ETV Bharat / state

अलीगढ़ के संतोष ने मरने के बाद भी बचाई कई जिंदगियां, जानें कैसे

कई बार लोगों का फैसला, आसपास के लोगों का जीवन बदलकर रख देता है. ऐसा ही कुछ दिल्ली एम्स में, जहां परिवार के एक साहसिक निर्णय ने कई जिंदगियों को बचा लिया. पढ़ें पूरी खबर..

Santosh of Aligarh saved many lives
Santosh of Aligarh saved many lives
author img

By ETV Bharat Delhi Team

Published : Oct 15, 2023, 10:10 PM IST

नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले के निवासी संतोष कुमार (30) ने कई बीमार लोगों की जिंदगी बचाई है. दरअसल दिल्ली एम्स में ब्रेन डेड घोषित होने के बाद संतोष के परिजनों ने उसके अंगदान करने का साहसी निर्णय लिया. हाल ही में एक हादसे के बाद संतोष कुमार को अलीगढ़ के एक ट्रॉमा अस्पताल में लाया गया था. सात अक्टूबर को उसे चिकित्सा सहायता दी गई, लेकिन हालत गंभीर होता देख उसे दिल्ली एम्स रेफर कर दिया गया था.

हालांकि दिल्ली एम्स ट्रामा सेंटर में डॉक्टरों के सर्वोत्तम प्रयासों के बावजूद उसकी जान नहीं बचाई जा सकी और 14 अक्टूबर को उसे ब्रेन डेड घोषित कर दिय गया. इसके बाद अस्पताल की ऑर्गन रिट्रीवल बैंकिंग ऑर्गनाइजेशन (ओआरबीओ) द्वारा परिवार को अंगदान के महत्व के बारे में बताया गया कि उनका निर्णय कैसे कई लोगों के जीवन को बदल सकता है. इसके बाद संतोष का परिवार अंगदान के लिए राजी हो गया. संतोष का दिल, लिवर और एक किडनी को एम्स में अंग प्रत्यारोपण का इंतजार कर रहे लोगों को दान किया गया, जबकि दूसरी किडनी को राम मनोहर लोहिया में भर्ती मरीज को प्रत्यारोपित की गई.

वहीं मृतक संतोष के चाचा ऋषिचंद्र ने कहा कि हमारा बेटा भले ही अब जिंदा न हो, लेकिन उसके अंग कई अन्य जरूरतमंद बीमार लोगों को जिंदा रखने में मदद करेंगे. उन्होंने कहा कि हर किसी को अंगदान पर विचार करना चाहिए. उन्होंने बताया कि संतोष एक सीधा और ईमानदार व्यक्ति था और उसने स्नातक तक पढ़ाई की थी. वह खेती कर परिवार का भरण-पोषण करता था.

नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले के निवासी संतोष कुमार (30) ने कई बीमार लोगों की जिंदगी बचाई है. दरअसल दिल्ली एम्स में ब्रेन डेड घोषित होने के बाद संतोष के परिजनों ने उसके अंगदान करने का साहसी निर्णय लिया. हाल ही में एक हादसे के बाद संतोष कुमार को अलीगढ़ के एक ट्रॉमा अस्पताल में लाया गया था. सात अक्टूबर को उसे चिकित्सा सहायता दी गई, लेकिन हालत गंभीर होता देख उसे दिल्ली एम्स रेफर कर दिया गया था.

हालांकि दिल्ली एम्स ट्रामा सेंटर में डॉक्टरों के सर्वोत्तम प्रयासों के बावजूद उसकी जान नहीं बचाई जा सकी और 14 अक्टूबर को उसे ब्रेन डेड घोषित कर दिय गया. इसके बाद अस्पताल की ऑर्गन रिट्रीवल बैंकिंग ऑर्गनाइजेशन (ओआरबीओ) द्वारा परिवार को अंगदान के महत्व के बारे में बताया गया कि उनका निर्णय कैसे कई लोगों के जीवन को बदल सकता है. इसके बाद संतोष का परिवार अंगदान के लिए राजी हो गया. संतोष का दिल, लिवर और एक किडनी को एम्स में अंग प्रत्यारोपण का इंतजार कर रहे लोगों को दान किया गया, जबकि दूसरी किडनी को राम मनोहर लोहिया में भर्ती मरीज को प्रत्यारोपित की गई.

वहीं मृतक संतोष के चाचा ऋषिचंद्र ने कहा कि हमारा बेटा भले ही अब जिंदा न हो, लेकिन उसके अंग कई अन्य जरूरतमंद बीमार लोगों को जिंदा रखने में मदद करेंगे. उन्होंने कहा कि हर किसी को अंगदान पर विचार करना चाहिए. उन्होंने बताया कि संतोष एक सीधा और ईमानदार व्यक्ति था और उसने स्नातक तक पढ़ाई की थी. वह खेती कर परिवार का भरण-पोषण करता था.

यह भी पढ़ें-दिल्ली एलजी ने सेवानिवृत्त न्यायाधीश पूनम ए बंबा को पुलिस शिकायत प्राधिकरण का अध्यक्ष नियुक्त किया

यह भी पढ़ें-दिल्ली पुलिस के सिपाही ने की आत्महत्या करने की कोशिश, अस्पताल में भर्ती

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.