नई दिल्ली: उत्तर पश्चिमी दिल्ली की पश्चिम विहार ईस्ट थाने की पुलिस ने नकली कैब वाला बनकर गाड़ी में लिफ्ट देकर मोबाइल और कैश लूट के एक सनसनीखेज मामले का खुलासा 110 दिन बाद किर दिया है. इनकी पहचान धर्मेंद्र सिंह और विकास डबास के रूप में हुई है. यह दोनों माजरा डबास इलाके के रहने वाले हैं. पुलिस के अनुसार धर्मेन्द्र, द्वारका सेक्टर 23 के एक मामले में भी शामिल है.
पुलिस ने बरामद की अर्टिका कार
पुलिस टीम ने इनके पास से वारदात में इस्तेमाल की गई अर्टिका कार भी बरामद कर ली है जिससे इन्होंने 21 अगस्त को पश्चिम विहार ईस्ट थाना इलाके में लूट की वारदात को अंजाम दिया था. जब द्वारका मोड़ के भगवती गार्डन इलाके में रहने वाले जगत सिंह साही ने पुलिस को सूचना दी कि 3 लोग एक गाड़ी में थे. वह पीरागढ़ी से उत्तम नगर के लिए कैब में बैठा और रास्ते में कार सवारों ने उसकी पिटाई करके उसका मोबाइल और कैश लूट लिया और फिर उसे चलती गाड़ी से विकासपुरी इलाके में फेंक दिया. इस मामले की सूचना मिलने पर पश्चिम विहार ईस्ट थाना में मामला दर्ज किया गया था.
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38 CCTV कैमरों में भी नहीं मिला फुटेज
डीसीपी डॉक्टर अकोन के निर्देश पर एसीपी पश्चिम विहार विनय माथुर की देख-रेख में एसएचओ पश्चिम विहार केबी झा, हेड कांस्टेबल विजय, जितेंद्र और कांस्टेबल नवीन की टीम ने लगभग 38 सीसीटीवी कैमरों के फुटेज की जांच की लेकिन फुटेज से क्लियर फोटो नजर नहीं आ रहा था जिसकी वजह से पुलिस पता नहीं लगा पा रही थी. लेकिन कार के साथ जो मोबाइल फोन लूटा गया था उसकी सर्विलांस पुलिस टीम लगातार कर रही थी.
मोबाइल ऑन होने के बाद पुलिस हुई एक्टिव
लगातार जांच का नतीजा यह निकला कि पुलिस को पता चला कि 9 दिसंबर को मोबाइल ऑन हो गया और उसी टेक्निकल सर्विलांस के आधार पर पुलिस ने आखिरकार बदमाशों की पहचान कर ली और उन्हें गिरफ्तार कर लिया.