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Robotic knee replacement: आईएसआईसी में रोबोटिक नी रिप्लेसमेन्ट सुविधा शुरू, रोबोट सर्जन के लिये बड़ा मददगार - indian spinal injuries centre

इंडियन स्पाइनल इंजरीज़ सेंटर में शुक्रवार को रोबोटिक नी रिप्लेसमेंट ( रोबोटिक घुटना प्रतिस्थापन) सेवा की शुरुआत हुई. यह आर्थोपेडिक सर्जरी में नई उपलब्धि है. विशेषज्ञ बताते हैं कि 2026 तक ज्वाइंट रिप्लेसमेंट के मामलों में भारत में तेजी से वृद्धि आने वाली है और ऐसे में रोबोटिक घुटना रिप्लेसमेंट जैसी अत्यधिक टेक्नोलॉजी महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगी.

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Oct 27, 2023, 10:48 PM IST

आईएसआईसी में रोबोटिक नी रिप्लेसमेन्ट सुविधा शुरू.

नई दिल्ली: नई दिल्ली इंडियन स्पाइनल इंजरीज सेंटर (आईएसआईसी) ने शुक्रवार को रोबोटिक जॉइंट रिप्लेसमेंट के नए विभाग की शुरुआत की, जो आर्थोपेडिक सर्जरी के क्षेत्र में नया परिवर्तन लाएगा. इससे पहले घुटने की कई सफल रोबोटिक सर्जरी के माध्यम से बेहतर परिणाम मिले है. इससे रोबोटिक्स विधि द्वारा घुटने की समस्या से पीड़ित मरीजों को नया जीवन दिया जा सकेगा.

15 करोड़ लोग घुटने की समस्या से पीड़ित: आएसआईसी के हेड ऑफ डिपार्मेंट और हिप रिप्लेसमेंट सर्विसेज के चीफ डॉ. दीपक रैना बताते हैं कि कुछ रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 15 करोड़ से अधिक लोग घुटने की समस्या से पीड़ित हैं और 4 करोड़ मरीजों को घुटना रिप्लेसमेंट की आवश्यकता है. अनियमित जीवन शैली व कई कारणों के चलते पश्चिमी देशों की तुलना में घुटने से संबंधित कई प्रकार की समस्याएं 15 गुना अधिक बढ़ी है और भारत में सालाना केवल 2 लाख घुटने की रिप्लेसमेंट सर्जरी की जाती है.

डॉ. दीपक रैना ने बताया कि हम शारीरिक रूप से सटीक प्रत्यारोपणों का उपयोग करते हैं, जो घुटने को प्राकृतिक अनुभूति सुनिश्चित करने के साथ ही एक व्यापक देखभाल सुनिश्चित करता है. हमारी मल्टी डिस्प्लेनरी टीम इसके लिए अच्छे से कार्य करती है, जिसमें फिजियोथेरेपिस्ट व्यक्तिगत जरूरतों की जांच करते हैं और निरंतर देखभाल के बाद मरीज को पूरी तरह से ठीक करते हैं.

ये भी पढ़ें: सफदरजंग अस्पताल के बाद दिल्ली एम्स में भी स्किन बैंक शुरू, बढ़ेगी जले हुए मरीजों के इलाज की सुविधा

रोबोटिक तरीके से नहीं होती 100% सर्जरी: आईएसआईसी के डॉ विवेक महाजन, सीनियर कंसल्टेंट, ऑर्थोपेडिक्स ज्वाइंट रिप्लेसमेंट और आग्रॉस्कॉपी सर्विसेज ने बताया कि रोबोटिक पद्धति द्वारा ऑर्थोपेडिक सर्जन पूर्ण नियंत्रण बनाए रखते हैं और घुटने का रोबोटिक्स प्रक्रिया द्वारा प्रत्यारोपण करने से रोगों को एक प्राकृतिक अनुभूति प्राप्त होती है.

डॉ महाजन ने बताया कि सर्जरी कोई रोबोट नहीं करता, बल्कि रोबोटिक घुटना रिप्लेसमेंट के बारे में आम गलतफहमियों में से एक यह है कि सर्जरी 100% रोबोटिक तरीके से की जाती है. इस प्रक्रिया में रोबोटिक उपकरण द्वारा सहायता लिया जाता है रोबोट के माध्यम से सर्जन को अधिक सटीकता से काम करने में मदद मिलती है. इसके द्वारा मरीज के घुटने का इंटा-सर्जरी मैपिंग से उड़ी मॉडल बनाने में मदद मिलती है. रोबोटिक सॉफ्टवेयर तब सर्जनों को योजना बनाने की अनुमति देता है.

ये भी पढ़ें: Breast Cancer Awareness Day: ब्रेस्ट कैंसर के बचाव के लिए सर्तकता सबसे जरूरी

आईएसआईसी में रोबोटिक नी रिप्लेसमेन्ट सुविधा शुरू.

नई दिल्ली: नई दिल्ली इंडियन स्पाइनल इंजरीज सेंटर (आईएसआईसी) ने शुक्रवार को रोबोटिक जॉइंट रिप्लेसमेंट के नए विभाग की शुरुआत की, जो आर्थोपेडिक सर्जरी के क्षेत्र में नया परिवर्तन लाएगा. इससे पहले घुटने की कई सफल रोबोटिक सर्जरी के माध्यम से बेहतर परिणाम मिले है. इससे रोबोटिक्स विधि द्वारा घुटने की समस्या से पीड़ित मरीजों को नया जीवन दिया जा सकेगा.

15 करोड़ लोग घुटने की समस्या से पीड़ित: आएसआईसी के हेड ऑफ डिपार्मेंट और हिप रिप्लेसमेंट सर्विसेज के चीफ डॉ. दीपक रैना बताते हैं कि कुछ रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 15 करोड़ से अधिक लोग घुटने की समस्या से पीड़ित हैं और 4 करोड़ मरीजों को घुटना रिप्लेसमेंट की आवश्यकता है. अनियमित जीवन शैली व कई कारणों के चलते पश्चिमी देशों की तुलना में घुटने से संबंधित कई प्रकार की समस्याएं 15 गुना अधिक बढ़ी है और भारत में सालाना केवल 2 लाख घुटने की रिप्लेसमेंट सर्जरी की जाती है.

डॉ. दीपक रैना ने बताया कि हम शारीरिक रूप से सटीक प्रत्यारोपणों का उपयोग करते हैं, जो घुटने को प्राकृतिक अनुभूति सुनिश्चित करने के साथ ही एक व्यापक देखभाल सुनिश्चित करता है. हमारी मल्टी डिस्प्लेनरी टीम इसके लिए अच्छे से कार्य करती है, जिसमें फिजियोथेरेपिस्ट व्यक्तिगत जरूरतों की जांच करते हैं और निरंतर देखभाल के बाद मरीज को पूरी तरह से ठीक करते हैं.

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रोबोटिक तरीके से नहीं होती 100% सर्जरी: आईएसआईसी के डॉ विवेक महाजन, सीनियर कंसल्टेंट, ऑर्थोपेडिक्स ज्वाइंट रिप्लेसमेंट और आग्रॉस्कॉपी सर्विसेज ने बताया कि रोबोटिक पद्धति द्वारा ऑर्थोपेडिक सर्जन पूर्ण नियंत्रण बनाए रखते हैं और घुटने का रोबोटिक्स प्रक्रिया द्वारा प्रत्यारोपण करने से रोगों को एक प्राकृतिक अनुभूति प्राप्त होती है.

डॉ महाजन ने बताया कि सर्जरी कोई रोबोट नहीं करता, बल्कि रोबोटिक घुटना रिप्लेसमेंट के बारे में आम गलतफहमियों में से एक यह है कि सर्जरी 100% रोबोटिक तरीके से की जाती है. इस प्रक्रिया में रोबोटिक उपकरण द्वारा सहायता लिया जाता है रोबोट के माध्यम से सर्जन को अधिक सटीकता से काम करने में मदद मिलती है. इसके द्वारा मरीज के घुटने का इंटा-सर्जरी मैपिंग से उड़ी मॉडल बनाने में मदद मिलती है. रोबोटिक सॉफ्टवेयर तब सर्जनों को योजना बनाने की अनुमति देता है.

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