नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में इस सत्र दाखिला परीक्षा, नेशनल टेस्टिंग एजेंसी द्वारा आयोजित कराई गई है. वहीं इसे लेकर जेएनयू छात्र संघ ने परीक्षा पर सवाल खड़े किए हैं. इस मामले को लेकर जेएनयू के कुलपति को एक पत्र भी लिखा गया है. जिसमें 28 मई को आयोजित की गई बीए फर्स्ट ईयर के प्रश्न पत्र लीक होने के मामले को लेकर एनटीए पर कई प्रश्न चिन्ह लगाए हैं. साथ ही छात्र संघ ने बीए का पेपर सिलेबस से बाहर आने का भी आरोप लगाया है. छात्र संघ की मांग है कि एनटीए द्वारा प्रवेश परीक्षा में की गई सभी गलतियों को संज्ञान में लिया जाए. साथ ही जेएनयू में परंपरागत रूप से चली आ रही ऑफलाइन प्रवेश परीक्षा को ही मान्यता दी जाए.
पहले होती थी ऑफलाइन परीक्षा
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में पिछले कई वर्षों से दाखिला परीक्षा जेएनयू प्रशासन द्वारा आयोजित करवाई जाती थी जो ऑफलाइन होती थी. जिसमें ऑब्जेक्टिव और सब्जेक्टिव दोनों ही तरह के प्रश्न छात्रों की काबिलियत को जांचने के लिए तैयार किए जाते थे. वहीं इस सत्र नेशनल टेस्टिंग एजेंसी द्वारा प्रवेश परीक्षा ऑनलाइन आयोजित कराए जाने को लेकर जेएनयू छात्रसंघ का कहना है कि जेएनयू के 50 वर्ष के कार्यकाल में कभी भी दाखिला परीक्षा को लेकर किसी तरह का विवाद देखने को नहीं मिला. वहीं इस सत्र दाखिला परीक्षा नेशनल टेस्टिंग एजेंसी द्वारा ऑनलाइन मोड में आयोजित करवाए जाने से पहली बार इतना बड़ा विवाद शुरू हो गया है. जेएनयू छात्र संघ ने यह आरोप लगाया है कि एनटीए द्वारा 28 मई को आयोजित रूसी, स्पेनिश, फ्रेंच और जर्मन की बीए फर्स्ट ईयर का क्लस्टर पेपर, पहले ही लीक हो चुका था. साथ ही एनटीए द्वारा जारी की गई आंसर की में भी कई गलतियां पाई गई हैं. वहीं छात्र संघ ने यह भी आरोप लगाया है कि बीए का पेपर सिलेबस के बाहर आया था.
'हुई कई गड़बड़ियां'
छात्र संघ का दावा है कि एनटीए द्वारा आयोजित जेएनयू की प्रवेश परीक्षा में कई तरह की गड़बड़ियां हैं. जहां बीए से लेकर पीएचडी तक सभी विषयों की उत्तर कुंजी में कई गलतियां हैं, वहीं परीक्षा में भी कुछ सवाल गलत आए थे. इसके अलावा बी ए क्लस्टर- दो की आंसर की में 10 से ज्यादा गलतियां पाई गई हैं. इसके अलावा केमिस्ट्री और अंग्रेजी जैसे विषयों के लिए पांच उत्तर गलत हैं.
'कार्रवाई करे प्रशासन'
साथ ही छात्र संघ ने कहा है कि नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने यह सहूलियत दी है कि यदि आंसर की गलत है तो उसे हजार रुपए का शुल्क अदा कर चुनौती दी जा सकती है. ऐसे में छात्र संघ का कहना है कि जो गलती खुद टेस्टिंग एजेंसी ने की है उसके लिए कोई भी छात्र इतना बड़ी रकम क्यों चुकाए. इन्हीं तथ्यों को लेकर छात्र संघ की यह मांग है कि जेएनयू प्रशासन नेशनल टेस्टिंग एजेंसी द्वारा की गई सभी गलतियों को संज्ञान में ले और उस पर जरूरी कार्रवाई भी करे. साथ ही कहा है कि जेएनयू प्रशासन को अब तक परंपरागत तौर से चली आ रही प्रवेश परीक्षा को ही मान्यता देकर उसी के अनुसार परीक्षा आयोजित करवानी चाहिए.