नई दिल्ली: देशभर के एम्स (AIIMS) में अपनाई जा रही नर्सिंग अधिकारियों की भर्ती प्रक्रिया पर लिंग भेद करने का आरोप लगाया जा रहा है. इसे पूरी तरह से असंवैधानिक बताते हुए स्वास्थ्य मंत्री से इस मामले में हस्तक्षेप किये जाने की मांग उठने लगी है. गौरतलब है कि एम्स में होने नर्सिंग स्टॉफ और अधिकारियों की भर्ती प्रक्रिया के 80 महिला और 20 पुरुष का अनुपात अपनाया जा रहा है.
'नर्सिंग स्टाफ भर्ती में लिंग भेद असंवैधानिक'
उत्तर पूर्वी दिल्ली के शास्त्री पार्क इलाके में स्थित जग प्रवेश हॉस्पिटल की नर्सिंग ऑफिसर एसोसिएशन (NOA) के अध्यक्ष टीकम सिंह यादव ने बताया कि वो हैशटैग चलाकर एम्स की ओर से नर्सिंग ऑफिसर और स्टॉफ की भर्ती के लिए बनाई गई लिंग भेद की पॉलिसी का विरोध कर रहे हैं. उनका कहना है कि 80:20 लिंग भेद की पॉलिसी पूरी तरह असंवैधानिक है. उनका कहना है कि जब इंडियन नर्सिंग काउंसिल (INC) के मुताबिक जब महिला पुरुष एक साथ ट्रेनिंग ले सकते हैं, तो फिर भला उनके नौकरी करने पर लिंग के आधार पर ये भेदभाव आखिर किसलिए.
'स्वास्थ्य मंत्री से हस्तक्षेप की मांग'
एसोसिएशन ने स्वास्थ्य मंत्री से इस मामले में हस्तक्षेप किए जाने का अनुरोध करते हुए इस समस्या का जल्द से जल्द समाधान करने की मांग की है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि जो भी परीक्षा दे वो एम्स में नौकरी करें. इस भर्ती प्रक्रिया से पुरुष बेरोजगारी बढ़ जाएगी.
'बिना किसी सलाह के लागू किया फार्मूला'
एसोसिएशन के अध्यक्ष ने कहा कि एम्स में अपनाई जाने वाली इस भर्ती प्रक्रिया से पहले नर्सिंग पदाधिकारियों, एसोसिएशन से जुड़े लोगों से किसी तरह के कोई सलाह मशवरा नहीं लिया गया. इसे देश के सभी AIIMS में लागू करने की तैयारी हो रही है. कई एम्स में तो 80:20 वाली इसी प्रक्रिया से भर्ती भी की जाने लगी हैं.
'कोरोना से जंग में जान लगा रहा नर्सिंग स्टाफ'
उन्होंने कहा कि आज जब देश दुनिया में मेडिकल इमरजेंसी का दौर चल रहा है. नर्सिंग स्टॉफ इस महामारी से लड़ने में अपनी पूरी जान लगाए हुए हैं, यहां तक कि कई कोरोना योद्धा अपने कर्तव्य का पालन करते हुए शहीद भी हो गए. ऐसे में भर्ती प्रक्रिया में लिंग भेदभाव पूरी तह से असंवैधानिक है. उन्होंने इस पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब ट्रेनिंग किसी भेदभाव के बगैर की जाती है, तो फिर सिर्फ एम्स में भर्ती में इस तरह की प्रक्रिया को क्यों लागू किया गया है.
नर्सिंग एसोसिएशन के अध्यक्ष का मानना है कि कोरोना के इस मुश्किल दौर में जब हर कोई महामारी को मिटाने में लगा हुआ है. ऐसे समय मे भर्ती प्रक्रिया में लिंग भेद किया जा रहा है. इस कोरोना काल में इसे लागू करना ठीक नहीं है.