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किसानों के आंदोलन का हो रहा राजनीतिकरण, विपक्षी पार्टियां किसानों के बहाने सरकार पर साध रही निशाना

ग्रेटर नोएडा के 49 गांवों के किसान अपनी मांगों को लेकर ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण पर 25 अप्रैल से आंदोलन कर रहे हैं. वहीं अन्य राजनीतिक पार्टियां किसानों के समर्थन में आ गई हैं. वह किसानों के बहाने सरकार पर निशाना साध रही हैं. जबकि, बीजेपी ने किसानों के आंदोलन से दूरी बना ली है.

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Published : Jun 20, 2023, 7:45 PM IST

नई दिल्ली/नोएडा: ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण पर चल रहा किसानों का धरना अब राजनीतिक रूप लेता नजर आ रहा है. किसानों की मांगों को हल करने के लिए शुरू हुआ किसान आंदोलन पटरी से उतर कर राजनीतिकरण की तरफ बढ़ रहा है. समाजवादी पार्टी, कांग्रेस, राष्ट्रीय लोकदल, आजाद समाज पार्टी और आम आदमी पार्टी सहित अन्य कई राजनीतिक पार्टियां आंदोलन को समर्थन दे चुकी है. वहीं, पुलिस ने कार्रवाई करते हुए 33 किसानों को जेल में बंद कर दिया है और लगभग 60 किसानों के खिलाफ अलग मामला दर्ज किया है, लेकिन किसान अभी भी अपनी मांगों को लेकर ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के कार्यालय पर लगातार आंदोलन कर रहे हैं.

इस वजह से किसान का रहे आंदोलन: ग्रेटर नोएडा के 49 गांवों के किसान अखिल भारतीय किसान सभा के नेतृत्व में अपनी मांगों को लेकर ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण पर 25 अप्रैल से आंदोलन कर रहे हैं. किसान नई भूमि अधिग्रहण कानून के तहत मुआवजा, 64.7 प्रतिशत बढ़ा हुआ मुआवजा, लीज बैंक, भूमिहीन किसानों के लिए प्लॉट और युवाओं के रोजगार सहित अन्य मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं.

उनका यह आंदोलन दिन और रात लगातार जारी है. आंदोलन में भारी संख्या में किसान व महिलाएं शामिल हो रही हैं. बीते दिनों ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण पर किसानों और पुलिस के बीच हुई झड़प के बाद 33 किसानों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया. वहीं शांति भंग करने और सरकारी काम में बाधा डालने के आरोप में सूरजपुर थाने में 60 किसानों के खिलाफ और मुकदमा दर्ज किया गया है.

ग्रेटर नोएडा के 49 गांवों के किसान आंदोलन में शामिल हैं.
आंदोलन में ग्रेटर नोएडा के 49 गांवों के किसान शामिल हैं.

किसानों के आंदोलन का राजनीतिकरण: किसानों के आंदोलन में आम आदमी पार्टी से सांसद संजय सिंह, आजाद समाज पार्टी से चंद्रशेखर और समाजवादी पार्टी का 12 सदस्य प्रतिनिधि मंडल सहित अन्य दलों के नेता लगातार किसानों के बीच पहुंच रहे हैं और किसानों के मुद्दों के साथ सरकार को घेरने का प्रयास कर रहे हैं. किसानों का यह आंदोलन लगातार राजनीतिकरण का शिकार होता नजर आ रहा है, जिसके कारण यहां पर सभी विपक्षी दल अपनी राजनीति रोटियां सेकने व सरकार पर निशाना साधने का कार्य कर रहे हैं.

इसे भी पढ़ें: किसानों की सरकार से बातचीत फेल, अब संयुक्त किसान मोर्चा संभालेगा आंदोलन, बुधवार को अहम बैठक

नहीं हो पा रही किसानों की रिहाई: स्थानीय विधायक दादरी तेजपाल सिंह नागर ने किसानों और प्राधिकरण के अधिकारियों के बीच समझौते को लेकर वार्ता कराई. इसमें किसानों और अधिकारियों के बीच कई मुद्दों पर सहमति बनती नजर आई, लेकिन जेल में बंद किसानों की रिहाई पर वार्ता विफल हो गई. वार्ता में गए किसानों के प्रतिनिधिमंडल ने पहले जेल में बंद किसानों की रिहाई और उसके बाद वार्ता की बात कही, जिसके बाद किसानों और प्राधिकरण के बीच समझौता कराने का दादरी विधायक का प्रयास असफल हो गया.

राजनीतिक दल के नेताओं ने दिया साथ.
राजनीतिक दल के नेताओं ने दिया साथ.

बीजेपी नेताओं ने किसानों के आंदोलन से बनाई दूरी: गौतम बुद्ध नगर लोक सभा सांसद डॉ. महेश शर्मा और राज्यसभा सांसद सुरेंद्र सिंह नागर ने किसानों के आंदोलन से लगातार दूरी बना रखी है. जहां बीते दिनों ग्रेटर नोएडा आए प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किसानों के मुद्दे पर कहा था कि सरकार किसानों के साथ है. वहीं राज्यसभा सांसद और लोकसभा सांसद सहित अन्य बीजेपी नेताओं ने किसानों की समस्या को हल करने की कोशिश नहीं की.

इसे भी पढ़ें: एनटीपीसी प्लांट पर धरना प्रदर्शन के दौरान जेल भेजे गए किसानों को कोर्ट से मिली जमानत, जल्द होगी रिहाई

नई दिल्ली/नोएडा: ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण पर चल रहा किसानों का धरना अब राजनीतिक रूप लेता नजर आ रहा है. किसानों की मांगों को हल करने के लिए शुरू हुआ किसान आंदोलन पटरी से उतर कर राजनीतिकरण की तरफ बढ़ रहा है. समाजवादी पार्टी, कांग्रेस, राष्ट्रीय लोकदल, आजाद समाज पार्टी और आम आदमी पार्टी सहित अन्य कई राजनीतिक पार्टियां आंदोलन को समर्थन दे चुकी है. वहीं, पुलिस ने कार्रवाई करते हुए 33 किसानों को जेल में बंद कर दिया है और लगभग 60 किसानों के खिलाफ अलग मामला दर्ज किया है, लेकिन किसान अभी भी अपनी मांगों को लेकर ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के कार्यालय पर लगातार आंदोलन कर रहे हैं.

इस वजह से किसान का रहे आंदोलन: ग्रेटर नोएडा के 49 गांवों के किसान अखिल भारतीय किसान सभा के नेतृत्व में अपनी मांगों को लेकर ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण पर 25 अप्रैल से आंदोलन कर रहे हैं. किसान नई भूमि अधिग्रहण कानून के तहत मुआवजा, 64.7 प्रतिशत बढ़ा हुआ मुआवजा, लीज बैंक, भूमिहीन किसानों के लिए प्लॉट और युवाओं के रोजगार सहित अन्य मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं.

उनका यह आंदोलन दिन और रात लगातार जारी है. आंदोलन में भारी संख्या में किसान व महिलाएं शामिल हो रही हैं. बीते दिनों ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण पर किसानों और पुलिस के बीच हुई झड़प के बाद 33 किसानों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया. वहीं शांति भंग करने और सरकारी काम में बाधा डालने के आरोप में सूरजपुर थाने में 60 किसानों के खिलाफ और मुकदमा दर्ज किया गया है.

ग्रेटर नोएडा के 49 गांवों के किसान आंदोलन में शामिल हैं.
आंदोलन में ग्रेटर नोएडा के 49 गांवों के किसान शामिल हैं.

किसानों के आंदोलन का राजनीतिकरण: किसानों के आंदोलन में आम आदमी पार्टी से सांसद संजय सिंह, आजाद समाज पार्टी से चंद्रशेखर और समाजवादी पार्टी का 12 सदस्य प्रतिनिधि मंडल सहित अन्य दलों के नेता लगातार किसानों के बीच पहुंच रहे हैं और किसानों के मुद्दों के साथ सरकार को घेरने का प्रयास कर रहे हैं. किसानों का यह आंदोलन लगातार राजनीतिकरण का शिकार होता नजर आ रहा है, जिसके कारण यहां पर सभी विपक्षी दल अपनी राजनीति रोटियां सेकने व सरकार पर निशाना साधने का कार्य कर रहे हैं.

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नहीं हो पा रही किसानों की रिहाई: स्थानीय विधायक दादरी तेजपाल सिंह नागर ने किसानों और प्राधिकरण के अधिकारियों के बीच समझौते को लेकर वार्ता कराई. इसमें किसानों और अधिकारियों के बीच कई मुद्दों पर सहमति बनती नजर आई, लेकिन जेल में बंद किसानों की रिहाई पर वार्ता विफल हो गई. वार्ता में गए किसानों के प्रतिनिधिमंडल ने पहले जेल में बंद किसानों की रिहाई और उसके बाद वार्ता की बात कही, जिसके बाद किसानों और प्राधिकरण के बीच समझौता कराने का दादरी विधायक का प्रयास असफल हो गया.

राजनीतिक दल के नेताओं ने दिया साथ.
राजनीतिक दल के नेताओं ने दिया साथ.

बीजेपी नेताओं ने किसानों के आंदोलन से बनाई दूरी: गौतम बुद्ध नगर लोक सभा सांसद डॉ. महेश शर्मा और राज्यसभा सांसद सुरेंद्र सिंह नागर ने किसानों के आंदोलन से लगातार दूरी बना रखी है. जहां बीते दिनों ग्रेटर नोएडा आए प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किसानों के मुद्दे पर कहा था कि सरकार किसानों के साथ है. वहीं राज्यसभा सांसद और लोकसभा सांसद सहित अन्य बीजेपी नेताओं ने किसानों की समस्या को हल करने की कोशिश नहीं की.

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