नई दिल्ली: प्रदेश में लगातार कुत्ते काटने के मामले बढ़ रहे हैं. जिसकी वजह से दिल्ली की सड़कों पर चलने वाले लोग और बच्चे आवारा कुत्तों से परेशान हैं. दिल्ली नगर निगम हर बार कुत्तों को पकड़ने को लिए मुहिम शुरू करता है, लेकिन उसके बावजूद भी कुत्ते सड़कों पर घूम रहे हैं. अब दिल्ली नगर निगम करीब 13 साल लंबे अंतराल के बाद एक बार फिर कुत्तों की गणना कराने की तैयारी कर रहा है.
साल 2010 में पहली बार हुई थी कुत्तों की गणना: दिल्ली में एनिमल बर्थ कंट्रोल साल 2001 लागू होने के 9 साल बाद साल 2010 में पहली बार कुत्तों की गणना कराई गई थी. तब दिल्ली में कुत्तों की संख्या करीब 2 लाख थी. बीते 13 सालों में कुत्तों की संख्या में काफी बढ़ोतरी हुई है, लेकिन वेटनेरी विभाग के जानकारों के पास इनकी वास्तविक संख्या नहीं है. एनिमल बर्थ कंट्रोल रूल्स 2001 के अनुसार किसी भी शहर में कुत्तों की कुल संख्या का 80% की नसबंदी जरूरी है. राजधानी दिल्ली में कुत्तों की संख्या का सही आकंलन एजेंसी के पास नहीं है, तो सरकार इस टारगेट को कैसे पूरा कर सकती है. यह एजेंसियों की कार्यशैली पर बड़ा सवाल है.
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एमसीडी अधिकारियों के अनुसार साल 2016 में साउथ, वेस्ट, सेंट्रल और नजफगढ़ के इन 4 जोन में कुत्तों की गणना कराई गई थी. उस समय इन चारों ज़ोन में कुत्तों की संख्या 1,89,285 पाई गई थी, जिनमें से 41.8% नर कुत्ते, जबकि 29.18% मादा कुत्तों नसबंदी भी की गई थी. वहीं बीते 5 सालों में कुत्तों के काटने से 36 लोगों की जान जा चुकी है. कुत्तों के काटने का मामला लगातार बढ़ने के बाद एमसीडी ने एक बार फिर डॉग सेंसेस का प्लान बनाया है. कुत्तों की सही संख्या का विवरण नहीं होने की वजह से निगम के अधिकारी मान रहे हैं कि कुत्तों की शत-प्रतिशत नसबंदी कर पाना संभव नहीं है. इसके लिए नगर निगम व वेटनेरी विभाग और एनिमल बर्थ कंट्रोल के अधिकारियों को कुत्तों की गणना करानी होगी, तभी ये संभव हो पाएगा.
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