नई दिल्लीः सिंगल यूज प्लास्टिक को लेकर अब एमसीडी ने स्कूली छात्रों के साथ मिलकर जागरुकता अभियान की शुरुआत की है. अभियान की फेहरिस्त में रोहिणी सेक्टर 7 स्थित निगम स्कूल में स्कूली छात्रों ने एक प्रदर्शनी लगाई. प्रदर्शनी के माध्यम से प्लास्टिक के वेस्ट मैनेजमेंट को लेकर लोगों को एक संदेश देने का प्रयास किया गया. इस दौरान स्कूली छात्रों की प्रतिभा के सभी मुरीद बन गए.
सिंगल यूज प्लास्टिक को लेकर व्यापक अभियान चलाया जा रहा है. शासन और प्रशासन द्वारा पुरजोर तरीके से इस अभियान को सफल बनाने के लिए भरसक प्रयास किए जा रहे हैं. इसी को लेकर जागरुकता अभियान को आगे बढ़ाने के लिए अब एमसीडी ने स्कूली छात्रों को भी अपने साथ जोड़ा है. इसी का नजारा बुधवार को रोहिणी सेक्टर 7 स्थित एमसीडी के स्कूल में देखने को मिला, जहां छोटे छोटे बच्चों की प्रतिभा ने हर किसी को ना केवल अपना मुरीद बना दिया बल्कि खूब प्रशंसा भी बटोरी.
दरअसल, रोहिणी निगम जोन द्वारा रोहिणी सेक्टर 7 स्थित निगम विद्यालय में स्कूली छात्रों के साथ मिलकर सिंगल यूज प्लास्टिक को लेकर एक जागरुकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इसमें रोहिणी जोन के अंतर्गत आने वाले सभी स्कूलों के प्रधानाचार्य भी विशेष रूप से उपस्थित हुए. कार्यक्रम में रोहिणी निगम जोन की उपायुक्त निधि मालिक मुख्य अतिथि के तौर पर उपस्थित रही. हालांकि, इस मौके पर रोहिणी जोन के अन्य अधिकारी भी मौजूद हुए.
कार्यक्रम में उपस्थित सभी ने सिंगल यूज प्लास्टिक से होने वाले फायदे और नुकसान पर विस्तृत चर्चा की और इस मुहिम में सभी से जुड़ने की अपील की. कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण का केंद्र रहा बच्चों द्वारा लगाई गई प्रदर्शनी. इसमें प्लास्टिक के वेस्ट मैनेजमेंट का एक बेहतरीन उदाहरण देखने को मिला, जहां स्कूली छात्रों ने वेस्ट प्लास्टिक का सही इस्तेमाल दिखाया. छोटे छोटे बच्चों के इस प्रतिभा के सभी मुरीद हो गए, और सभी ने बच्चों की इस प्रतिभा की जमकर सराहना की. साथ ही अतिथियों ने बताया कि बच्चों को इस कार्यक्रम से जोड़ने का मक़सद है कि बच्चे अपने घर में जाकर बताएं ताकि इनके अभिभावक भी इस पर जागरूक बने.
बता दें, जागरुकता कार्यक्रम का मकसद था, सिंगल यूज प्लास्टिक को लेकर ज्यादा से ज्यादा लोगों में जागरुकता फैलाना. कार्यक्रम में छोटे-छोटे बच्चों को भी इसी मकसद से जोड़ा गया कि इस बच्चों को प्लास्टिक के यूज को लेकर अभी से ही जागरूक किया जाए. हालांकि इसमें कोई संदेह नहीं है कि इस तरह के कार्यक्रम आज के समय में बेहद जरूरी है, लेकिन ऐसे कार्यक्रम तभी सार्थक सिद्ध होंगे जब ये महज औपचारिकता ना रहे, बल्कि इसे लगातार लोगों के बीच चलाया जाता रहे.