नई दिल्ली : राजधानी दिल्ली के चर्चित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (Jawaharlal Nehru University) (जेएनयू) में पहली बार (first time in JNU) गीता जयंती कार्यक्रम का आयोजन हुआ और धूमधाम से जयंती मनाई गई. इस कार्यक्रम का आयोजन यूनिवर्सिटी के कन्वेंशन सेंटर में इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस (इस्कॉन) के सहयोग से किया गया. पूरे दिन सुबह 10 बजे से शाम 7 बजे तक चले इस कार्यक्रम में शहर भर से 500 से अधिक प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया.
छात्रों ने किय कीर्तन पर नृत्य : पहली बार छात्रों ने उत्साह से भाग लिया और इस्कॉन भक्तों के गाए गए फ्यूजन कीर्तन की धुन पर नृत्य किया. कार्यक्रम के दौरान अमोग लीला प्रभुजी की ओर से प्रेरक भाषण ने भगवद गीता के वक्तृत्व और उपदेशों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया. कार्यक्रम के सफल आयोजन में जेएनयू की वीसी प्रो. शांति श्री डी. पंडित की मुख्य भूमिका रही.
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कर्म के उपदेशों पर रखे विचार : कार्यक्रम के पहले दिन भारतीय शिक्षण मंडल के राष्ट्रीय संयुक्त सचिव शंकरानंदजी ने श्रीमद्भगवद् गीता में कर्म के उपदेशों पर विचार रखे. उद्घाटन सत्र के अन्य वक्ताओं में इस्कॉन दिल्ली के उपाध्यक्ष ऋषि कुमार प्रभुजी और विश्व हिंदू परिषद दिल्ली प्रांत के अध्यक्ष कपिल खन्ना मौजूद थे. समारोह की अध्यक्षता जेएनयू के रेक्टर प्रो. सतीश गरकोटी ने की.
अन्य विश्वविद्यालयों के वक्ताओं ने भी रखी अपनी बात :वक्ताओं के विभिन्न पैनल पर गीता के विभिन्न आयामों की चर्चा हुई, इसके बाद आधुनिक जीवन, विज्ञान और राजनीति में गीता के पाठ के महत्व को बताया गया. दिन भर चल विचार- विमर्श में जेएनयू संकायों की बड़ी भागीदारी देखने को मिली. साथ ही दिल्ली विश्वविद्यालय, लाल बहादुर शास्त्री संस्कृत विश्वविद्यालय से आए वक्ताओं ने भी अपनी बात रखी.
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