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देखिए, कैसे होती है सड़क की जांच, सैम्पल लेने का नया तरीका

जब भी कोई सड़क बनती है तो सम्बंधित एजेंसी निर्माण का फाइनल बिल पेमेंट करने से पहले उसकी जांच करती है. इसके लिए सड़क के तीन चार हिस्सों से उसका सैम्पल लिया जाता है. सैम्पल लेने के लिए अब नए तरीके को आजमाया जाता है. जानिए सड़क की गुणवत्ता जांचने से जुड़ी ये खास रिपोर्ट.

road inspection method Delhi
सड़क की जांच
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Published : Jun 13, 2020, 12:42 PM IST

नई दिल्ली: देश में सड़कों की गुणवत्ता को लेकर अक्सर सवाल होते रहते हैं. इसके लिए निर्माण के बाद सड़क की जांच होती है ये तो सभी जानते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये जांच कैसे होती? देखिए, सड़क की गुणवत्ता जांचने से जुड़ी ये खास रिपोर्ट.

देखिए कैसे होती है सड़क की जांच



मशीन से लिया जाता है सैम्पल

जब भी कोई सड़क बनती है तो सम्बंधित एजेंसी निर्माण का फाइनल बिल पेमेंट करने से पहले उसकी जांच करती है. इसके लिए सड़क के तीन चार हिस्सों से उसका सैम्पल लिया जाता है. सैम्पल लेने के लिए अब नए तरीके को आजमाया जाता है. इसके लिए बिजली से चलने वाली एक मशीन से सड़क पर ड्रिल किया जाता है और उस हिस्से से निकले कोलतार वाले कंक्रीट के मिश्रण को बतौर सैम्पल रख लिया जाता है.


कंक्रीट मिश्रण की मोटाई से लगाया जता है पता

ड्रिल से निकले इस कंक्रीट और कोलतार के मिश्रण वाले सैम्पल की सबसे पहले मोटाई नापी जाती है. जिससे ये पता लगाया जाता है कि निर्माण निर्देशों के मुताबिक हुआ है या नहीं और निर्माण में कितना कंक्रीट और कोलतार डाला गया है.

इसके लिए कई स्थानों के सैम्पलों की इसी तरह से जांच होती है. अगर कंक्रीट के मिश्रण की मोटाई तय से कम पाई जाती है, तो सैम्पल फेल हो जाता है. सड़क के जिस हिस्से से ये सैम्पल लिया जाता है. वहां बाद में दूसरा मिश्रण डाल दिया जाता है. ताकि सड़क खराब ना हो.

नई दिल्ली: देश में सड़कों की गुणवत्ता को लेकर अक्सर सवाल होते रहते हैं. इसके लिए निर्माण के बाद सड़क की जांच होती है ये तो सभी जानते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये जांच कैसे होती? देखिए, सड़क की गुणवत्ता जांचने से जुड़ी ये खास रिपोर्ट.

देखिए कैसे होती है सड़क की जांच



मशीन से लिया जाता है सैम्पल

जब भी कोई सड़क बनती है तो सम्बंधित एजेंसी निर्माण का फाइनल बिल पेमेंट करने से पहले उसकी जांच करती है. इसके लिए सड़क के तीन चार हिस्सों से उसका सैम्पल लिया जाता है. सैम्पल लेने के लिए अब नए तरीके को आजमाया जाता है. इसके लिए बिजली से चलने वाली एक मशीन से सड़क पर ड्रिल किया जाता है और उस हिस्से से निकले कोलतार वाले कंक्रीट के मिश्रण को बतौर सैम्पल रख लिया जाता है.


कंक्रीट मिश्रण की मोटाई से लगाया जता है पता

ड्रिल से निकले इस कंक्रीट और कोलतार के मिश्रण वाले सैम्पल की सबसे पहले मोटाई नापी जाती है. जिससे ये पता लगाया जाता है कि निर्माण निर्देशों के मुताबिक हुआ है या नहीं और निर्माण में कितना कंक्रीट और कोलतार डाला गया है.

इसके लिए कई स्थानों के सैम्पलों की इसी तरह से जांच होती है. अगर कंक्रीट के मिश्रण की मोटाई तय से कम पाई जाती है, तो सैम्पल फेल हो जाता है. सड़क के जिस हिस्से से ये सैम्पल लिया जाता है. वहां बाद में दूसरा मिश्रण डाल दिया जाता है. ताकि सड़क खराब ना हो.

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