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प्रगति मैदान में लगेगा मेगा विंड एनर्जी ट्रेड फेयर, 150 से अधिक कंपनियां करेंगी प्रतिभाग

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Published : Apr 24, 2022, 8:36 AM IST

जीरो कार्बन उत्सर्जन लक्ष्य को प्राप्त करने एवं पवन ऊर्जा जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से प्रगति मैदान में 27 अप्रैल से लेकर 29 अप्रैल तक एक मेगा विंड एनर्जी ट्रेड फेयर का आयोजन किया जाएगा. इस ट्रेड फेयर में 150 से अधिक कंपनियां अपने उत्पाद, समाधान और प्रौद्योगिकी कौशल का प्रदर्शन करेंगी, जिसका लाभ ट्रेड फेयर में उपस्थित सभी लोग उठा सकते हैं.

Mega Wind Energy Trade Fair
Mega Wind Energy Trade Fair

नई दिल्ली: जीरो कार्बन उत्सर्जन लक्ष्य को प्राप्त करने एवं पवन ऊर्जा जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से प्रगति मैदान में 27 अप्रैल से लेकर 29 अप्रैल तक एक मेगा विंड एनर्जी ट्रेड फेयर का आयोजन किया जा रहा है. आयोजित होने जा रहे विंडरजी इंडिया 2022 एक मेगा विंड एनर्जी ट्रेड फेयर और सम्मेलन है, जिसे स्वच्छ ऊर्जा के लिए तीव्र माइग्रेशन और पवन ऊर्जा इको सिस्टम को बढ़ाने के राष्ट्रीय संकल्प पर विचार-विमर्श करने हेतु संगठित किया जा रहा है. इसका उद्देश्य स्वच्छ ऊर्जा के लिए तीव्र माइग्रेशन की राष्ट्रीय प्रतिबद्धता (कमिटमेंट) को पूरा करने पर सभी का ध्यान केंद्रित करना है, जिसमें पवन ऊर्जा का मुद्दा प्रमुख है. विंडरजी इंडिया 2022, पवन ऊर्जा क्षेत्र के एकमात्र व्यापक व्यापार कार्यक्रम का आयोजन इंडियन विंड टर्बाइन मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (आईडब्ल्यूटीएमए) और पीडीए ट्रेड फेयर प्राइवेट लिमिटेड द्वारा किया जा रहा है.

150 से अधिक कंपनियां करेंगी अपनी तकनीक का प्रदर्शन : भारत सरकार के विद्युत, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के माननीय कैबिनेट मंत्री आरके सिंह, रसायन और उर्वरक मंत्रालय और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय में राज्य मंत्री भगवंत खुबा और डेनमार्क के राजदूत फ्रेडी स्वेन, अन्य कई हस्तियों और उद्योग जगत के दिग्गजों संग इस उच्च स्तरीय सम्मेलन में हिस्सा लेगें. इस ट्रेड फेयर में 150 से अधिक कंपनियां अपने उत्पाद, समाधान और प्रौद्योगिकी कौशल का प्रदर्शन करेंगी, जिसका लाभ ट्रेड फेयर में उपस्थित सभी लोग उठा सकते हैं. यह इवेंट तीन दिवसीय प्रदर्शनी और दो दिनों के गहन विचार-विमर्श के आलावा इसमें भाग लेने वाले लोगों के लिए बेहतर नेटवर्किंग और व्यवसाय का अवसर भी है.

प्रगति मैदान में लगेगा मेगा विंड एनर्जी ट्रेड फेयर

2070 तक जीरो कार्बन उत्सर्जन का है लक्ष्य : सजलोन ग्रुप के चेयरमैन एवं इंडियन विंड टरबाइन मैन्युफैक्चर एसोसिएशन के अध्यक्ष तुलसी तांती ने बताया कि जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को कम करने और 2070 तक नेट जीरो एमिशन के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सीओपी-26 (नवंबर 2021) में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए पांच प्रमुख लक्ष्यों का आगाज़ किया था. जिसमें देश की गैर-जीवाश्म ऊर्जा क्षमता को 2030 तक 500 गीगावाट तक बढ़ाना, 2030 तक देश की ऊर्जा आवश्यकताओं का 50 प्रतिशत नवीकरणीय ऊर्जा से प्राप्त करना, अब से लेकर 2030 तक कुल अनुमानित कार्बन उत्सर्जन में एक अरब टन की कमी लाना, 2030 तक भारत अपनी अर्थव्यवस्था की कार्बन इंटेंसिटी को 45 प्रतिशत से अधिक कम करना शामिल है. इन सभी प्रयासों से 2070 तक, भारत नेट जीरो एमिशन के लक्ष्य को प्राप्त करेगा.

भारत ने 2022 तक रिन्यूएबल एनर्जी कपैसिटी का 175 गीगावाट तक का लक्ष्य निर्धारित किया : तुलसी तांती ने बताया कि पवन ऊर्जा उपरोक्त इन सभी उद्देश्यों को पूरा करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी, जो क्षमता वृद्धि, विनिर्माण कैपेसिटी और अन्य क्षेत्रों में पहले ही प्रभावशाली प्रगति कर चुकी है. वर्तमान समय में, हमारे देश में कुल स्थापित बिजली क्षमता का 27 प्रतिशत नवीकरणीय ऊर्जा से आता है, जिसमें से 37.73 प्रतिशत पवन ऊर्जा (40.13 गीगावाट) द्वारा प्राप्त की जाती है. भारत ने 2022 तक रिन्यूएबल एनर्जी कपैसिटी का 175 गीगावाट तक का लक्ष्य निर्धारित किया है. इसमें सौर ऊर्जा 100 गीगावाट, पवन से 60 गीगावाट, बाकी बची हुई ऊर्जा जैव-शक्ति और हाइड्रोपावर से प्राप्त होगा.

भारतीय पवन ऊर्जा क्षेत्र ने भी 80 प्रतिशत स्वदेशीकरण हासिल किया है : भारतीय पवन ऊर्जा उद्योग 10 हजार मेगावाट पवन टरबाइन की प्रभावशाली वार्षिक निर्माण क्षमता रखता है, जिसे आने वाले समय में सही नीति और वित्तीय सहायता के साथ 15 हजार मेगावाट तक बढ़ाया जा सकता है. भारतीय पवन ऊर्जा क्षेत्र ने भी 80 प्रतिशत स्वदेशीकरण हासिल किया है, जो 'मेक इन इंडिया' पहल के अनुरूप है. इसका ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर विशेष लाभकारी प्रभाव पड़ता है क्योंकि सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि में इसके योगदान के अलावा, पवन ऊर्जा को भी प्राथमिकता दी जाती है.इसके अलावा पवन ऊर्जा से ग्रामीण क्षेत्रों में 2 मिलियन से अधिक रोजगार प्राप्त हुए हैं.

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नई दिल्ली: जीरो कार्बन उत्सर्जन लक्ष्य को प्राप्त करने एवं पवन ऊर्जा जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से प्रगति मैदान में 27 अप्रैल से लेकर 29 अप्रैल तक एक मेगा विंड एनर्जी ट्रेड फेयर का आयोजन किया जा रहा है. आयोजित होने जा रहे विंडरजी इंडिया 2022 एक मेगा विंड एनर्जी ट्रेड फेयर और सम्मेलन है, जिसे स्वच्छ ऊर्जा के लिए तीव्र माइग्रेशन और पवन ऊर्जा इको सिस्टम को बढ़ाने के राष्ट्रीय संकल्प पर विचार-विमर्श करने हेतु संगठित किया जा रहा है. इसका उद्देश्य स्वच्छ ऊर्जा के लिए तीव्र माइग्रेशन की राष्ट्रीय प्रतिबद्धता (कमिटमेंट) को पूरा करने पर सभी का ध्यान केंद्रित करना है, जिसमें पवन ऊर्जा का मुद्दा प्रमुख है. विंडरजी इंडिया 2022, पवन ऊर्जा क्षेत्र के एकमात्र व्यापक व्यापार कार्यक्रम का आयोजन इंडियन विंड टर्बाइन मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (आईडब्ल्यूटीएमए) और पीडीए ट्रेड फेयर प्राइवेट लिमिटेड द्वारा किया जा रहा है.

150 से अधिक कंपनियां करेंगी अपनी तकनीक का प्रदर्शन : भारत सरकार के विद्युत, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के माननीय कैबिनेट मंत्री आरके सिंह, रसायन और उर्वरक मंत्रालय और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय में राज्य मंत्री भगवंत खुबा और डेनमार्क के राजदूत फ्रेडी स्वेन, अन्य कई हस्तियों और उद्योग जगत के दिग्गजों संग इस उच्च स्तरीय सम्मेलन में हिस्सा लेगें. इस ट्रेड फेयर में 150 से अधिक कंपनियां अपने उत्पाद, समाधान और प्रौद्योगिकी कौशल का प्रदर्शन करेंगी, जिसका लाभ ट्रेड फेयर में उपस्थित सभी लोग उठा सकते हैं. यह इवेंट तीन दिवसीय प्रदर्शनी और दो दिनों के गहन विचार-विमर्श के आलावा इसमें भाग लेने वाले लोगों के लिए बेहतर नेटवर्किंग और व्यवसाय का अवसर भी है.

प्रगति मैदान में लगेगा मेगा विंड एनर्जी ट्रेड फेयर

2070 तक जीरो कार्बन उत्सर्जन का है लक्ष्य : सजलोन ग्रुप के चेयरमैन एवं इंडियन विंड टरबाइन मैन्युफैक्चर एसोसिएशन के अध्यक्ष तुलसी तांती ने बताया कि जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को कम करने और 2070 तक नेट जीरो एमिशन के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सीओपी-26 (नवंबर 2021) में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए पांच प्रमुख लक्ष्यों का आगाज़ किया था. जिसमें देश की गैर-जीवाश्म ऊर्जा क्षमता को 2030 तक 500 गीगावाट तक बढ़ाना, 2030 तक देश की ऊर्जा आवश्यकताओं का 50 प्रतिशत नवीकरणीय ऊर्जा से प्राप्त करना, अब से लेकर 2030 तक कुल अनुमानित कार्बन उत्सर्जन में एक अरब टन की कमी लाना, 2030 तक भारत अपनी अर्थव्यवस्था की कार्बन इंटेंसिटी को 45 प्रतिशत से अधिक कम करना शामिल है. इन सभी प्रयासों से 2070 तक, भारत नेट जीरो एमिशन के लक्ष्य को प्राप्त करेगा.

भारत ने 2022 तक रिन्यूएबल एनर्जी कपैसिटी का 175 गीगावाट तक का लक्ष्य निर्धारित किया : तुलसी तांती ने बताया कि पवन ऊर्जा उपरोक्त इन सभी उद्देश्यों को पूरा करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी, जो क्षमता वृद्धि, विनिर्माण कैपेसिटी और अन्य क्षेत्रों में पहले ही प्रभावशाली प्रगति कर चुकी है. वर्तमान समय में, हमारे देश में कुल स्थापित बिजली क्षमता का 27 प्रतिशत नवीकरणीय ऊर्जा से आता है, जिसमें से 37.73 प्रतिशत पवन ऊर्जा (40.13 गीगावाट) द्वारा प्राप्त की जाती है. भारत ने 2022 तक रिन्यूएबल एनर्जी कपैसिटी का 175 गीगावाट तक का लक्ष्य निर्धारित किया है. इसमें सौर ऊर्जा 100 गीगावाट, पवन से 60 गीगावाट, बाकी बची हुई ऊर्जा जैव-शक्ति और हाइड्रोपावर से प्राप्त होगा.

भारतीय पवन ऊर्जा क्षेत्र ने भी 80 प्रतिशत स्वदेशीकरण हासिल किया है : भारतीय पवन ऊर्जा उद्योग 10 हजार मेगावाट पवन टरबाइन की प्रभावशाली वार्षिक निर्माण क्षमता रखता है, जिसे आने वाले समय में सही नीति और वित्तीय सहायता के साथ 15 हजार मेगावाट तक बढ़ाया जा सकता है. भारतीय पवन ऊर्जा क्षेत्र ने भी 80 प्रतिशत स्वदेशीकरण हासिल किया है, जो 'मेक इन इंडिया' पहल के अनुरूप है. इसका ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर विशेष लाभकारी प्रभाव पड़ता है क्योंकि सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि में इसके योगदान के अलावा, पवन ऊर्जा को भी प्राथमिकता दी जाती है.इसके अलावा पवन ऊर्जा से ग्रामीण क्षेत्रों में 2 मिलियन से अधिक रोजगार प्राप्त हुए हैं.

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