नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय स्नातक पाठ्यक्रम में दाखिले के लिए संभावित तारीख जारी होने का मैसेज वायरल हो रहा है. सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे इस मैसेज के तहत डीयू में शैक्षणिक सत्र 2020-21 में स्नातक पाठ्यक्रम में दाखिले के लिए रजिस्ट्रेशन पोर्टल 8 जून को सुबह 10 बजे से शुरू हो जाएगा.
वहीं डीयू में दाखिला लेने के लिए इच्छुक उम्मीदवार 30 जून को शाम 5 बजे तक आवेदन कर सकेंगे. बता दें कि सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे इस मैसेज की दिल्ली विश्वविद्यालय की ओर से कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है. हालांकि यह संभावना जरूर जताई जा रही है कि जल्दी ही दिल्ली विश्वविद्यालय दाखिले का शेड्यूल जारी कर सकता है.
संभावित तारीख वायरल
वहीं सोशल मीडिया पर डीयू दाखिले की वायरल हो रही संभावित तारीख के अनुसार पहली कट ऑफ के लिए दाखिले 11 अगस्त सुबह 10 बजे से 14 अगस्त शाम 4 बजे तक लिया जा सकेगा. वहीं दूसरी कट ऑफ के दाखिले 18 अगस्त सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक होंगे. इसके अलावा तीसरी कट ऑफ के लिए दाखिले 23 अगस्त सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक होंगे जबकि चौथी कट ऑफ के लिए दाखिला 28 अगस्त सुबह 10 बजे से 31 अगस्त तक लिए जाएंगे. साथ ही पांचवीं कट ऑफ लिस्ट के तहत दाखिले 3 सितंबर से 5 सितंबर तक लिए जा सकेंगे. बता दें कि वायरल हो रहे एडमिशन के संभावित तारीख के मुताबिक 12वीं का परीक्षा परिणाम आने के बाद एक बार फिर पोर्टल को अंक अपलोड करने के लिए खोला जाएगा.
रजिस्ट्रेशन फीस में मिले छूट
वहीं सोशल मीडिया पर वायरल हो रही इस संभावित दाखिला तारीख को लेकर दिल्ली विश्वविद्यालय के एग्जीक्यूटिव काउंसिल के सदस्य प्रोफेसर राजेश झा ने कहा कि इस समय दाखिले के समय जरूरी है कि दिल्ली विश्वविद्यालय कुछ तथ्यों को ध्यान में रखें, जिनमें सबसे अहम रजिस्ट्रेशन फीस है. उन्होंने कहा कि इस समय के हालात को देखते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन को रजिस्ट्रेशन फीस में छात्रों को छूट देनी चाहिए.
फिजिकल डिस्टेंसिंग जरूरी
इसके अलावा उन्होंने कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय सुनिश्चित करें कि उन सभी विद्यार्थियों को दाखिला मिल सके, जो दाखिले के सभी मानकों पर खरे उतरते हैं. उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी में फिजिकल डिस्टेंसिंग का पालन करना बहुत अहम है. ऐसे में स्पोर्ट्स और एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटीज को वापस कॉलेजों को दे देना चाहिए क्योंकि इन गतिविधियों को सेंट्रलाइज करने की वजह से बेवजह खर्चे बढ़ गए हैं. जबकि जब कॉलेजों के पास यह गतिविधियां थी तो उसका खर्चा इतना ज्यादा नहीं होता था.