ETV Bharat / state

कोरोना काल में ठप हुई AIIMS की कॉर्निया प्रत्यारोपण, 3 महीने से नहीं हुआ डोनेशन

author img

By

Published : Aug 26, 2020, 9:44 AM IST

दिल्ली के एम्स के राष्ट्रीय नेत्र बैंक (NEB) से पिछले तीन महीने में एक भी कॉर्निया प्रत्यारोपण नहीं हो सका है. एम्स का कहना है कि हमने जो टारगेट तय किया था, कोरोना की वजह से वह इस साल असंभव होता दिख रहा है.

AIIMS stopped cornea transplant during lockdown
लॉकडाउन में AIIMS की कॉर्निया प्रत्यारोपण हुई ठप

नई दिल्ली: कोरोना संक्रमण की वजह से एम्स के नेत्रदान और कॉर्निया प्रत्यारोपण कार्यक्रम लगभग तीन महीने के लिए पूरी तरह से ठप हो गया. एम्स के राष्ट्रीय नेत्र बैंक (NEB) के प्रमुख और वरिष्ठ प्रो. डॉ. जीवन एस टिटियाल ने कहा कि कोरोना की वजह से पिछले तीन महीने में एक भी कॉर्निया प्रत्यारोपण नहीं हो सका है. उन्होंने कहा कि हमने पिछले तीन महीने में 400 ट्रांसप्लांट कम किए. पिछले साल इस दौरान हमने 400 कॉर्निया और ऊतक प्रत्यारोपण किये थे.

लॉकडाउन में AIIMS की कॉर्निया प्रत्यारोपण हुई ठप

एम्स में मंगलवार को 35वें आई डोनेशन फॉर्टनाइट का आयोजन किया गया. इस मौके पर एम्स के आरपी सेंटर के प्रमुख डॉक्टर जेएस टिटियाल ने कहा कि साल दर साल एम्स में न केवल कॉर्निया डोनेशन में इजाफा हो रहा है, बल्कि कॉर्निया ट्रांसप्लांट की संख्या में भी बढ़ोतरी हो रही है. हमारी कोशिश है कि हम ज्यादा से ज्यादा लोगों के आंखों की रोशनी दें सकें. इस कार्यक्रम में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए इसमें हिस्सा लिया. उन्होंने कहा कि नेत्रदान बेहद जरूरी है. एक व्यक्ति नेत्रदान के जरिए चार लोगों की आंखों की रौशनी लौटा सकता है.

तीन साल पीछे चले गए

डॉक्टर जीवन एस टिटियाल ने कहा कि हमने साल 2022 तक तीन हजार प्रत्यारोपण का लक्ष्य रखा था. अब लगता है कि इसे पूरा होने में लगभग पांच साल का समय लगेगा. कोरोना ने हमें तीन साल पीछे कर दिया है. डॉक्टर टिटियाल ने बताया कि अगस्त से कॉर्निया प्रत्यारोपण फिर से शुरू हो गया है. हालांकि, कोरोना की वजह से बेहद कम सर्जरी हो रही हैं. हमने अगस्त में अभी तक सिर्फ 6 सर्जरी की हैं. जबकि पहले हर महीने 120 कॉर्निया प्रत्यारोपण करते थे.

35th eye donation Fortnight organized
35वें आई डोनेशन फॉर्टनाइट का हुआ आयोजन

सात राज्यों के आई बैंक हैं सक्रिय

एसोसिएशन ऑफ इंडिया की सचिव डॉ. नम्रता शर्मा ने बताया कि देशभर में पंजीकृत आई बैंक में डेढ़ दर्जन ही सक्रिय भूमिका में हैं. दिलचस्प बात यह है कि आंख के कॉर्निया का 80 फीसदी संकलन इन्हीं आई बैंक से हुआ है. अधिकांश योगदान सात राज्यों से है. एम्स के नेशनल आई बैंक (एनईबी) में पिछले 53 सालों में 29 हजार कॉर्निया संग्रहित किए जा चुके हैं. इनमें 20 हजार प्रत्यारोपित किए गए.

मार्च से जुलाई के बीच जीरो डोनेशन

इस साल कॉर्निया डोनेशन बहुत खराब दौर से गुजर रहा है. एम्स की रिपोर्ट के अनुसार, लॉकडाउन की वजह से असर पड़ा है. मार्च से जुलाई के बीच जीरो डोनेशन हुआ है. सैकड़ों लोगों को इसकी जरूरत है, लेकिन डोनेशन के अभाव में यह संभव नहीं हो पा रहा है. एम्स ने अपने यहां साल 2019 में हॉस्पिटल कॉर्निया रीट्रिवल प्रोग्राम शुरू किया था. इसका मकसद ज्यादा क्वॉलिटी वाला कॉर्निया जुटाना था. एम्स का कहना है कि हमने जो टारगेट तय किया था, कोरोना की वजह से वह इस साल असंभव होता दिख रहा है. हमारा लक्ष्य था कि इस साल कम से कम 3000 कॉर्निया डोनेशन हों, 2000 सर्जरी हों और कॉर्निया ट्रांसपोर्टेशन के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया जाए.

नई दिल्ली: कोरोना संक्रमण की वजह से एम्स के नेत्रदान और कॉर्निया प्रत्यारोपण कार्यक्रम लगभग तीन महीने के लिए पूरी तरह से ठप हो गया. एम्स के राष्ट्रीय नेत्र बैंक (NEB) के प्रमुख और वरिष्ठ प्रो. डॉ. जीवन एस टिटियाल ने कहा कि कोरोना की वजह से पिछले तीन महीने में एक भी कॉर्निया प्रत्यारोपण नहीं हो सका है. उन्होंने कहा कि हमने पिछले तीन महीने में 400 ट्रांसप्लांट कम किए. पिछले साल इस दौरान हमने 400 कॉर्निया और ऊतक प्रत्यारोपण किये थे.

लॉकडाउन में AIIMS की कॉर्निया प्रत्यारोपण हुई ठप

एम्स में मंगलवार को 35वें आई डोनेशन फॉर्टनाइट का आयोजन किया गया. इस मौके पर एम्स के आरपी सेंटर के प्रमुख डॉक्टर जेएस टिटियाल ने कहा कि साल दर साल एम्स में न केवल कॉर्निया डोनेशन में इजाफा हो रहा है, बल्कि कॉर्निया ट्रांसप्लांट की संख्या में भी बढ़ोतरी हो रही है. हमारी कोशिश है कि हम ज्यादा से ज्यादा लोगों के आंखों की रोशनी दें सकें. इस कार्यक्रम में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए इसमें हिस्सा लिया. उन्होंने कहा कि नेत्रदान बेहद जरूरी है. एक व्यक्ति नेत्रदान के जरिए चार लोगों की आंखों की रौशनी लौटा सकता है.

तीन साल पीछे चले गए

डॉक्टर जीवन एस टिटियाल ने कहा कि हमने साल 2022 तक तीन हजार प्रत्यारोपण का लक्ष्य रखा था. अब लगता है कि इसे पूरा होने में लगभग पांच साल का समय लगेगा. कोरोना ने हमें तीन साल पीछे कर दिया है. डॉक्टर टिटियाल ने बताया कि अगस्त से कॉर्निया प्रत्यारोपण फिर से शुरू हो गया है. हालांकि, कोरोना की वजह से बेहद कम सर्जरी हो रही हैं. हमने अगस्त में अभी तक सिर्फ 6 सर्जरी की हैं. जबकि पहले हर महीने 120 कॉर्निया प्रत्यारोपण करते थे.

35th eye donation Fortnight organized
35वें आई डोनेशन फॉर्टनाइट का हुआ आयोजन

सात राज्यों के आई बैंक हैं सक्रिय

एसोसिएशन ऑफ इंडिया की सचिव डॉ. नम्रता शर्मा ने बताया कि देशभर में पंजीकृत आई बैंक में डेढ़ दर्जन ही सक्रिय भूमिका में हैं. दिलचस्प बात यह है कि आंख के कॉर्निया का 80 फीसदी संकलन इन्हीं आई बैंक से हुआ है. अधिकांश योगदान सात राज्यों से है. एम्स के नेशनल आई बैंक (एनईबी) में पिछले 53 सालों में 29 हजार कॉर्निया संग्रहित किए जा चुके हैं. इनमें 20 हजार प्रत्यारोपित किए गए.

मार्च से जुलाई के बीच जीरो डोनेशन

इस साल कॉर्निया डोनेशन बहुत खराब दौर से गुजर रहा है. एम्स की रिपोर्ट के अनुसार, लॉकडाउन की वजह से असर पड़ा है. मार्च से जुलाई के बीच जीरो डोनेशन हुआ है. सैकड़ों लोगों को इसकी जरूरत है, लेकिन डोनेशन के अभाव में यह संभव नहीं हो पा रहा है. एम्स ने अपने यहां साल 2019 में हॉस्पिटल कॉर्निया रीट्रिवल प्रोग्राम शुरू किया था. इसका मकसद ज्यादा क्वॉलिटी वाला कॉर्निया जुटाना था. एम्स का कहना है कि हमने जो टारगेट तय किया था, कोरोना की वजह से वह इस साल असंभव होता दिख रहा है. हमारा लक्ष्य था कि इस साल कम से कम 3000 कॉर्निया डोनेशन हों, 2000 सर्जरी हों और कॉर्निया ट्रांसपोर्टेशन के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया जाए.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.