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माहवारी दिवस: गांव में 48 और शहरों में 78% महिलाएं करती हैं सेनेटरी पैड का इस्तेमाल

वंदना गुरनानी ने कहा कि महिलाओं और पुरुषों के बीच आज भी माहवारी को लेकर खुलकर बात नहीं होती. इसलिए जरूरी है कि जितना माहवारी को साधारण रूप से समझा जाएगा उतना ही इससे होने वाले इन्फेक्शन और बीमारियों से निपटा जा सकेगा.

माहवारी दिवस पर विशेष
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Published : May 28, 2019, 2:47 PM IST

Updated : May 28, 2019, 3:04 PM IST

नई दिल्ली: महिलाओं के स्वास्थ्य के प्रति अपनी अहम भूमिका निभाने के लिए सरकारें लाख दावे करती हैं. लेकिन माहवारी के दिनों में हाइजीन प्रोडक्ट को लेकर सरकारें क्या मदद कर रही हैं, इसे लेकर ईटीवी भारत के संवाददाता ने मिनिस्ट्री ऑफ हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर की ज्वाइंट सेक्रेट्री वंदना गुरनानी से खास बातचीत की.

वंदना गुरनानी ने बताया कि आज माहवारी को लेकर हम बात कर रहे हैं ये बहुत बड़ी बात है. उन्होने कहा कि महिलाओं और पुरुषों के बीच आज भी इस चीज को लेकर खुलकर बात नहीं होती. इसलिए जरूरी है कि जितना माहवारी को साधारण रूप से समझा जाएगा उतना ही इससे होने वाले इन्फेक्शन और बीमारियों से निपटा जा सकेगा.

माहवारी दिवस पर विशेष

क्या कहते हैं आंकड़े
वंदना गुरनानी ने बताया कि सरकार की तरफ से 2015-16 में किए गए रिसर्च के मुताबिक देश में देहात क्षेत्र की बात की जाए तो 48 प्रतिशत महिलाएं ही सेनेटरी पैड का उपयोग करती हैं. इसके अलावा शहर में 78 प्रतिशत महिलाएं सैनेटरी पैड का उपयोग करती हैं.

उन्होंने बताया कि गांव में जागरूकता कम होने के चलते अभी भी महिलाएं अन्य चीजों का इस्तेमाल करती हैं. जिसकी वजह से वो इन्फेक्शन समेत अन्य बीमारियों की शिकार होती हैं.

सरकार उठा रही है कदम
वंदना गुरनानी ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग लगातार महिलाओं में माहवारी के प्रति जागरुकता को लेकर कोशिश करता रहता है. इसके लिए निरंतर कार्यक्रम भी चलाए जाते हैं. गुरनानी ने बताया कि सैनिटरी पैड्स जिन जगहों पर नहीं है या फिर जो महिलाएं उन्हें खरीदने में सक्षम नहीं है. उनके लिए सरकार खुद निशुल्क सैनेट्री पैड मुहैया भी कराती है. वंदना गुरनानी ने कहा कि स्कूलों और कॉलेजों में सेनेटरी पैड दिए जाते हैं. जिससे माहवारी होने पर वो स्वच्छता से रह सकें और किसी परेशानी का सामना ना करें.

नई दिल्ली: महिलाओं के स्वास्थ्य के प्रति अपनी अहम भूमिका निभाने के लिए सरकारें लाख दावे करती हैं. लेकिन माहवारी के दिनों में हाइजीन प्रोडक्ट को लेकर सरकारें क्या मदद कर रही हैं, इसे लेकर ईटीवी भारत के संवाददाता ने मिनिस्ट्री ऑफ हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर की ज्वाइंट सेक्रेट्री वंदना गुरनानी से खास बातचीत की.

वंदना गुरनानी ने बताया कि आज माहवारी को लेकर हम बात कर रहे हैं ये बहुत बड़ी बात है. उन्होने कहा कि महिलाओं और पुरुषों के बीच आज भी इस चीज को लेकर खुलकर बात नहीं होती. इसलिए जरूरी है कि जितना माहवारी को साधारण रूप से समझा जाएगा उतना ही इससे होने वाले इन्फेक्शन और बीमारियों से निपटा जा सकेगा.

माहवारी दिवस पर विशेष

क्या कहते हैं आंकड़े
वंदना गुरनानी ने बताया कि सरकार की तरफ से 2015-16 में किए गए रिसर्च के मुताबिक देश में देहात क्षेत्र की बात की जाए तो 48 प्रतिशत महिलाएं ही सेनेटरी पैड का उपयोग करती हैं. इसके अलावा शहर में 78 प्रतिशत महिलाएं सैनेटरी पैड का उपयोग करती हैं.

उन्होंने बताया कि गांव में जागरूकता कम होने के चलते अभी भी महिलाएं अन्य चीजों का इस्तेमाल करती हैं. जिसकी वजह से वो इन्फेक्शन समेत अन्य बीमारियों की शिकार होती हैं.

सरकार उठा रही है कदम
वंदना गुरनानी ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग लगातार महिलाओं में माहवारी के प्रति जागरुकता को लेकर कोशिश करता रहता है. इसके लिए निरंतर कार्यक्रम भी चलाए जाते हैं. गुरनानी ने बताया कि सैनिटरी पैड्स जिन जगहों पर नहीं है या फिर जो महिलाएं उन्हें खरीदने में सक्षम नहीं है. उनके लिए सरकार खुद निशुल्क सैनेट्री पैड मुहैया भी कराती है. वंदना गुरनानी ने कहा कि स्कूलों और कॉलेजों में सेनेटरी पैड दिए जाते हैं. जिससे माहवारी होने पर वो स्वच्छता से रह सकें और किसी परेशानी का सामना ना करें.

Intro:गांव में 48 और शहरों में 78 प्रतिशत महिलाएं करती हैं महावारी में सेनेटरी पैड का उपयोग

नई दिल्ली: महिलाओं के स्वास्थ्य के प्रति अपनी अहम भूमिका निभाने के लिए सरकारें भले ही यह दावे करती हो की स्थिति बेहतर हो रही है.लेकिन महावारी दिवस के मौके पर सेनेटरी पैड के उपयोग की बात की जाए तो यह जानकर आपके होश उड़ जाएंगे कि भारत आज भले ही विकास की ओर अग्रसर हो रहा हो.लेकिन महिलाओं के साथ होने वाली महावारी में हाइजीन प्रोडक्ट को लेकर कितनी सरकारें मदद कर रही हैं. यह खुद सरकार के आंकड़े बयां करते हैं.इस बाबत ईटीवी भारत ने मिनिस्ट्री ऑफ हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर की ज्वाइंट सेक्रेट्री वंदना गुरनानी से विशेष बातचीत की.


Body:वंदना गुरनानी ने बताया कि पहले की भांति आज माहवारी को लेकर हम लोग बातचीत कर रहे हैं यह बेहद ही बड़ी बात है. उन्होंने बताया कि जहां पहले इस बात को लेकर घर की सदस्य खुद आपस में बात नहीं करते थे. ऐसे में अब हम लोग खुलकर महावारी पर बातचीत करते हैं. उन्होंने बताया कि लेकिन जरूरी है कि अभी भी बेहद जागरूकता होनी चाहिए. महिलाओं और पुरुषों के बीच आज भी इस चीज को लेकर खुलकर बात नहीं होती है.इसलिए जरूरी है कि जितना महावारी को साधारण रूप से समझा जाएगा उतना ही महावारी से होने वाले इन्फेक्शन और बीमारियों से निपटा जा सकेगा.

क्या कहते हैं आंकड़े
वंदना गुरनानी ने बताया कि सरकार की ओर से 2015- 16 में किए गए रिसर्च के मुताबिक अपने देश में देहात क्षेत्र की बात की जाए तो 48 प्रतिशत महिलाएं ही सेनेटरी पैड का उपयोग करती हैं. इसके अलावा 78 प्रतिशत महिलाएं शहर की है जो पैड का उपयोग करती हैं. उन्होंने बताया कि देहात क्षेत्र में जागरूकता कम होने के चलते अभी भी महिलाएं अन्य चीजों का इस्तेमाल करती हैं.जिसकी वजह से वह इन्फेक्शन सहित अन्य बीमारियों की शिकार होती हैं.उन्होंने बताया कि जरूरी है कि इसको लेकर और जागरूकता होनी चाहिए.

सरकार उठा रही है कदम
उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य विभाग लगातार महिलाओं में माहवारी के प्रति जागरुकता को लेकर प्रयास करती रहती है.इसके लिए निरंतर कार्यक्रम भी किया जाते हैं. उन्होंने बताया कि सैनिटरी पैड्स जिन जगहों पर नहीं है या फिर जो महिलाएं उन्हें खरीदने में सक्षम नहीं है.उसके लिए सरकार खुद निशुल्क सैनेट्री पैड मुहैया भी कराती है. उन्होंने बताया कि स्कूलों और कॉलेजों में सेनेटरी पैड दिए जाते हैं.जिससे कि महावारी होने पर वह स्वच्छता से रह सकें और वह किसी परेशानी का सामना ना करें. उन्होंने बताया कि इसको लेकर लगाता है सरकार भी प्रयास कर रही है जिससे कि आगामी दिनों में माहवारी को लेकर जो भ्रम है वह दूर हो जाएगा.


Conclusion:फिलहाल मौजूदा आंकड़े यह बयां करते हैं कि आज की स्थिति में भी देहात और शहरी क्षेत्रों में काफी अंतर है.ऐसे में जरूरी है कि सरकार को जागरूकता कर इस समस्या से निपटना चाहिए.
Last Updated : May 28, 2019, 3:04 PM IST
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