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गालिब की याद में हुआ मुशायरे का आयोजन

दिल्ली के इंडिया इस्लामिक कल्चरल सेंटर में मिर्जा गालिब की 150वी. जंयती मनाई गई. जहां दर्जनों शायर ने शायरी पेश की.

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Published : Dec 28, 2019, 10:43 PM IST

Mushaira organized
मुशायरे का आयोजन

नई दिल्ली: इंडिया इस्लामिक कल्चरल सेंटर में मिर्जा गालिब के 150वें जन्मदिवस के मौके पर मुशायरा का आयोजन किया गया. जहां साहित्य कला परिषद, दिल्ली उर्दू अकादमी, गालिब मेमोरियल मूवमेंट के बैनर तले इस शानदार मुशायरे में शायरों ने खूबसूरत शायरी पेश की. मुशायरे की अध्यक्षता मशहूर शायर उदय प्रताप सिंह और संचालन मोईन शादाब ने की.

गालिब की जंयती पर हुआ मुशायरे का आयोजन

पेश की गई शायरी
उदय प्रताप सिंह ने अपनी मशहूर दो नज्में पेश की और इस शेर पर 'ना मेरा है, ना तेरा है, यह हिंदुस्तान सबका है','नहीं समझी गई नहीं समझी गई बात यह बात तो नुकसान सब का है' सभी ने ताली बजाकर उनको मुबारकबाद दी. वहीं खुर्शीद हैदर ने 'बेटा एक रोटी भी नहीं देता फिर भी' 'मां कहती है कि मेरा लाल अच्छा है' यह शेर सुना कर ऑडिटोरियम में मौजूद सभी लोगों से वाहवाही लूटी. इस दौरान मुशायरे की खास बात यह रही कि सभी शायर गालिब की पोशाक पहने हुए थे और स्टेज भी मुगल राज में जैसे मुशायरे होते थे उसी तरह सजा हुआ था.

नई दिल्ली: इंडिया इस्लामिक कल्चरल सेंटर में मिर्जा गालिब के 150वें जन्मदिवस के मौके पर मुशायरा का आयोजन किया गया. जहां साहित्य कला परिषद, दिल्ली उर्दू अकादमी, गालिब मेमोरियल मूवमेंट के बैनर तले इस शानदार मुशायरे में शायरों ने खूबसूरत शायरी पेश की. मुशायरे की अध्यक्षता मशहूर शायर उदय प्रताप सिंह और संचालन मोईन शादाब ने की.

गालिब की जंयती पर हुआ मुशायरे का आयोजन

पेश की गई शायरी
उदय प्रताप सिंह ने अपनी मशहूर दो नज्में पेश की और इस शेर पर 'ना मेरा है, ना तेरा है, यह हिंदुस्तान सबका है','नहीं समझी गई नहीं समझी गई बात यह बात तो नुकसान सब का है' सभी ने ताली बजाकर उनको मुबारकबाद दी. वहीं खुर्शीद हैदर ने 'बेटा एक रोटी भी नहीं देता फिर भी' 'मां कहती है कि मेरा लाल अच्छा है' यह शेर सुना कर ऑडिटोरियम में मौजूद सभी लोगों से वाहवाही लूटी. इस दौरान मुशायरे की खास बात यह रही कि सभी शायर गालिब की पोशाक पहने हुए थे और स्टेज भी मुगल राज में जैसे मुशायरे होते थे उसी तरह सजा हुआ था.

Intro:इंडिया इस्लामिक कल्चरल सेंटर में मिर्जा गालिब की 150वीं यो में वफात के मौके पर तमसिली मुशायरा का आयोजन किया गया. साहित्य कला परिषद, दिल्ली उर्दू अकादमी, गालिब मेमोरियल मूवमेंट के बैनर तले इस शानदार मुशायरे में एक दर्जन से ज्यादा शायरों ने गालिब की जमीन पर खूबसूरत शायरी पेश की. मुशायरे की अध्यक्षता मशहूर शायर उदय प्रताप सिंह और संचालन मोईन शादाब ने किया.
इस दौरान मुशायरे की खास बात यह रही कि सभी शायर गालिब की पोशाक पहने हुए थे और स्टेज भी मुगल राज में जैसे मुशायरे होते थे उसी तरह सजा हुआ था.Body:उदय प्रताप सिंह ने अपनी मशहूर दो नज़में पेश की, और इस शेर पर 'ना मेरा है, ना तेरा है, यह हिंदुस्तान सबका है'
'नहीं समझी गई नहीं समझी गई बात यह बात तो नुकसान सब का है' सभी ने ताली बजाकर उनको मुबारकबाद दी.
खुर्शीद हैदर ने 'बेटा एक रोटी भी नहीं देता फिर भी' 'मां कहती है कि मेरा लाल अच्छा है' यह शेर सुना कर ऑडिटोरियम में मौजूद सभी लोगों से वाहवाही लूटी.
इस मौके पर शराफ नानपर्वी, रंजीत सिंह चौहान, डॉ. ऐजाज़ पॉपुलर मेरठी और दूसरे शायरों ने कलाम पेश किया.Conclusion:पहली बाइट. डॉक्टर उमा शर्मा
दूसरी बाइट. रेशमा मलिक
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