नई दिल्ली: भलस्वा डेरी इलाके में स्थित भलस्वा झील की हालात किसी से छिपी नहीं है. स्थानीय लोग इस झील को गंदा करने में पूरी सहभागिता निभा रहे हैं. भलस्वा डेरी इलाके में स्थित गाय-भैंसों की डेरियों का मल-मूत्र पिछले कई सालों से भलस्वा झील में डाला जा रहा है. इससे झील में गंदगी बढ़ रही है.
सैलानियों ने आना किया बंद
झील का पानी पूरी तरह से प्रदूषित हो चुका है. इस झील में पहले नौकायन के लिए खिलाड़ी आया करते थे लेकिन अब समय बीतने के साथ-साथ न तो इसमें खिलाड़ी आ रहे हैं और न ही सैलानी. इसी बात से दुखी होकर उत्तरीपश्चिमी लोकसभा सांसद हंस राज हंस ने भलस्वा झील के समाप्त होते अस्तित्व को बचाने की गुजारिश की है.
सांसद हंसराज हंस ने उठाया मुद्दा
उत्तर-पश्चिम दिल्ली से सांसद हंस राज हंस ने लोकसभा में अपने संसदीय क्षेत्र बादली विधानसभा के अंतर्गत स्थित भलस्वा झील की साफ़-सफाई का मुद्दा उठाया. हंस राज हंस ने कहा कि भलस्वा झील जो कई वर्षों से बदहाली से गुजर रही है जिसे मोती झील के नाम से भी जाना जाता है आज इस झील के चारो ओर गन्दगी और खर-पतवार उग आये हैं.
साथ ही उनहोने ये भी कहा कि झील के बीचों-बीच जहां पहले साफ़-सुथरा पानी हुआ करता था, यहां देसी और विदेशी पक्षी मौसम के अनुरूप आया करते थे. यात्रियों और पर्यटकों का तो तांता लगा रहता था लेकिन आज वहां पर लम्बी-लम्बी घास और झाड़ियाँ उग आयीं हैं. झील के सूखने के कारण अब कुछ ही स्थानों पर पानी दिखाई देता है लेकिन प्रशासनिक अनदेखी के कारण इस झील का अस्तित्व समाप्त होता दिखाई दे रहा है. झील समय के साथ गायब हो रही है. पहले यह झील शालीमार बाग हैदरपुर तक होती थी. झील का क्षेत्रफल करीब एकड़ का था लेकिन झील के विघटन के कारण झील का क्षेत्रफल 25 एकड़ ही रह गया है. जो एक चिंता का विषय है.
'पानी का स्तर भी कम हो रहा'
तटबंध निर्माण करने के कारण इसे यमुना से भी काट दिया गया है. मानसून की बारिश के अलावा यमुना नदी का पानी ही मुख्य श्रोत था जो कि अब वह भी नहीं मिल पा रहा है. न तो अब इस झील की साफ़-सफाई हो पा रही है और न ही कोई इसकी देख-रेख के लिए आगे आ रहा है. हंस राज हंस ने सरकार से अनुरोध कर झील को बचने की गुजारिश की है.