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मुस्लिम समाज में शिक्षा के घटते स्तर को लेकर हुई मीटिंग

मुस्लिम समाज में लगातार घटते शिक्षा के स्तर पर चिंता व्यक्त करते हुए एक मीटिंग का आयोजन किया गया. यह मीटिंग शमा एजुकेशनल एंड पॉलीटेक्निक सोसाइटी ने जाफराबाद आरडब्ल्यूए के साथ बुलाई थी.

शिक्षा के लिए मीटिंग etv bharat
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Published : Sep 18, 2019, 3:30 PM IST

नई दिल्ली: मुस्लिम समाज में शिक्षा के घटते स्तर को ध्यान में रखते हुए नौजवानों और उनके पेरेंट्स को एजुकेशन की अहमियत समझाने के लिए एक मीटिंग का आयोजन किया गया. यह मीटिंग शमा एजुकेशनल एंड पॉलीटेक्निक सोसाइटी और जाफराबाद आरडब्ल्यूए ने बुलाई थी. मीटिंग में समाज के बुद्धिजीवी वर्ग के साथ-साथ प्रमुख समाजसेवियों ने भी हिस्सा लिया.

शिक्षा के लिए मीटिंग

डॉ.सलीम अहमद ने की बैठक की अध्यक्षता
मुस्लिम समाज में शिक्षा के प्रति युवाओं और उनके परिजनों के उदासीन रवैये को बदलने के लिए मुस्लिम बुद्धिजीवियों की एक खास बैठक का आयोजन सादिक़ अली के निवास स्थान पर किया गया. जहां पर बड़ी संख्या में संस्था और आरडब्ल्यूए के सदस्यों ने भाग लिया. बैठक की अध्यक्षता डॉ.सलीम अहमद ने की.

बैठक में अपनी बात रखते हुए सामाजिक कार्यकर्ता और संस्था के महासचिव डॉ.फहीम बेग ने जानकारी दी कि पिछले वर्षों की भांति इस वर्ष भी जाफराबाद और उसके आस-पास के स्कूलों का रिजल्ट काफी कम रहा, जिसका मुख्य कारण छात्रों, युवाओं और उनके परिजनों का शिक्षा प्राप्त करने में उनकी उदासीनता और लापरवाही है.

'लगभग 2000 छात्र हो रहे हैं ड्रॉप आउट'
प्रति वर्ष 1500 से 2000 छात्र ड्रॉप आउट हो रहे हैं. फिर वो कहीं न कहीं विसंगतियों में पड़कर समाज को निर्मित नहीं बल्कि बिगाड़ने का काम कर रहे हैं. डॉ.बेग ने कहा कि इन समस्याओं को सुधारने और शिक्षा के प्रति उनका रुझान बढ़ाने के लिए हमने आज इस बैठक का आयोजन किया है. सभी को इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर अपनी अपनी राय देकर इन समस्याओं से उबरने के रास्ता निकालना होगा, तभी मुस्लिम समाज का उत्थान हो सकेगा.

'भाषा और विषय को लेकर हो कॉउंसलिंग'
संस्था के अध्यक्ष मिर्ज़ा शाहिद चंगेज़ी ने कहा कि भाषा और विषय को लेकर छात्रों की कॉउंसलिंग की आवश्यकता है, जिससे छात्र अपनी शिक्षा के प्रति ज़िम्मेदार बनेंगे. बैठक में ज़ोहरान जिलानी ने बताया कि वर्तमान में अध्यापकों का रवैया भी बहुत चिंता का विषय है, वो बच्चों पर आवश्यकता से अधिक दबाव बना रहे हैं. उन्हें समय के साथ नई-नई तकनीक का प्रयोग न करके उन्हें कहीं न कहीं मानसिक आघात दे रहे हैं जिसके चलते छात्र शिक्षा प्राप्त करने में अरूचि दिखा रहे हैं.

'समाज के लिए घातक है शिक्षा का घटता स्तर'
बैठक में ज्यादातर वक्ताओं की राय यही थी कि कुछ भी करके मुस्लिम समाज में घटते शिक्षा के स्तर को ऊपर कैसे उठाया जाए. लोगों का कहना था कि खाली दिमाग शैतान का घर होता है, ऐसे में कोशिश की जानी चाहिए कि कैसे भी करके बच्चों में शिक्षा हासिल करने को लेकर रुचि पैदा की जाए.

'रोकनी होगी बालिकाओं से छेड़खानी'
इक़बाल अंसारी ने कहा कि स्कूलों के आसपास बालिकाओं से छेड़खानी की वारदातों को भी रोकना होगा. सरकार और राजनीतिक व्यक्तियों को भी इस मिशन में शामिल करके उनकी जिम्मेदारी भी निर्धारित करनी होगी.

नई दिल्ली: मुस्लिम समाज में शिक्षा के घटते स्तर को ध्यान में रखते हुए नौजवानों और उनके पेरेंट्स को एजुकेशन की अहमियत समझाने के लिए एक मीटिंग का आयोजन किया गया. यह मीटिंग शमा एजुकेशनल एंड पॉलीटेक्निक सोसाइटी और जाफराबाद आरडब्ल्यूए ने बुलाई थी. मीटिंग में समाज के बुद्धिजीवी वर्ग के साथ-साथ प्रमुख समाजसेवियों ने भी हिस्सा लिया.

शिक्षा के लिए मीटिंग

डॉ.सलीम अहमद ने की बैठक की अध्यक्षता
मुस्लिम समाज में शिक्षा के प्रति युवाओं और उनके परिजनों के उदासीन रवैये को बदलने के लिए मुस्लिम बुद्धिजीवियों की एक खास बैठक का आयोजन सादिक़ अली के निवास स्थान पर किया गया. जहां पर बड़ी संख्या में संस्था और आरडब्ल्यूए के सदस्यों ने भाग लिया. बैठक की अध्यक्षता डॉ.सलीम अहमद ने की.

बैठक में अपनी बात रखते हुए सामाजिक कार्यकर्ता और संस्था के महासचिव डॉ.फहीम बेग ने जानकारी दी कि पिछले वर्षों की भांति इस वर्ष भी जाफराबाद और उसके आस-पास के स्कूलों का रिजल्ट काफी कम रहा, जिसका मुख्य कारण छात्रों, युवाओं और उनके परिजनों का शिक्षा प्राप्त करने में उनकी उदासीनता और लापरवाही है.

'लगभग 2000 छात्र हो रहे हैं ड्रॉप आउट'
प्रति वर्ष 1500 से 2000 छात्र ड्रॉप आउट हो रहे हैं. फिर वो कहीं न कहीं विसंगतियों में पड़कर समाज को निर्मित नहीं बल्कि बिगाड़ने का काम कर रहे हैं. डॉ.बेग ने कहा कि इन समस्याओं को सुधारने और शिक्षा के प्रति उनका रुझान बढ़ाने के लिए हमने आज इस बैठक का आयोजन किया है. सभी को इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर अपनी अपनी राय देकर इन समस्याओं से उबरने के रास्ता निकालना होगा, तभी मुस्लिम समाज का उत्थान हो सकेगा.

'भाषा और विषय को लेकर हो कॉउंसलिंग'
संस्था के अध्यक्ष मिर्ज़ा शाहिद चंगेज़ी ने कहा कि भाषा और विषय को लेकर छात्रों की कॉउंसलिंग की आवश्यकता है, जिससे छात्र अपनी शिक्षा के प्रति ज़िम्मेदार बनेंगे. बैठक में ज़ोहरान जिलानी ने बताया कि वर्तमान में अध्यापकों का रवैया भी बहुत चिंता का विषय है, वो बच्चों पर आवश्यकता से अधिक दबाव बना रहे हैं. उन्हें समय के साथ नई-नई तकनीक का प्रयोग न करके उन्हें कहीं न कहीं मानसिक आघात दे रहे हैं जिसके चलते छात्र शिक्षा प्राप्त करने में अरूचि दिखा रहे हैं.

'समाज के लिए घातक है शिक्षा का घटता स्तर'
बैठक में ज्यादातर वक्ताओं की राय यही थी कि कुछ भी करके मुस्लिम समाज में घटते शिक्षा के स्तर को ऊपर कैसे उठाया जाए. लोगों का कहना था कि खाली दिमाग शैतान का घर होता है, ऐसे में कोशिश की जानी चाहिए कि कैसे भी करके बच्चों में शिक्षा हासिल करने को लेकर रुचि पैदा की जाए.

'रोकनी होगी बालिकाओं से छेड़खानी'
इक़बाल अंसारी ने कहा कि स्कूलों के आसपास बालिकाओं से छेड़खानी की वारदातों को भी रोकना होगा. सरकार और राजनीतिक व्यक्तियों को भी इस मिशन में शामिल करके उनकी जिम्मेदारी भी निर्धारित करनी होगी.

Intro:मुस्लिम समाज में शिक्षा के घटते स्तर को ध्यान में रखते हुए नौजवानों और उनके पेरेंट्स को एजुकेशन हासिल करने और उसकी अहमियत को समझाने के लिए
शमा एजुकेशनल एंड पॉलीटेक्निक सोसाइटी और जाफराबाद आरडब्ल्यूए ने एक पहल करते हुए एक खास मीटिंग का अस्सलाम योजन किया. मीटिंग में समाज के बुद्धिजीवी वर्ग के साथ साथ प्रमुख समाजसेवियों ने भी हिस्सा लिया.

Body:मुस्लिम समाज में शिक्षा के प्रति युवाओं और उनके परिजनों के उदासीन रवैय्ये को बदलने के लिए मुस्लिम बुद्धिजीवियों की एक खास बैठक का आयोजन सादिक़ अली के निवास स्थान गली न. 39/4 जाफराबाद में किया गया,जहां पर बड़ी संख्या में संस्था और आरडब्ल्यूए के सदस्य व विभिन क्षेत्रों के महानुभवों ने भाग लिया. बैठक की अध्यक्षता डॉ.सलीम अहमद ने की. बैठक में अपनी बात रखते हुए सामाजिक कार्यकर्ता और संस्था के महासचिव डॉ.फहीम बेग ने जानकारी दी कि पिछले वर्षों की भांति इस वर्ष भी जाफराबाद और उसके आस-पास के स्कूलों का रिजल्ट काफी कम रहा, जिसका मुख्य कारण छात्रों, युवाओं और उनके परिजनों का शिक्षा प्राप्त करने में उनकी उदासीनता और लापरवाही और स्कूल से भागने व बीच अधर में ही अपनी शिक्षा छोड़ देना है, जिसके चलते प्रति वर्ष 1500 से 2000 छात्र ड्रॉप आउट हो रहे हैं और फिर वो कहीं न कहीं विसंगतियों में पड़कर समाज को निर्मित नहीं बल्कि बिगाड़ने का काम कर रहे हैं. डॉ.बेग ने कहा कि इन समस्याओं को सुधारने और शिक्षा के प्रति उनका रुझान बढ़ाने के लिए हमने आज इस बैठक का आयोजन किया है, सभी को इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर अपनी अपनी राय देकर इन समस्याओं से उबरने के रास्ता निकालना होगा, तभी मुस्लिम समाज का उत्थान हो सकेगा.
संस्था के अध्यक्ष मिर्ज़ा शाहिद चंगेज़ी ने कहा कि भाषा और विषय को लेकर छात्रों की कॉउंसलिंग की आवश्यकता है, जिससे छात्र अपनी शिक्षा के प्रति ज़िम्मेदार बनेंगे.
बैठक में ज़ोहरान जिलानी ने बताया कि वर्तमान में अध्यापकों का रवैया भी बहुत चिंता का विषय है, वो बच्चो पर आवश्यकता से अधिक दबाव बना रहे हैं और उन्हें समय के साथ नई नई तकनीक का प्रयोग न करके उन्हें कहीं न कहीं मानसिक आघात दे रहे हैं जिसके चलते छात्र शिक्षा प्राप्त करने में अरूचि दिखा रहे हैं.

समाज के लिए घातक है शिक्षा का घटता स्तर
बैठक में ज्यादातर वक्ताओं की राय यही थी कि कुछ भी करके मुस्लिम समाज में घटते शिक्षा के स्तर को ऊपर कैसे उठाया जाए. लोगों का कहना था कि खाली दिमाग शैतान का घर होता है, ऐसे में कोशिश की जानी चाहिए कि कैसे भी करके बच्चों में शिक्षा हासिल करने को लेकर रुचि पैदा की जाए.Conclusion:इक़बाल अंसारी ने कहा कि स्कूलों के आसपास बालिकाओं से छेड़खानी की वारदातों को भी रोकना होगा तथा सरकार और राजनीतिक व्यक्तियों को भी इस मिशन में शामिल करके उनकी जिम्मेदारी भी निर्धारित करनी होगी।
#मोहम्मद आमिर ने जानकारी देते हुए बताया कि हमने काफी समय लगाकर ड्राप आउट छात्रों की समस्या जानने के प्रयास किये तो हमने पाया कि आजकल के छात्रों में उनके उज्ज्वल भविष्य के प्रति उनके कोई सपने ही नही हैं बस वो स्कूल बास्ते को घर से स्कूल और स्कूल से घर एक बोझ की तरह डोह रहे हैं इसके लिए हमें उन बच्चों को सपने देखने के लिए उन्हें प्रेरित करना होगा। #डॉ_इलियास सैफी ने कहा कि सबसे पहले हमें बच्चे को शिक्षा ग्रहण करने में जो समस्या उत्पन हो रही है जैसे भाषा,कोई विषय उसे कठिन लग रहा हो या उसके परिवार की स्थिति का अवलोकन करने होगा फिर इन समस्याओं को दूर किया जासकता है।
#मौलाना_दिलशाद मज़ाहिरी,#इंतेखाब आलम #नोशाद खान,#इकराम,आदि ने भी अपनी अपनी बात रखी।
#डॉ_नदीम अहमद,#तस्लीम अहमद,#नासिर हुसैन, #मोहम्मद अतीक,#फ़ाज़िल खान,#अनीस,मोहम्मद #साबिर,#इक़बाल अंसारी,#क़ारी यूसुफ अंसारी,#आसिफ अंसारी,#आदिल अंसारी,#शरीफ कुरेशी,#अंजुम हुसैन,#जावेद अख्तर,#मोहम्मद आरिफ,#अबू कमर,#दानिश अंसारी आदि ने बैठक में भाग लिया और शिक्षा के प्रति युवाओं और उनके माता-पिता को जागृत करने का प्रण लिया।
अंत में बैठक की अध्यक्षता कर रहे डॉ.सलीम ने कहा कि जितने भी वक्ताओं ने जो बातें और सुझाव दिए हैं उनपर एक प्रभावशाली प्लान बनाकर आसपास के स्कूलों के प्रधानाचार्यों व अध्यापकों और छात्रों के परिजनों से भेंट की जाए और सभी समस्याओं को एक एक करके हाल करने के निरंतर प्रयास किये जायें साथ ही डॉ.फहीम बेग को उनके इस साहसिक कार्यों के किये हमें अपना पूर्ण समर्थन देना चाहिए.देखना यह होगा कि सामाजिक संगठनों की यह कोशिश मुस्लिम समाज के शैक्षिक स्तर को ऊपर उठाने में कितनी मददगार होती है.
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