हमारा घर है, हमें यहां से कोई बाहर नहीं कर सकता.