नई दिल्ली: प्रदूषण के मुद्दे पर दिल्ली में राजनीति गरमाई हुई है. एक तरफ जहां प्रदेश स्तर पर राजनीतिक दल समस्या पर एक दूसरे को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं, तो वहीं निगम भी इससे अछूते नहीं हैं. बुधवार को साउथ एमसीडी के सदन में प्रदूषण पर चर्चा के नाम पर 'आप' और भाजपा पार्षद आपस में लड़ बैठे. आधे घंटे की चर्चा प्रदूषण के समाधान के लिए रखी गई थी. लेकिन इसका कोई निष्कर्ष नहीं निकला.
सदन में हंगामा
दरअसल साउथ एमसीडी की बैठक में नेता सदन कमलजीत सहरावत ने प्रदूषण की गंभीर समस्या को देखते हुए आधे घंटे की बहस की सूचना दी थी. सूचना से पहले प्रदूषण से निपटने के लिए निगम की कार्यवाही की रिपोर्ट भी सदन में पेश की गई, जिसमें समस्या से निपटने के लिए उठाए गए तमाम कदमों के विषय में बताया गया. इसके बाद जैसे ही नेता सदन ने बोलना शुरू किया सदन में हंगामा हो गया.
सहरावत सदन में प्रदूषण के लिए आम आदमी पार्टी को जिम्मेदार ठहरा रही थीं. उनका कहना था कि दिल्ली सरकार ने प्रदूषण की समस्या के लिए कुछ नहीं किया और रोजाना हजारों करोड़ के ऐड देकर जनता को गुमराह कर रहे हैं. सहरावत ने इसके लिए सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहे उस मैसेज को भी पढ़ा, जिसमें प्रदूषण को बच्चों के लिए एक नया त्योहार करार दे दिया गया है, जिसमें उन्हें कई छुट्टियां मिलती हैं.
'केंद्र सरकार प्रदूषण के लिए कुछ नहीं कर रही'
नेता सदन का इतना सब कहना आम आदमी पार्टी पार्षदों को मंजूर न था. सबसे पहले नेता विपक्ष किशनवती ने इस बात का कड़ा विरोध जताया कि प्रदूषण की समस्या के लिए आम आदमी पार्टी सरकार को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है. उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि दिल्ली के सांसद प्रदूषण की समस्या से लड़ने की बजाय जलेबी खाते हुए नहीं घूम रहे हैं. इसके साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र में बैठी बीजेपी सरकार प्रदूषण के लिए कुछ नहीं कर रही है. जबकि यह साफ हो चुका है कि प्रदूषण का मुख्य कारण पराली ही है.
कांग्रेस का बीजेपी और 'आप' घेरा
उधर कांग्रेस दल के नेता अभिषेक दत्त ने भी प्रदूषण के मुद्दे पर बीजेपी और आम आदमी पार्टी को घेरा. दत्त ने कहा कि साउथ एमसीडी प्रदूषण से निपटने के लिए तमाम इंतजाम कर रही है. लेकिन ये शर्म की बात है कि जो सफाई कर्मचारी इस समस्या के समाधान में दिन रात लगे हुए हैं, उन्हें आज तक मास्क तक नहीं दिए गए हैं. उन्होंने केजरीवाल सरकार पर भी घटिया राजनीति का आरोप लगाया. इसी तरह सदन में प्रदूषण के मुद्दे पर चर्चा, नेताओं के आरोप-प्रत्यारोप और शोरगुल में दबकर रह गई.