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जाफराबाद CAA Protest: छोटे बच्चों के लिए छात्रों ने बनाया स्पेशल क्रेच

दिल्ली के जाफराबाद इलाके में लगातार सीएए के खिलाफ महिलाएं प्रदर्शन कर रही हैं. महिलाओं के साथ उनके बच्चे भी आते है, जिनके लिए जेएनयू और जामिया के स्टूडेंट्स ने मिलकर एक खास किस्म का क्रेच बनाया है. जहां इन बच्चों को पढ़ाया जाता है साथ ही यहां पर वो अपनी रूची के काम कर सकते है.

creche started by students in caa protest in jafrabad in delhi
जाफराबाद में स्टूडेंट्स ने बनाया बच्चों के लिए क्रेच
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Published : Jan 28, 2020, 5:12 PM IST

नई दिल्ली: सीलमपुर के जाफराबाद इलाके में चल रहे धरने में महिलाओं के साथ आने वाले बच्चों के लिए जेएनयू और जामिया के स्टूडेंट्स ने मिलकर एक खास किस्म का क्रेच बनाया है. दरअसल इए क्रेच का मकसद धरने पर आने वाले छोटे बच्चों को नारेबाजी और दूसरी तरह की चीख-चिल्लाहट से दूर रखकर उनका ध्यान पढ़ाई-लिखाई और पेंटिंग में लगाए रखना है. सीलमपुर इलाके में स्टूडेंट्स की इस पहल की हर कोई सराहना कर रहा है.

जाफराबाद में स्टूडेंट्स ने बनाया बच्चों के लिए क्रेच

धरने में किताबें पढ़ते और पेंटिंग बनाते हैं बच्चे
इस क्रेच सेंटर की खास बात ये है कि यहां छोटे और बड़े बच्चों के लिए अलग-अलग तरह की किताबें, पेंटिंग और दूसरी तरह की एक्टिविटीज का आयोजन किया गया हैं.

नारेबाजी से दूर रखना है क्रेच का मकसद
जाफराबाद क्रेच सेंटर में बच्चों की देखभाल करने के लिए मौजूद वालंटियर ने बताया कि सेंटर का मकसद यही है कि मां के साथ धरने पर आने वाले बच्चों को किसी भी तरह से यहां होने वाली नारेबाजी से दूर रखा जा सके.

सेंटर का नजारा स्कूल क्लास जैसा
सेंटर का नजारा पूरी तरह से किसी स्कूल क्लॉस जैसा ही है. सेंटर में जगह-जगह बच्चों के ग्रुप बने हैं, जिसे वहां के वालंटियर पूरी तरह स्कूल के पैटर्न पर ही चलाते हैं. ये बच्चे अपनी रुचि के मुताबिक सेंटर में अपना समय बिताते है.

नई दिल्ली: सीलमपुर के जाफराबाद इलाके में चल रहे धरने में महिलाओं के साथ आने वाले बच्चों के लिए जेएनयू और जामिया के स्टूडेंट्स ने मिलकर एक खास किस्म का क्रेच बनाया है. दरअसल इए क्रेच का मकसद धरने पर आने वाले छोटे बच्चों को नारेबाजी और दूसरी तरह की चीख-चिल्लाहट से दूर रखकर उनका ध्यान पढ़ाई-लिखाई और पेंटिंग में लगाए रखना है. सीलमपुर इलाके में स्टूडेंट्स की इस पहल की हर कोई सराहना कर रहा है.

जाफराबाद में स्टूडेंट्स ने बनाया बच्चों के लिए क्रेच

धरने में किताबें पढ़ते और पेंटिंग बनाते हैं बच्चे
इस क्रेच सेंटर की खास बात ये है कि यहां छोटे और बड़े बच्चों के लिए अलग-अलग तरह की किताबें, पेंटिंग और दूसरी तरह की एक्टिविटीज का आयोजन किया गया हैं.

नारेबाजी से दूर रखना है क्रेच का मकसद
जाफराबाद क्रेच सेंटर में बच्चों की देखभाल करने के लिए मौजूद वालंटियर ने बताया कि सेंटर का मकसद यही है कि मां के साथ धरने पर आने वाले बच्चों को किसी भी तरह से यहां होने वाली नारेबाजी से दूर रखा जा सके.

सेंटर का नजारा स्कूल क्लास जैसा
सेंटर का नजारा पूरी तरह से किसी स्कूल क्लॉस जैसा ही है. सेंटर में जगह-जगह बच्चों के ग्रुप बने हैं, जिसे वहां के वालंटियर पूरी तरह स्कूल के पैटर्न पर ही चलाते हैं. ये बच्चे अपनी रुचि के मुताबिक सेंटर में अपना समय बिताते है.

Intro:स्पेशल स्टोरी....
सीलमपुर की जाफराबाद इलाके में चल रहे धरने पर महिलाओं के साथ आने वाली बच्चों के लिए जेएनयू और जामिया की स्टूडेंट ने मिलकर एक खास किस्म का क्रेच बनाया है, दरअसल इए क्रेच का मकसद धरने पर आने वाले छोटे बच्चों को नारेबाजी और दूसरी तरह की चीख चिल्लाहट से दूर रखकर उनका ध्यान पढ़ाई लिखाई और पेंटिंग में लगाए रखना है.सीलमपुर इलाके में स्टूडेंट्स की इस पहल की हर कोई सराहना कर रहा है.


Body:उत्तर पूर्वी दिल्ली के सीलमपुर जाफराबाद इलाके में पिछले कई हफ्तों से महिलाओं ने केंद्र सरकार द्वारा लाये गए CAA और NRC के खिलाफ अपना आंदोलन शुरू किया हुआ है, दरअसल यहां महिलाएं धरने पर बैठी हैं. कई महिलाएं खुद हैं जबकि अधिकांश महिलाएं अपने छोटे छोटे बच्चों को लेकर भी धरने पर बैठी हुई है,इसके अलावा आंदोलन में शामिल होने के लिए भी बहुत सी महिलाएं अपने अपने बच्चों के साथ आती हैं,दिनभर रुकती हैं और शाम में वापस अपने घर जाती हैं. तब तक उनके बच्चे भी धरनाथल पर मौजूद रहते हैं, ऐसे में बच्चों के दिमाग पर आंदोलन की छाप आने का अंदेशा बना रहता है,इए को ध्यान में रखते हुए धरने पर मौजूद जामिया और जेएनयू के छात्रों ने वहीं पास में मौजूद जगह पर एक क्रेच शुरू कर दिया है.

किताबें पढ़ते हैं और पेंटिंग बनाते हैं बच्चे
इस क्रेच सेंटर की खास बात यह है कि यहां छोटे बड़े बच्चों के लिए अलग अलग तरह की किताबें, पेंटिंग और दूसरी तरह की एक्टिविटी करते हैं. ऐसा नहीं है कि यहां उन्हें स्कूल की तरह पढ़ाया जाता हो बल्कि यहां आने वाले बच्चे पूरी तरह से फ्री होते हैं. वह यहां पेंटिंग्स बनाते हैं, खेलते हैं और अपनी पसंद की किताबें पढ़ते हैं.

नारेबाजी से दूर रखना है क्रेच का मकसद
जाफराबाद क्रेच सेंटर में बच्चों की देखभाल करने के मौजूद वॉलेंटियर ने बताया कि सेंटर का मकसद यही होता है कि मां के साथ धरने पर आने वाले बच्चों को किसी भी तरह से यहां होने वाली नारेबाजी से दूर रखा जा सके.

सेंटर का नजारा स्कूल क्लॉस जैसा
सेंटर का नजारा पूरी तरह से किसी स्कूल क्लॉस जैसा ही है,सेंटर में जगह जगह बच्चों के ग्रुप बने हैं, जिसे वहां के वॉलेंटियर पूरी तरह स्कूल के पैटर्न पर ही चलाते हैं. दो तीन स्टूडेंट बच्चों को साथ लेकर बैठते हैं. यह बच्चे अपनी रुचि के अनुसार सेंटर में अपना समय बिताते है. एक से तीन बजे तक चलने वाले इस सेंटर में जेएनयू की स्टूडेंट बड़ी ही लगन और मेहनत के साथ इन बच्चों को संभालते हैं, और समय खत्म होने पर उन्हें वापस उनकी मां के पास छोड़ देते हैं.




Conclusion:ऐसा नहीं है कि सिर्फ सीलमपुर इलाके में ही जेएनयू और जामिया के स्टूडेंट इस तरह का क्रेच सेंटर चल रहा हो, इन स्टूडेंट की मानें तो इस तरह के सेंटर शाहीन बाग, खुरेजी में भी चल रहे हैं, जहां धरने पर आने वाली महिलाओं के बच्चों को धरना प्रदर्शन से दूर रखने के जतन किये जाते हैं. इस सबके वावजूद मीडिया में इस तरह की खबरें आ रही थीं कि इस तरह के बच्चों को नारेबाजी सिखाकर उनके दिलों में जहर घोलने की कोशिश की जा रही है जोकि सरासर गलत बात है.

इसके साथ ही मौके से सेंटर चलाने वाले वॉलेंटियर के साथ वॉक थ्रू भी है.....
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