नई दिल्ली: उत्तर पूर्वी दिल्ली में पैगम्बर-ए-इस्लाम मोहम्मद के जन्मदिन को ईद-ए-मिलाद उन नबी के रूप में मनाया गया. इस दौरान जिले के विभिन्न इलाकों से जुलूस निकालकर खुशी का इजहार किया गया और एक दूसरे को मिठाईयां बांटी गई. जुलूस के दौरान सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए थे. मुस्लिम समुदाय ईद-ए-मिलाद उन नबी का यह पर्व मौहम्मद साहब की यौमे पैदाईश के मौके पर मनाते हैं क्योंकि इसी दिन उनकी पुण्यतिथि भी होती है इसलिए लोग इसे बेहद सादगी के साथ मनाते हैं.
'पवित्र कुरान में दी गई है इजाजत'
12 रबीउल अव्वल का दिन हुजूर पाक मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की विलादत (पैदाइश) का दिन है. सरकार की आमद की खुशी में यह खुशी मनाई जाती है. इसके लिए बाकायदा पवित्र कुरान में भी इजाजत दी गई है. कुरान में लिखा है कि अगर तुम्हें कोई नेअमत मिल जाये तो उसकी खुशी मनाओ.
जाफराबाद स्थित मस्जिद गौसिया के इमाम गुलाम जिलानी अशरफी ने बताया कि इस दिन को मनाने का एक मकसद यह भी है कि हम जहां अपने बच्चे का जन्मदिन मनाकर खुशी का इजहार करते हैं, ठीक उसी तरह से हमें और हमारी नस्लों को भी यह पता होना चाहिए कि हमारे नबी कौन हैं और कब पैदा हुए. नबी का इस दुनियां मे आने का असल मकसद क्या था.
कैसे मनाते हैं ईद-ए-मिलाद उन नबी
ईद-ए-मिलाद उन नबी के दौरान बच्चे से लेकर बुजुर्ग अपने हाथों में कलमा-ए-शहादत लिखे हरे रंग के झंडे और सिर पर हरे रंग की पगड़ी बांधते हैं. जुलूस में छोटे-बड़े हर तरह के वाहन शामिल होते हैं. जुलूस विभिन्न प्वॉइंट्स से निकालकर एक बड़े जुलूस में तब्दील हो जाता है और कई इलाकों से गुजरता जुलूस अपने मुकाम पर पहुंचकर सम्पन्न हो गया.
सुरक्षा के थे पुख्ता इंतजाम
ईद-ए-मिलाद उन नबी के जुलूस के दौरान कोई अप्रिय घटना ना हो इसलिए सुराक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे. सुरक्षा के लिहाज से पुलिस कर्मी जुलूस के साथ ही अहम चौराहों पर तैनात किए गए थे.